November 23, 2024

भूपेश बघेल और ताम्रध्वज साहू में कौन होगा प्रदेश का मुखिया नतीजो से पहले फसा पेच

0

रायपुर ,विधानसभा चुनाव के नतीजे भले ही 11 दिसम्बर को आएंगे, किन्तु उससे पहले ही कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के लिए कुर्सी दौड़ प्रारम्भ हो गई है। कांग्रेस आलाकमान ने स्पष्ट संकेत दिए थे कि इस बार छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार बनाने जा रही है। इस सिलसिले में पीसीसी चीफ भूपेश बघेल व सांसद ताम्रध्वज साहू को दिल्ली तलब किया गया। आज इन दोनों नेताओं ने दिल्ली में वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात की। इस दौरान भूपेश बघेल ने 90 सीटों की रिपोर्ट प्रस्तुत की। विगत दो दिनों से इस बात की चर्चा जोरों पर है कि कांग्रेस आलाकमान भावी मुख्यमंत्री तय करने की कोशिश में है। भूपेश व ताम्रध्वज इस दौड़ में सबसे आगे हैं।
कांग्रेस ने जब पूर्व केन्द्रीय मंत्री चरणदास महंत को विधानसभा चुनाव लडऩे का फैसला किया तब कयास लगाया गया था कि महंत को पार्टी सीएम के लिए प्रोजेक्ट कर सकती है, क्योंकि महंत लम्बे समय से संसदीय चुनाव लड़ते रहे हैं। उन्हें अचानक विधानसभा का चुनाव लड़वाने के कई मायने निकाले गए। इसके पश्चात छत्तीसगढ़ से इकलौते निर्वाचित सांसद ताम्रध्वज साहू को जब अंतिम समय में पार्टी ने टिकट दी तब उन्हें लेकर कयासों का दौर प्रारम्भ हो गया। पीसीसी चीफ होने के नाते भूपेश बघेल की भी स्वाभाविक दावेदारी है। इसके अलावा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे टीएस सिंहदेव को भी सीएम पद का दावेदार माना जाता रहा है। किन्तु हाईकमान ने भूपेश बघेल और ताम्रध्वज साहू को ज्यादा तवज्जो देकर यह स्पष्ट करने की चेष्टा की है कि यदि सरकार बनाने की स्थिति बनती है तो इन दो चेहरों में से ही कोई सीएम होगा।
एक ओर जहां भूपेश बघेल आक्रामक राजनीति के लिए जाने जाते हैं, वहीं ताम्रध्वज साहू ठीक इसके विपरीत राजनीति करते हैं। चुनाव से ऐन पहले भूपेश बघेल दो सीडी कांड में फंस गए थे। एक मामले में तो जमानत नहीं लेने की वजह से उन्हें जेल तक जाना पड़ा। इस घटनाक्रम से कांग्रेस हाईकमान नाराज हुआ और भूपेश को स्पष्ट हिदायत दी कि वे जल्द ही जमानत लेकर बाहर आएं। कुल मिलाकर जेल जाकर राजनीतिक फायदा उठाने की सोच खुद भूपेश बघेल पर भारी पड़ गई। वहीं ताम्रध्वज साहू को लेकर आम धारणा है कि वे गुटों की राजनीति नहीं करते और समन्वय पर ज्यादा भरोसा करते हैं। उनका सौम्य चेहरा भी सीएम पद के लिए पूरी तरह परफेक्ट है। कांग्रेस ने अपने चुनाव घोषणा-पत्र में कई महत्वपूर्ण वायदे किए हैं। इनमें किसानों की कर्ज माफी और बिजली बिल आधा करने जैसे वायदे प्रमुख हैं। पार्टी को लगता है कि इन वायदों ने इस चुनाव में असर दिखाया है और मतदाताओं ने कांग्रेस पर भरोसा जताते हुए मतदान किया है।
 फैसला अभी बाकी है …
वैसे तो कांग्रेस में मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट करने की परंपरा नहीं रही है। यहां सीएम का फैसला विधायक दल करता है। लेकिन हकीकत यह भी है कि विधायक दल वही फैसला करता है, जिसका निर्देश हाईकमान से मिलता है। आशय यह कि बहुमत की स्थिति में विधायकों को हाईकमान यह बताएगा कि उसकी पसंद क्या है और उसी के आधार पर विधायक दल की बैठक में निर्णय होगा। सन् 2000 में जब छत्तीसगढ़ अलग राज्य बना तब हाईकमान ने ही अजीत जोगी को दिल्ली से रायपुर भेजा था। जोगी तब विधायक भी नहीं थे। गौरतलब है कि दिल्ली पहुंचे सांसद ताम्रध्वज साहू ने कल कहा था कि मुख्यमंत्री का चयन विधायक दल करेगा।
 कई दावेदारों के पत्ते साफ़ 
भले ही नतीजे आने वाले में अभी वक्त है, पर कांग्रेस में चल रही सीएम पद की दौड़ तेज  हो गई है। अब तक रविन्द्र चौबे, सत्यनारायण शर्मा, भूपेश बघेल, टीएस सिंहदेव, डॉ. चरणदास महंत व ताम्रध्वज साहू समेत दर्जनभर नाम सुर्खियों में रहे। मजे की बात है कि अब तक यह भी स्पष्ट नहीं है कि ये चेहरे चुनाव जीतेंगे भी या नहीं, बावजूद इसके पार्टी के भीतर उठापटक चलती रही। राजनीतिक पंडितों की मानें तो छत्तीसगढ़ में सवर्ण वर्ग से मुख्यमंत्री बनाए जाने की संभावना फिलहाल नहीं है। ऐसे में पिछड़ा वर्ग की दावेदारी मजबूत होती है। इन हालातों में भूपेश बघेल, डॉ. चरणदास महंत व ताम्रध्वज साहू के रूप में प्रमुख चेहरे सामने आते हैं। क्योंकि हाईकमान ने महंत को बहुत ज्यादा तवज्जो नहीं दी है, इसलिए दो नाम ही प्रमुखता से सामने आ रहे हैं। गौरतलब है कि चुनाव प्रचार के दौरान छत्तीसगढ़ आए कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने चरणदास महंत को भावी मुख्यमंत्री बताया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *