चिरमिरी में ईद व सर्वधर्म मिलन कार्यक्रम हुआ आयोजित
सभी धर्मों के लोग एक साथ चलकर एक जुटता लाएंगे तो कोई भी शक्ति व ताकत हमारे देश एवं क्षेत्र के विकास को नहीं रोक सकती :लखनलाल श्रीवास्तव
चिरमिरी । गत वर्ष की भांति इस वर्ष भी आपसी सदभाव प्रेम व भाईचारे का पर्व ईद-उल-फ़ित्र के अवसर पर शनिवार को चिरमिरी के अलवीना होटल में भाजपा किसान मोर्चा प्रदेश उपाध्यक्ष लखनलाल श्रीवास्तव के तत्वाधान में ईद व सर्वधर्म मिलन कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में मुश्लिम समाज के तमाम मस्जिद के सदर,हिदू ,मुस्लिम, शिख ईसाई समाज के लोगों का साल व श्रीफल से स्वागत किया गया। इस दौरान मंच संचालन कर रहे कासिम फूलवाला ने कहा तोपो के मुँह मोड़ दिए मेरे देश के चरखे खादी के हम तो परवाने है, जलते सम्मे आज़ादी के। सुरमई संदली और केशरी रंगत बनकर नूर चहरे पर उभर आया चाहत बनकर प्यार की शिढ़ीया दो चार चढ़ लीजिए जनाब दुनिया क़दमो में लिपट जायेगी जन्नत बनकर। इस प्रकार के शायराना अंदाज़ से आये हुए अतिथियों का मन मोह लिया। तत्पश्चात लखनलाल श्रीवास्तव ने कहा कि पिछले 4 सालों से निरंतर ईद व सर्वधर्म मिलन का कार्यक्रम आयोजित कर रहे है। कौमी एकता को बनाए रखने प्रतिवर्ष ऐसा कार्यक्रम मेरे द्वारा किया जाता है। कौमी एकता भारत देश की एक महत्वपूर्ण मांग है, विश्व के कई देश जिनकी निग़ाह भारत पर है, उस भारत को आपार ख़ुशी, शांति व कौमी एकता के रूप में हम सभी को अग्रसर करना है। इसके लिए हिन्दू, मुस्लिम, शिख, ईसाई सभी धर्मों को एकजुट होकर रहना होगा। हमारा यह भारत देश अनेक देश के कुलरान हर तरह हर जाति, संप्रदाय के लोग अपना सुगन्ध फैला रहे है। यहाँ पर विविधता में भी एकता का वातावरण है, जननी व जन्मभूमि स्वर्ग से भी ज़्यादा प्यारा व महत्वपूर्ण होता है।
प्रेम ईश्वर की बनाई हुई रचना है, पर कट्टरपंथ एक-दूसरे को अलग करने में लगा है:लखनलाल
हिन्दू भारत देश का मुस्लिम मादरे वतन सभी को इस धर्म से प्रेम है। देश एक हो सभी धर्मों के लोग एक साथ चलकर एक जुटता लाएंगे तो कोई भी शक्ति व ताकत हमारे देश एवं क्षेत्र के विकास को नहीं रोक सकता। साथ ही हमारे देश में कौमी एकता और बढ़ेगी। भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष दीपक पटेल ने कहा कि ईद पर्व के जाने के बाद हिंदुओ का भी आज एक महत्वपूर्ण पर भीम एकादशी पर्व है, यह काफ़ी हर्ष की बात है कि हम सभी धर्मो के लोगों का मिलन इस सर्वधर्म मिलन के माध्यम से आज हुआ है। अगर धार्मिक रीति-रिवाज़ से देखा जाए तो धर्म हम सभी को आपस में मिलाने को लगा है। उन्होंने कहा सारे ग्रथों का सार प्रेम ग्रन्थ में है। प्रेम में शक्ति जो है। प्रेम ही ईश्वर का स्वरुप है। समाज में जो व्यतता जो बनाई