नगर पंचायत प्रतापपुर में अधिकारियो की मौज : जारी है नियम विरुद्ध निर्माण कार्य
सूरजपुर,अजय तिवारी । जिले के नगर पंचायत प्रतापपुर में शासन की स्वीकृति के बिना ही निर्माण कार्य कराने का प्रचलन सा हो गया है,इनके लिए न स्टीमेट बनता है और नहीं ड्राइंग,टेंडर भी जारी नहीं किया जाता और कार्य हो जाता है। ऐसे ही कुछ काम अभी भी नगर पंचायत में जारी हैं जिनमें सभा हाल में लाखों का फर्नीचर निर्माण कार्य शामिल है।कमाल की बात है सभी कार्य होने के बाद गुपचुप इनका टेंडर निकाल पूरी प्रक्रिया पूर्ण कर ली जाती है,मामले में परिषद के प्रस्ताव के आधार पर बिना टेंडर काम कराने का सीएमओ का बयान इसे सन्देहास्पद बना रहा है।
उल्लेखनीय है कि नगर पंचायत प्रतापपुर में विभिन्न मदों से लाखों के ऐसे काम चल रहे हैं जिनके लिए कोई प्रक्रिया ही नहीं अपनाई गई है,बस मन में आया और काम चालू करा दिया जिसमें नगरीय निकाय के जनप्रत्तिनिधियों के साथ यहां के अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। वर्तमान में ऐसा ही लाखों का एक काम नगर पंचायत के सभा हाल में बैठक टेबल सहित अन्य कराया जा रहा है जिसके लिए न निविदा निकाली गई है और न कोई अन्य प्रक्रिया पूरी की गई है। कोई भी काम कराने से पहले कार्य का स्टीमेट,ड्राइंग आदि बनाया जाता है,फिर कार्य करने के लिए उच्च स्तर पर अनुमति ली जाती है और फिर उसका टेंडर निकाला जाता है लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस कार्य के लिए ऐसी कोई प्रक्रिया नगर पंचायत द्वारा नहीं अपनाई गई है। बस नगर पंचायत के जनप्रतिधियों और अधिकारियों के मन मे आया और अपने चहेते को काम की जिम्मेदारी दे दी,काम करा रहा ठेकेदार अपनी मर्जी से जितना चाहेगा काम कराएगा और आने हिसाब से बिल बता देगा। जिस तरह से काम लंबे समय से समय से हो रहा है यह लाखों रुपये का है। सूत्रों के अनुसार काम पूरा होने के बाद इसके लिए आवश्यक प्रक्रिया की जाएगी जो पूरी तरह फर्जी तरीके से होगी। गौर करने वाली बात है कि यह का यदि पूरी प्रक्रिया के तहत होता तो अन्य लोग इसके लिए बुलाये जाने वाले टेंडर में शामिल होते और शासन को फायदा होता किन्तु गलत तरिके से हो रहे काम के कारण शासन को भी नुकसान होगा। बड़ी बात तो यह है कि नगर पंचायत प्रतापपुर में काम विकास के हिसाब से नहीं वरन चुनिंदा लोगों को फायदा पहुंचाने के हिसाब से कराए जाते हैं और सभा हाल में बिना प्रक्रिया के फर्नीचर का निर्माण इसी का उदाहरण है।बिना प्रक्रिया गुप चुप काम कराने का यह एकलौता उदाहरण भी नहीं है पार्षद निधि सहित अन्य मदों से कई अन्य काम भी कराये गए हैं या कराये जा रहे हैं जिनमें इसी तरह फर्जीवाड़ा किया गया है।
वहीं जब इस फर्जीवाड़े के सम्बंध में सीएमओ श्री रात्रे से बात की गई तो वह स्पष्ट जवाब नहीं दे सके,पहले उन्होंने परिषद की मंजूरी से काम कराने की बात कही फिर पीआईसी की बात करने लगे और फिर देखकर बताने की बात कही। सीएमओ के बयान के बाद सवाल यह भी उठता है कि क्या परिषद को यह अधिकार है कि वह बिना किसी प्रक्रिया नियमों को ताक में रख कुछ भी काम करा ले।