गाजियबाद में बुजुर्गों ने पुलिसवालों को बचाया तो गोरखपुर में काजी ने बवाल रोका
नई दिल्ली
गाजियाबाद में शुक्रवार को हुए बवाल पर काबू पाने व हिंसक प्रदर्शन की भयावता को कम करने में कुछ बुजुर्गों ने अहम भूमिका अदा की। इन बुजुर्गों ने अपने तजुर्बे और समझदारी से हिंसा की चिंगारी को नफरत की आग में बदलने से पहले ही बुझा दिया। यही वजह रही कि कैला भट्टा में भड़की हिंसा के बीच फंसे पुलिसवालों की ना केवल जान बचाई, बल्कि पत्थरबाजों को भी वापस भेज दिया।
अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए अमन के ए सिपाही पत्थरबाजों में घुस गए। अपनों का विरोध झेलकर इन्होंने हालात को काबू किया। इनके समझाने का असर यह हुआ कि उग्र भीड़ कैला भट्टा से बाहर नहीं निकली। भीड़ के मुख्य सड़कों पर आने से स्थिति ज्यादा बिगड़ सकती थी। कैला भट्टा में जाकिर सैफी, हाजी बुंदू, हाजी चमन और रियासुद्दीन सलमानी समेत कई बुजुर्गों ने कमान संभाली। पसौंडा में पार्षद पति चौधरी मुस्कीम ने युवाओं को समझाया। इस दौरान वह घायल भी हो गए। इससे पहले पसौंडा ईदगाह के इमाम मौलाना असजद ने नमाज के वक्त अपनी तकरीर में भाईचारा बनाए रखने और कानून को अपने हाथ में नहीं लेने की अपील की थी।
अलीगढ़ शहर मुफ्ती से शिक्षाविद तक आगे आए
वेस्ट यूपी में अलीगढ़ के शहर मुफ्ती खालिद हमीद ने उग्र भीड़ और पथराव के बीच गुस्साए लोगों को शांत कराने में कोर-कसर नहीं छोड़ी। उन्होंने लोगों को तालीम की नगरी में अमन बरकरार करने के लिए रजामंद करके माहौल को शांत बनाए रखने में मदद की। अलबरकात एजूकेशन सोसाइटी से जुड़े अहमद मुस्तफा ने जमालपुर क्षेत्र में उग्र भीड़ को नियंत्रित करने के साथ ही दूसरे इलाकों में भी लोगों को शांतिपूर्वक प्रदर्शन के लिए रजामंद किया।
मेरठ शहर के काजी प्रोफेसर जैनुस साजिद्दीन सिद्दीकी और कारी शफीकुर्रहमान कासमी ने लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। हापुड़ अड्डे के आसपास इलाके में केसर अब्बास, अकरम गाजी, गोलाकुआं पर भीड़ को समझाने और शांत रहने के लिए जुटे रहे। महानगर में उग्र प्रदर्शन करने की तैयारी करने वालों को रोकने में सैयद जमाल मुस्तफा की भूमिका सबसे अहम रही है। सूफी धर्मगुरु होने के नाते उन्होंने हर आम ओ खास को शांति से अपना विरोध प्रर्दशन करने के लिए पैगाम दिया। बुलंदशहर में सदर ब्लाक प्रमुख हाजी युनूस का समाज के लोगों पर प्रभाव शुक्रवार के बवाल में पुलिस के काम आया। हाजी युनूस ने मौके पर पहुंचकर चंद मिनटों में हालात काबू में कर लिए। हाजी युनूस की अपील पर प्रदर्शनकारी एकाएक शांत होकर वापस चले गए।
लखनऊ में खुद को जोखिम में डाल दूसरे को बचाया
जिस समय पुराने लखनऊ खदरा की तरफ हिंसक बवाल चल रहा था। उस समय बालगंज स्थित सरकारी अस्पताल में फार्मासिस्ट डॉ. जितेन्द्र कुमार पटेल ने अपने अस्पताल के चीफ फार्मासिस्ट ज्ञान चतुर्वेदी को अपनी जान जोखिम में डालकर बवाल से बचाते हुए बाहर निकाला। ज्ञान चतुर्वेदी उस समय अपने निवास की ओर किसी जरूरी काम से जा रहे थे। वह अचानक बिगड़े माहौल को समझ नहीं पाए और बवाल में फंस गए।
गोरखपुर में शहर काजी ने बवाल रोका
शुक्रवार को जब गोरखपुर सीएए और एनआरसी के विरोध की आग में तप रहा था तब शहर काजी मुफ्ती वलीउल्लाह अमन के सिपाही के रूप में सामने आए और बवाल को बढ़ने से रोका। दरअसल, 72 वर्षीय मुफ्ती वलीउल्लाह ने अस्करी मस्जिद में जुमे की नमाज अदा करवा रहे थे कि उन्हें पता चला कि लोग प्रदर्शन में शामिल होने की तैयारी में हैं। यहां मुफ्ती वलीउल्लाह ने अपना फर्ज निभाते हुए सभी से अमन बनाए रखने की अपील की। ए अपील काम भी आई और अस्करी मस्जिद में शांति के साथ नमाज अदा हुई और लोग अपने घर गए।
शुक्रवार को उपद्रवियों ने नागरिक सुरक्षा कोर के उपनियंत्रक सत्यप्रकाश सिंह और विकास जालान पर हमला कर दिया था। बवाल के बीच इन दोनों की सुरक्षा की पहल नागरिक सुरक्षा कोर से ही जुड़े स्थानीय नागरिक अतहर ने की थी। अतहर ने किसी तरह बीच-बचाव कर दोनों को मदीना मस्जिद से सटे अपने घर में सुरक्षित रखा था। अतहर इस पर खबर या तस्वीर के लिए राजी नहीं हैं।