छत्तीसगढ़ी भाषा के योगदान को लेकर संगोष्ठी का आयोजन प्रेसक्लब में संपन्न
रायपुर। रायपुर प्रेसक्लब में 28 नवम्बर को छत्तीसगढ़ी राजभाषा दिवस के मौके पर आज छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना व राजभाषा मंच की ओर से जनकवि स्वर्गीय लक्ष्मण मस्तुरिया व छत्तीसगढ़ी भाषा के योगदान को लेकर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर गीतकार व कवि रामेश्वर वैष्णव ने कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा में एक रूपता लाना जरूरी है। कुछ लोग छत्तीसगढ़ लेखन के नाम पर अधकचरा परोस रहें है। छत्तीसगढ़ी भाषा को आगे बढ़ाने के लिए एक तुलसीदास व सूरदास जन्म लेने की जरूरत है। छत्तीसगढ़ी संगीत में जो रिदम है उस पर काम करने का मौका मिलेगा तो पंजाबी रिदम की तरह पॉपुलर हो सकता है।ईश्वर साहू के संकलन में नवा बछर छत्तीसगढ़ी कैलेंडर का विमोचन किया गया है। अब छत्तीसगढ़ी तीज त्योहार की जानकारी मिल सकेगी। इसके अलावा गुलेल डॉट कॉम का विमोचन किया गया।
मंच में कवि मीर अली ने बताया कि वह राजिम में पढ़े 70 के दशक में लक्ष्मण मस्तुरिया से साहित्य का संस्कार लिया। कविता नंदा जाहि का दौरी खेदईया, अरार तुतारी खे दैय्या नन्दा जाहि का। क्रांति सेना के अध्यक्ष अमित बघेल ने याद ताजा करते हुए कहा कि जब तक छत्तीसगढ़ महतारी व भाषा आज़ाद नहीं हो जाता मस्तूरीया जी आप बुढ़े नहीं हो सकते। मस्तुरिया जी को पद्मश्री पुरस्कार मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि रामेश्वर वैष्णव जी व मीर अली जी भले पुरस्कार की जरूरत न हो लेकिन छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान के लिए हम उन्हें पदम् श्री व पदम् विभूषण सम्मान दिलाएंगे। अमित ने कहा कि जेल जाने के बाद मुझे मेरे जन्म लेने का वजह पता चला। मस्तुरिया जी के गीत , जगाओ व धधकौ आगी ,,।
कार्यक्रम के आयोजक छत्तीसगढ़िया राजभाषा मंच के प्रदेश संयोजक नंदकिशोर शुक्ल, वैभव पांडेय, प्रेस क्लब अध्यक्ष दामू आम्बेडरे, प्रो गजेंद्र चंद्राकर, राजकुमार सोनी, लता राठौड़, जागेश्वर प्रसाद सहित अन्य मौजूद रहें।