गई है, की हम अपने काम में इतने मगन हो जाते है, की उस ईश्वर को भी भूल जाते है। हर धर्म में एक त्यौहार आता है, श्रेष्ठ स्थान देने वालों का पूजा-अर्चना करना प्रभु को याद करने का यह एक अर्थ है। प्रेम ईश्वर की बनाई हुई रचना है, पर कट्टरपंथ एक-दूसरे को अलग करने में लगा है, पड़ोसियों से भी अच्छा व मधुर प्रेम संबंध होना चाहिए। अपने साथ दूसरे के धर्मो का भी सम्मान करना चाहिए।
सदर सफीक अहमद ने ईस्लाम धर्म की बाते बताते हुए कहा कि एक अच्छा इंसान होने के लिए केवल इस्लाम धर्म का होना ही काफी नही है , इस धर्म में 5 नियमो का पालन करना अनिवार्य है – ईमान, नमाज अदा करना, हज की यात्रा , रोजा और जकात
अरब में पैगम्बर हजरत मोहम्मद ने देखा यहाँ हर व्यक्ति एक दुसरे से दूर हो रहा है, पूरा अरब गरीब और मिर दो भागो में बट गया है , तब सभी को एकजुट करने के लिए मोहम्मद साहब ने विचार किया और सभी को एक नियम का पालन करने को कहा, जिसका नाम रोजा रखा , उन्होंने कहा पुरे दिन हम कुछ भी नही खाएगे और पानी की एक बूंद भी ग्रहण नही करेगे, कोई भी पकवान हो हमें उसका त्याग करना है। उनका कहना था, इससे सभी में त्याग और बलिदान की भावना जाग्रत होगी, एक दुसरे के दुःख को महसूस किया जा सकेगा, और सभी के मन में सदभावना आएगी। उन्होंने जकात उल फितर का रास्ता बताया, सभी ने इसका पालन किया इससे अपने से पिछड़े लोगो को दान कर उन्हें मदद प्राप्त हुई।
इस पर्व से जुडी हुई हुई अन्य बाते-
पहली बार यह दिन 624 ईस्वी में मनाया गया था, पैगम्बर हजरत मोहम्मद ने बद्र के साथ युद्ध किया, और इस युद्ध में पैगम्बर हजरत मोहम्मद की जीत हुई। इस ख़ुशी में पहली बार ईद-उल- फितर त्यौहार मनाया गया।
अरब में त्योहारों का उल्लेख करने के साथ कुछ महत्वपूर्ण दिन का निर्धारण किया गया, इसमें शाव्वल के महीने के पहले दिन चाँद देख कर यह त्यौहार मनाया जाता है।
रमजान के 29 या 30 दिन के कठिन उपवास के ख़त्म होने के बाद यह दिन आता है। प्रेम और सद्भावना के साथ सभी एक साथ मिलकर सभी मुस्लिम यह त्यौहार मनाते है, नमाज अदा करते है दान करते है, एक दुसरे से गले मिलकर उपहार देते है।इस दिन हर मुस्लिम का फर्ज होता है कि वो अपने शक्ति से जितना भी बन सके उतना जरुरतमंदों को दान करे, इस दिन सभी अल्लाह से रहमत अपनी गलतियों के लिए माफ़ी बरकत की दुआ करते है। इस तरह तमाम धर्मों के नागरिकों ने अपने-अपने धर्मो के बारे में बताया।इस दौरान अंजुमन पोड़ी के सदर शुभान साहब, इस्तेयाक, सदर कय्यूम, हामीद अली, मो.शाहिद, सफीक अहमद, असलम, हाजी इम्मामुद्दीन, महमूद अली, सलाउद्दीन पंडित रत्नेश दुबे, सरदार तारा सिंह, सहयोगी बृजेश सिंह, राणा मुखर्जी, मोहित खरे, अभिषेक कर व अन्य सभी समाज धर्मो के लोगो की सहभगिता रही।।