October 23, 2024

माओवादियों से सांठ गांठ की आशंका में सुरक्षा बलों द्वारा ग्रामीणों से मारपीट चिंताजनक :मो. असलम

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सैकड़ों करोड़ खर्च और सैकड़ों शहादत के बाद भी 15 वर्षो के कार्यकाल में बस्तर में शांति स्थापित करने में नाकाम रही भाजपा सरकार

रायपुर/। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता मो. असलम ने बस्तर के बीजापुर जिले में सुरक्षा बलों द्वारा ग्रामीणों के साथ नक्सलियों से संबंध होने को लेकर बेरहमी से मारपीट करने की घटना को बेहद चिंताजनक बताया है। राज्य सरकार एवं पुलिस विभाग को इसे गंभीरता से लेते हुए जांच की जानी चाहिए। ग्रामीणों के साथ यह बर्ताव सर्वविदित है कि पुलिस और माओवादी दोनों ही ओर से ग्रामीणों को संदेह की दृष्टि से देखा जाता है। माओवाद से अत्यधिक प्रभावित जिला बीजापुर के गंगालूर थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम सावनार के 15 ग्रामीणों ने सुरक्षाबलों पर बंदूक के कुंदे और डंडे से मारपीट का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि सुरक्षाबलों ने इसलिए मारपीट की है कि उनका नक्सलियों से संबंध एवं सांठगांठ है, और उनको सहयोग किया जाता है। ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया है कि फोर्स के जवानों द्वारा पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं एवं बच्चों तक को नहीं बख्शा गया है। जबकि इसमें 9 नाबालिग है और इन्हीं में से 5 बच्चे स्कूली छात्र हैं।
सघन वनों से आच्छादित सुदूर पहाड़ी दुर्गम क्षेत्र से मिल रही खबरों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता मो. असलम ने इसे बर्बर एवं दुर्भाग्यजनक कार्रवाही बताया है। खबरों में यह भी जानकारी मिली है कि पुलिस के भय से ग्रामीण सरकारी अस्पताल में उपचार ना कराकर निजी चिकित्सालय में इलाज करवा रहे हैं। कांग्रेस ने इसे संवेदनशील मामला बताते हुए कहा है कि सरकार एवं शीर्ष पुलिस अधिकारियों को स्वतः संज्ञान लेकर इसकी छानबीन करनी चाहिए। नक्सलियों और सुरक्षाबलों से अगर वनवासी प्रताड़ित होंगे तो उनकी मनोदशा कैसी होगी इसका राजधानी रायपुर में बैठकर सहज अंदाजा लगाना मुश्किल है, पर भय, आतंक और असुरक्षा की स्थिति को समझा जा सकता है। हालांकि पुलिस एवं सुरक्षा बलों को लोकहित के कार्यों में जनता के सहयोग की अपेक्षा रहती है, यही वजह है कि माओवाद से लोहा लेने जवान सदैव तत्पर रहते हैं।
समाचार के मुताबिक यह भी अवगत कराया गया है कि फोर्स द्वारा ग्रामीणों को बेदर्दी से प्रताड़ित करने की, इसी तरह की घटना का आरोप ग्राम कोरचोली के ग्रामीणों ने पूर्व में लगाया था, जिसकी जानकारी सर्व आदिवासी समाज ने महामहिम राज्यपाल को दी थी। अब मारपीट की फिर से दोबारा घटना हुई है, जो बेहद गंभीर है और जांच का विषय है। सरकार द्वारा इस तरह की घटनाओं की सूचना मिलने पर कोई संजीदगी नहीं दिखाना आश्चर्यजनक है। यह भी निराशाजनक है कि 15 वर्षों के कार्यकाल में सैकड़ों करोड़ों खर्च करने एवं सैकड़ों लोगों की शहादत के बाद भी आदिवासी अंचल में सरकार शांति स्थापित करने में पूरी तरह नाकाम है, यह भाजपा सरकार की सबसे बड़ी विफलता है।

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