PoK में 20 कैंप, 350 आतंकी.. क्या कर रहा पाक
नई दिल्ली
पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) और बालाकोट (पाक) में मौजूद आतंकी शिविरों पर वायु सेना की एयर स्ट्राइक को एक साल पूरा होने जा रहा है, वहीं इस कार्रवाई के बाद एकबार फिर पीओके में आतंकी कैम्प फैल गए हैं और उन कैम्पों में हमेशा 250 से 350 आतंकी रहते हैं। आर्मी चीफ जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने गुरुवार को मीडिया से बातचीत में कहा कि पीओके में 15 से 20 कैम्प मौजूद हैं और उनमें हर वक्त 250 से 350 आतंकी रहते हैं, यह संख्या कम-ज्यादा हो सकती है।
आर्मी चीफ ने कहा कि जम्मू कश्मीर में आतंकी घटनाओं में कमी आई है और सेना आतंकी समूहों पर दबाव बनाकर रख रही है। वहीं, पाक सेना के बैट ऐक्शन पर उन्होंने कहा, 'हमें जानकारियां मिल रही हैं। हम पाक के बैट ऐक्शन को असफल करने में सक्षम रहे हैं, उनके हमले से पहले ही हम उसको असफल करने के लिए तैयार रहे हैं।'
FATF करे कड़ाई तो आतंकी घटनाओं में आएगी कमी
टेरर फंडिंग पर निगरानी रखने वाली वैश्विक इकाई FATF की पैरिस में चल रही बैठक के दौरान पाकिस्तान को 'ग्रे' लिस्ट से बाहर नहीं किए जाने की सिफारिश की गई है। वहीं, जनरल नरवणे ने कहा कि FATF के मौजूदा सत्र को लेकर आर्मी चीफ ने कहा, 'चीन को इस बात का अहसास है कि वह हमेशा अपने 'ऑल वेदर फ्रेंड' की मदद नहीं कर सकता।' उन्होंने आगे कहा, 'अगर एफएटीएफ कड़ाई से कार्रवाई करता है तो पाकिस्तान को अपनी चालाकी और गतिविधियों पर दोबारा विचार करना पड़ेगा।'
स्थायी कमीशन के लिए महिलाओं को भेजी जा रही चिट्ठी
सेना प्रमुख ने महिलाओं को सेना में स्थायी कमीशन देने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कहा कि यह फैसला स्वागतयोग्य है जो संस्था की बेहतर क्षमता के लिए अधिकारियों की भर्ती की दिशा में स्पष्टता प्रदान करता है। उन्होंने कहा, ' मैं आश्वस्त करना चाहूंगा कि भारतीय सेना में महिला अधिकारियों समेत सभी को राष्ट्र के प्रति योगदान के साथ ही करियर में तरक्की के लिए भी समान अवसर प्रदान किए जाएंगे।' उन्होंने कहा कि महिला अधिकारियों को पत्र भेजकर पूछा जा रहा है कि क्या वे स्थायी कमीशन को तरजीह देना चाहेंगी।
उन्होंने आगे कहा कि सेना लैंगिक समानता लाने के लिए प्रयासरत है और महिला अधिकारियों को स्थाई कमीशन प्रदान करने का उच्चतम न्यायालय का आदेश इस दिशा में आगे बढ़ने में काफी स्पष्टता प्रदान करेगा। जनरल नरवणे ने कहा, 'भारतीय सेना किसी जवान से धर्म, जाति, वर्ण और यहां तक कि लिंग के आधार पर भेदभाव नहीं करती। भारतीय सेना का नजरिया हमेशा से ऐसा ही रहा है और इसलिए हमने 1993 में ही महिला अधिकारियों की भर्ती शुरू कर दी थी।' उन्होंने कहा कि भारतीय सेना ने हर स्तर पर महिलाओं की भर्ती के लिए पहल की है और सैन्य पुलिस केंद्र तथा स्कूल कोर में 100 महिला सैन्यकर्मियों के पहले बैच को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।