निर्भया केस के दोषी विनय शर्मा ने दीवार पर सर मारकर खुद को किया घायल
नई दिल्ली
निर्भया गैंगरेप और मर्डर के दोषियों के पास फांसी टालने का विकल्प खत्म होने लगा तो अब वो नए तिकड़म में जुट गए हैं। बताया जा रहा है कि चारों दोषियों में एक विनय शर्मा ने सोमवार को जेल की दीवार पर माथा पटककर खुद को घायल कर लिया। वह तिहाड़ जेल के बैरक नंबर तीन में रह रहा है। जेल अथॉरिटीज ने कहा कि निर्भया के दोषियों पर वॉर्डन इन-चार्ज की कड़ी नजर रहती है, फिर भी विनय खुद को चोट पहुंचाने में सफल हो गया। हालांकि, वॉर्डन ने उसे रोका, लेकिन तब तक वह घायल हो चुका था। उसे अस्पताल ले जाया गया जहां प्राथमिक चिकित्सा के बाद उसे छोड़ दिया गया।
फांसी टालने का तिकड़म
सूत्रों ने कहा कि विनय ने जेल के ग्रिल्स में अपना हाथ फंसाकर फ्रैक्चर करने की भी कोशिश की। उसके वकील एपी सिंह ने कहा कि यह घटना 16 फरवरी को हुई थी और विनय की मां ने उन्हें अगले दिन इसकी जानकारी दी थी। 17 फरवरी को विनय ने अपनी मां को पहचानने से भी इनकार कर दिया था। सिंह ने कहा कि विनय की मानसिक अवस्था ठीक नहीं है और नया डेथ वॉरंट जारी होने के बाद से उसकी दिमागी हालत बिगड़ गई है।
जेल अधिकारियों ने कहा- सब ठीक है
हालांकि, जेल अधिकारियों का कहना है कि विनय के साथ बातचीत में इसका कोई संकेत नहीं मिला। एक अधिकारी ने कहा, 'वह बिल्कुल स्वस्थ है और हाल ही में हुए साइकोमेट्री टेस्ट में वह बिल्कुल दुरुस्त निकला।' एक सीनियर ऑफिसर ने कहा कि 3 मार्च का नया डेथ वॉरंट जारी होने के बाद से जेल वॉर्डन और गार्ड के साथ चारों दोषियों का रवैया बेहद आक्रामक हो गया है। उनका व्यवहार बिल्कुल बदल गया है। हालांकि, उनका खान-पान पहले की तरह ही है। विनय शर्मा और मुकेश सिंह ने खाने से जरूर इनकार कर दिया था, लेकिन बहुत मनाने के बाद मान गया।
चारों पर कड़ी नजर
मुकेश, अक्षय, विनय और पवन- निर्भया के इन चारों दोषियों में कोई भी आत्महत्या करने की कोशिश नहीं करे, इसके लिए चार लोगों को उनकी निगरानी के लिए नियुक्त किया गया है। वॉर्डन्स को चौबीसों घंटे दोषियों के सेल में लगे सीसीटीवी कैमरों पर पर नजर रखने को कहा गया है। साथ ही, उनके सेल के बाहर गार्ड्स तैनात हैं। जेल के दूसरे कैदियों के साथ इनका संपर्क बेहद सीमित कर दिया गया है ताकि किसी कैदी का इनके साथ भावनात्मक रिश्ता न बन जाए।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
चारों को अपने-अपने माता-पिता से मिलने की इजाजत है, हालांकि कई बार उन्होंने मिलने से इनकार भी किया है। उन्हें मानसिक तौर पर बिल्कुल चुस्त-दुरुस्त रखने के सारे प्रयास किए जा रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि फांस की सजा पाए दोषी कई बार इसलिए हिंसक व्यवहार करते हैं ताकि उन्हें चोट पहुंचे और वह फांसी को कुछ और वक्त तक टालने में कामयाब रहें। जेल अधिकारियों ने कहा कि अगर कोई दोषी घायल हो जाता है या उसका वजन कम हो जाता है तो स्वस्थ होने तक उसकी फांसी टाली जा सकती है।