November 23, 2024

धानापुरी में मनरेगा और ग्रामीणों की योगदान से बंजर-पथरीली जमीन में छायी हरियाली

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रायपुरमहात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना(मनरेगा) के तहत वृक्षारोपण से बालोद जिले के गुरुर विकासखण्ड की ग्राम पंचायत-धानापुरी के लगभग साढे़ चार एकड़ जमीन में हरियाली दिखने लगी है। सरपंच, पंच और ग्रामीणों के सहयोग से ही इस बंजर एवं पथरीली जमीन को हरियर बना पाना संभव हो पाया हैं।धानापुरी की ग्राम रोजगार सहायिका श्रीमती हेमलता सिन्हा के बताया कि बंजर और पथरीली जमीन होने के कारण लगभग 4.50 एकड़ का यह भूखंड काफी समय से पड़ती भूमि के रूप में पड़ा था। इसे उपयोगी बनाने के लिए ग्राम पंचायत में चर्चा की गई। ग्राम सभा में ग्रामीणों ने यहाँ वृक्षारोपण करने का निर्णय लिया। पथरीली जमीन पर पौधरोपण और उन्हें जीवित रखने की चुनौती थी। इस चयनित भूमि पर मनरेगा से छह लाख 30 हजार रुपयों की लागत से पौधरोपण का प्रस्ताव रखा गया। इस प्रस्ताव के अंतर्गत एक हजार फलदार पौधों के रोपण का लक्ष्य रखा गया। एक मार्च, 2014 को भूखंड की साफ-सफाई  करायी गई। इसके बाद गाँव के 219 ग्रामीणों, जिनमें 121 महिलाएं और 98 पुरुष शामिल थे ने मिलकर वृक्षारोपण शुरु किया। आज इस भूखंड पर लगभग एक हजार पेड़ की हरियाली है। इनमें आंवला के 150, आम के 150, अमरुद के 200, कटहल के 50, जामुन के 250 और नींबू के 150 पेड़ लगाए गए हैं। जब इन्हें लगाया गया था, तब इनकी अधिकतम साईज डेढ़ फीट थी और आज जुलाई, 2018 में ये 7 से 10 फुट तक की ऊँचाई के हो गए हैं। अमरुद के पेड़ों में तो फल भी आ गए हैं।  सरपंच श्रीमती योगेश्वरी सिन्हा ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण और भविष्य में होने वाले आर्थिक फायदे की उम्मीद में पंचायत द्वारा वृक्षारोपण करवाया गया। पौधों को बचाये रखने के लिए चारों ओर पोल एवं तार से घेराबंदी कराई गई। पानी की व्यवस्था के लिए बोर खनन करवाया गया। पानी की पहुँच हर पौधे तक पहुंचाने के लिए नाली निर्माण के माध्यम से पानी के डायवर्सन की व्यवस्था की गई। आज यह वृक्षारोपण हरा-भरा होने के कारण गार्डन के समान आकर्षक नजर आता है। बंजर और पथरीली जमीन आज पंचायत और ग्रामीणों के लिए महत्वपूर्ण बन गई। वृक्षारोपण के संरक्षण एवं पोषण के प्रति यहाँ के ग्रामीण काफी सजग हैं। इसका प्रभाव गुरुर विकासखण्ड की अन्य ग्राम पंचायतों में भी देखने को मिल रहा है। इन वृक्षारोपण को देखकर यहाँ यह स्पष्ट रुप से कहा जा सकता है कि ग्रामीणों के प्रयास ने बंजर और पथरीली जमीन की तस्वीर ही बदल गई है।

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