November 24, 2024

शिवसेना का BJP पर वार- पैसे लेकर विधायकों के पीछे घूम रहे थे, बहुमत खरीदने का प्रयास फेल

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मुंबई 

महाराष्ट्र की राजनीति बदल चुकी है. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे 28 नवंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं. शिवसेना के मुखपत्र शिवसेना ने अपनी इस कूटनीतिक जीत पर भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) पर जमकर निशाना साधा है. सामाना के जरिए बीजेपी पर निशाना साधते हुए शिवसेना ने कहा कि सभी की शेखी हवा में उड़ गई. आखिरकार देवेंद्र फडणवीस की क्षणिक सरकार विश्वासमत के पहले ही गिर गई.

सामना में लिखा गया है कि जिन अजित पवार के समर्थन से फडणवीस ने सरकार बनाने का दावा किया, उन्होंने पहले ही उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और अजीत पवार के साथ दो विधायक भी नहीं बचे. इसका विश्वास हो जाने पर देवेंद्र फडणवीस को भी जाना पड़ा. भ्रष्ट और गैरकानूनी तरीके से महाराष्ट्र की गर्दन पर बैठी सरकार सिर्फ 72 घंटों में विदा हो गई.

सामना में लिखा गया है कि संविधान दिवस के दिन ही सर्वोच्च न्यायालय का ये फैसला आना और थैलीशाही और दमनशाही की राजनीति करनेवालों को झटका लगना, इसे भी एक सुखद संयोग कहा जाएगा. सत्ताधारियों ने भले ही लोकतांत्रिक मूल्यों और सिद्धांत का बाजार लगाया हुआ था, इसके बावजूद सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से वह ध्वस्त हो गया. एजेंट पैसों का बैग लेकर विधायकों के पीछे घूम रहे थे. बहुमत खरीदकर राज करने का प्रयास विफल हो गया.

सुप्रीम कोर्ट का राजभवन की नीति पर सवाल
सामना ने देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के शपथ ग्रहण पर निशाना साधते हुए लिखा कि जनता का तो कहना था ही लेकिन मंगलवार की सुबह सुप्रीम कोर्ट ने भी राजभवन की नीति पर सवाल खड़े कर दिए. 24 घंटों में बहुमत साबित करने का आदेश दिया गया और तब फडणवीस की गैरकानूनी तरीके से बनाई गई सरकार गिरेगी, ये बताने के लिए किसी ज्योतिषी की आवश्यकता नहीं रह गई.

बीजेपी ने किया संविधान दिवस मनाने का ढोंग
सामना में बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा गया है कि बहुमत का आंकड़ा न होने के बावजूद फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. यह पहला अपराध और जिसके समर्थन से शपथ ली, उन अजीत पवार के ऊपर लगे भ्रष्टाचार के सारे आरोपों को चार घंटे में ही रद्द कर दिया, यह दूसरा अपराध. इस अपराध के लिए जगह चुनी गई मुंबई का राजभवन . जहां संविधान की रक्षा की जानी चाहिए, उन संविधान के संरक्षकों ने इस अपराध को कवच पहना दिया. इसलिए आज जिन्होंने संविधान दिवस मनाने का ढोंग किया, सर्वोच्च न्यायालय ने उन्हें भी चपत लगाई है.

'अब क्या करेंगे ED, IT और BJP कार्यकर्ता'
सामना में लिखा गया है कि सोमवार शाम को महाआगाड़ी के 162 विधायकों ने देश की जनता के समक्ष एकता का प्रदर्शन किया. इससे भारतीय जनता पार्टी के बहुमत की हवा ही निकल गई. ये सभागृह के बाहर बहुमत से किया गया पराभव था. हम विधायकों को तोड़ेंगे और बहुमत साबित करेंगे, इस विकृति पर भी सर्वोच्च न्यायालय ने नकेल कसी. बहुमत निरीक्षण के दौरान गुप्त मतदान नहीं बल्कि इसका सीधा प्रसारण करो, ऐसा स्पष्ट आदेश न्यायालय ने दिया. अब ‘ईडी और इनकम टैक्स’ आदि भाजपा के कार्यकर्ता क्या करेंगे?

सामना में लिखा गया है कि लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा होनी चाहिए. लोगों को अच्छी सरकार मिलने का अधिकार है, ऐसा मत सर्वोच्च न्यायालय ने व्यक्त किया. भारतीय जनता पार्टी से हमारा व्यक्तिगत झगड़ा नहीं है लेकिन जाते-जाते फडणवीस ने हम पर आरोप लगाए हैं. उन्होंने शिवसेना के सत्ता हेतु लाचार होने की बात कही है. ये कहना वैसे ही है जैसे उल्टा चोर कोतवाल को डांटे. शिवसेना को सत्ता हेतु लाचार कहनेवाले पहले खुद पर जमी धूल को देख लें.

'सत्ता की लाचारी बीजेपी पर पड़ी भारी'
सामना में लिखा गया है कि अजीत पवार से उन्हें ‘नजदीकी’ चलती है लेकिन शिवसेना के साथ जो बात तय हुई थी, उससे पलटी मारकर क्या मिला? सत्ता की लाचारी न होती और दिए गए वचनों का पालन करने की इच्छा होती तो भाजपा पर ये नौबत न आती. तुमने झूठ बोला और शिवसेना को झूठा साबित करने का प्रयास किया. इसलिए महाराष्ट्र की स्थिरता और स्वाभिमान के लिए हम तीन पार्टियों ने एक साथ आने का फैसला लिया.

सामना में लिखा गया है कि महाराष्ट्र में स्थिरता के लिए 2014 में जब बीजेपी ने राष्ट्रवादी का समर्थन लिया था, उस समय वो लाचारी नहीं थी तो फिर अब लाचारी कैसे? भाजपा की विफलता ये है कि उन्होंने दूसरे राज्यों में जो किया वो महाराष्ट्र में नहीं कर पाए. महाराष्ट्र ने दबाव को झिड़क दिया और विधायकों ने आत्मसम्मान बनाए रखा. महाराष्ट्र शिवराय की भूमि है. यहां स्वाभिमान की ज्वालामुखी सदैव धधकती रहती है. इस स्वाभिमान को जब-जब जिसने-जिसने दबाने का प्रयास किया तब-तब महाराष्ट्र ने उसे पानी पिला दिया.

सत्ता के लिए क्यों बेकरार बीजेपी?
सामना में लिखा गया है कि महाराष्ट्र में सत्ता के लिए बीजेपी इतनी बेकरार क्यों थी? इतना अनैतिक और सिद्धांतविहीन आचरण करना दीनदयाल उपाध्याय और अटल बिहारी वाजपेयी के अनुयायियों के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है.   हमारे द्वारा 162 लोगों का आंकड़ा दिखाने के बावजूद उन्होंने हमें झूठा ठहराने का घृणित प्रयास किया. 

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