October 27, 2024

आंकड़ों की बाजीगरी से जनता का जीवन नहीं बदलता : कांग्रेस

0

रायपुर, आंकड़ों की बाजीगरी से जनता का जीवन नहीं बदलता, सच यह है कि छत्तीसगढ़ 15 वर्षों में बदहाल हो गया। जब राज्य बना था तो छत्तीसगढ़ में 37 प्रतिशत गरीब थे, अब वे बढ़कर 50 प्रतिशत तक हो गए हैं। पिछले तीन वर्षों में ही छत्तीसगढ़ में 1400 से अधिक किसानों ने आत्महत्या की है। विकास का आलम यह है कि भाजपा सरकार को विकास दिखाने के लिए पूरे प्रदेश से जनप्रतिनिधियों को ढो ढोकर नया रायपुर दिखाना पड़ता है। यह बातें कांग्रेस मीडिया विभाग चेयरमेन शैलेश नितिन त्रिवेदी ने प्रदेश कांग्रेस भवन में पत्रकारवार्ता में कही।
उन्होंने कहा कि आल इंडिया कांग्रेस कमेटी की ओर से जयवीर शेरगिल को मीडिया प्रतिनिधि और राधिका खेरा को स्टेट मीडिया को-ऑर्डिनेटर नियुक्त किया गया है। चुनाव के दौरान वे छत्तीसगढ़ में ही रहेंगे। वहीं कांग्रेस ने आज एक विडियो जारी किया जिसमें प्रदेश सरकार के विकास को अलग चश्मे से दिखाने की कोशिश की गई।
उन्होंने कहा कि किसान नाराज, मजदूर बेकार, उद्योगपति और कारोबारी नाराज, सरकारी कर्मचारी नाखुश तो फिर पिछले 15 वर्षों में किसका विकास हुआ। महिलाओं और बच्चों में कुपोषण के मामले में छत्तीसगढ़ सबसे पिछड़ा हुआ है। नेशनल सैंपल सर्वे की रिपोर्ट बताती है कि देश की सबसे ज्यादा झुग्गियां छत्तीसगढ़ में है। यहां की 18 प्रतिशत आबादी झुग्गियों में रहती है।उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट में दाखिल एक याचिका पर जवाब पेश करते हुए सरकार हालांकि कह रही है कि कोई घोटाला नहीं हुआ लेकिन तथ्य बता रहे हैं कि नान घोटाला हुआ और भारी भरकम घोटाला हुआ।
यह बात कांग्रेस या किसी और ने नहीं कही बल्कि सरकार की अपनी एजेंसी एसीबी ने कही। तभी तो छापे मारे गए और गिरफ्तारियां हुईं। मामले में कई आरोपी अभी भी जेल में हैं और कुछ गिरफ़्तारियां बाक़ी हैं।
में सरकार पर 36000 करोड़ के घोटाले का आरोप है। एसीबी ने नान घोटाले में जो छापे मारे उसमें ज़ब्त किए दस्तावेज़ों से पता चला कि पैसे सीएम मैडम को गए, सीएम कुक को गए, नागपुर गए (जहां आरएसएस का मुख्यालय है, और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे नितिन गडकरी रहते हैं), लखनऊ गए (जहां भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते थे), एश्वर्या रेसीडेंसी गए (जहां रमन सिंह की रिश्तेदार रहती हैं) और सतना गए जहां मुख्यमंत्री के रिश्तेदार रहते हैं। उन्होंने कहा कि अब रमन सिंह को जनता को बताना चाहिए कि कऱीब 13 लाख फज़ऱ्ी राशन कार्ड बनाकर जो घोटाला हुआ उसका कितना पैसा किसको गया।
श्री त्रिवेदी ने कहा कि राशन कार्ड घोटाले को लेकर एक याचिका फऱवरी, 2016 को लगाई गई थी। इस पर सरकार को नोटिस जारी हुई लेकिन सरकार ने टालते टालते आख़रिकार मई, 2018 में अपना जवाब पेश किया।
इस जवाब में सरकार ने कई गड़बडिय़ों को स्वीकार कर लिया है। पहला यह कि सरकार पहले भी फज़ऱ्ी राशन कार्ड बना रही थी, इसीलिए वर्ष 2010-11 में 4.34 लाख राशनकार्ड निरस्त किए गए और 2011-12में 2.03 लाख राशन कार्ड निरस्त किए गए थे। लेकिन आश्चर्यजनक रुप से सितंबर, 2013 में राशन कार्डों की संख्या एकाएक कई गुना बढ़ गई। जनसंख्या के आंकड़े और जनसंख्या वृद्धि के आंकड़े जोड़ लें तो पता चलता है कि 2013 के अंत में छत्तीसगढ़ में कुल 59 लाख परिवार होने चाहिए थे लेकिन सरकार ने 72.03 लाख राशन कार्ड जारी कर दिए।
जब कांग्रेस ने नान घोटाले का मुद्दा उठाया तो सरकार ने राशन कार्ड निरस्त करने शुरू किए। अब सरकार के आंकड़े कहते हैं कि इस समय तक 12.90 लाख राशन कार्ड निरस्त किए जा चुके हैं. इनमें से 2.70 लाख राशन कार्ड तो खुद कार्ड धारकों ने निरस्त करवाए हैं। मई, 2018 में भी सरकार कहती है कि अभी भी राशन कार्ड निरस्त होने का क्रम जारी है और आधार से लिंक करने का काम पूरा होने तक जारी रहेगा।
सरकार के बजट में प्रावधान सिफऱ् 42 लाख परिवारों को राशन देने का था। फिर भी सरकार ने 72.03 लाख राशन कार्ड जारी कर दिए। इसके लिए कोई बजट प्रावधान भी नहीं किया गया। अगर राशन वितरण का

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *