वर्ल्ड कप हार का गम, ठुकराई इनाम की कार
मुंबई
अंडर-19 क्रिकेट वर्ल्ड कप में मैन ऑफ द टूर्नमेंट रहे यशस्वी जायसवाल फाइनल की हार के निराशा से उबर नहीं पाए हैं। पूरे टूर्नमेंट में यशस्वी और भारतीय टीम ने शानदार प्रदर्शन किया। मुंबई के इस ओपनर ने फाइनल में भी भारत की ओर से सर्वाधिक 88 रन बनाए थे लेकिन टीम कप नहीं जीत सकी। स्वदेश लौटे यशस्वी को उनके कोच ज्वाला सिंह ने गिफ्ट में एक कार देने की पेशकश की लेकिन उन्होंने विनम्रतापूर्वक इसे लेने से मना कर दिया।
यशस्वी ने आग्रह किया कि गिफ्ट में आप अपनी पुरानी कार दे दें और खुद एक नई कार खरीद लें। दुनिया भर के क्रिकेट एक्सपर्ट्स से तारीफ बटोर रहे यशस्वी ने टूर्नमेंट में 400 रन बनाए और उन्हें भविष्य का स्टार माना जा रहा है।
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18 वर्ष के होने तक राह देखी
ऐसा नहीं है कि कोच कोच ने अचानक ही यशस्वी को नई कार गिफ्ट में देने का फैसला लिया। उन्हें इस बात का अहसास था कि यशस्वी को भारी भरकम किट बैग लेकर प्रैक्टिस करने के लिए ग्राउंड पर जाने में काफी दिक्कत होती है। इस परेशानी को दूर करने के लिए उन्होंने एक नई कार यशस्वी के लिए खरीदने की सोची लेकिन परेशानी थी कि वह 18 वर्ष के नहीं हुए थे।
यशस्वी ने कोच के चैलेंज को भी पूरा किया
पिछले साल 28 दिसंबर को यशस्वी 18 वर्ष के हो गए तो कोच ने सोचा कि अब यशस्वी का ड्राइविंग लाइसेंस भी बन जाएगा, इसलिए कार गिफ्ट करने का सही वक्त है। हालांकि तब वह अंडर-19 वर्ल्ड कप की तैयारियों में बहुत बिजी थे। ज्वाला ने कहा, 'जिस दिन वह साउथ अफ्रीका के लिए रवाना हो रहे थे तो मैंने कहा कि वर्ल्ड कप में अगर तुम सर्वाधिक रन स्कोरर रहे तो तुम्हें एक कार गिफ्ट करूंगा।' यशस्वी ने कोच के चैलेंज को पूरा कर दिखाया और वह बल्लेबाजों की लिस्ट में पहले स्थान पर रहे।
नहीं पता कि फाइनल में क्या हो गया
यशस्वी को वर्ल्ड कप के फाइनल में भारत के हारने और उसके चैंपियन न बन पाने का दुख है। उन्होंने कहा कि मुझे जरा भी अच्छा नहीं लग रहा है कि हम वर्ल्ड चैंपियन नहीं बन सके जबकि पूरे टूर्नमेंट में हम इतना बढ़िया खेले। फाइनल क्यों हारे, इस बारे में पूछे जाने पर इस युवा क्रिकेटर ने कहा कि मुझे समझ नहीं आ रहा कि टीम फाइनल में क्यों चूक गई। सब ठीक ही चल रहा था लेकिन खिताबी मैच अंत में हार गए। उन्होंने कहा कि अब अंडर 19 के दिन खत्म हो गए। अब सीनियर लेवल के लिए खुद को तैयार करना होगा।