जम्मू कश्मीर से बस्तर तक जवानों की मौत भाजपा और भारत की रक्षामंत्री के लिए नही चिंता का विषय
निर्मला सीतारमण ने बीजापुर नक्सली हमले में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देना उनके शहादत पर दो शब्द कहना भी जरूरी...
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रायपुर, गन्ना पेराई वर्ष 2017-18 के दौरान प्रदेश के सहकारी शक्कर कारखानों में किसानों से खरीदे गए गन्ने पर उन्हें...
नई दिल्ली : पर्यावरण संरक्षण और जनता के लाभ के लिये बने करीब एक लाख करोड़ रुपए के कोष की...
गोड़से के अनुयायी गोली शब्द से तिलमिला गए रायपुर कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रामदयाल उइके के बयान पर भाजपा की बयानबाजी...
रायपुर,छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग तथा गौ शालाओं के प्रभावी प्रबंधन के लिए सुझाव देने पशुधन विकास मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल की अध्यक्षतामें गठित मंत्रिमंडलीय उप समिति की अंतिम बैठक आज यहां मंत्रालय (महानदी भवन) में आयोजित की गई। बैठक में आयोग के काम-काज कोऔर भी बेहतर बनाने तथा गौ शालाओं के लिए प्रचलित अधिनियमों, नियमों तथा दिशा-निर्देशों पर व्यापक चर्चा के बाद कई सुझाव दिए गए । उप समिति के सुझावों के बारे में गौ शालाओं के प्रबंधकों से सुझाव आमंत्रित करने का निर्णय लिया गया। सुझाव गौसेवा आयोग के ई-मेलgsaayog@gmail.com अथवा प्रत्यक्ष रूप से राजधानी रायपुर स्थित गौसेवा आयोग कार्यालय में दिए जा सकते हैं। पशुधन मंत्री श्री अग्रवाल नेउप समिति के सुझावों को गौ सेवा आयोग की वेबसाइट पर प्रदर्शित करने के निर्देश दिए। सुझाव बैठक में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री श्रीअजय चंद्राकर, संसदीय सचिव श्रीमती रूप कुमारी चैधरी, छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष श्री बिशेषर पटेल उपस्थित थे। बैठक में गौ शालाओं में तैयार वर्मी कम्पोस्ट एवं जैविक खाद का मानक परीक्षण इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय अथवा अन्य मानक निर्धारणकरने वाली संस्था से कराए जाने के बाद बीज निगम के माध्यम से दर निर्धारित करने का सुझाव देने का निर्णय लिया है। गौ शालाओं को पोषणआहार के लिए प्रति पशु प्रति दिन 25 रूपए की जगह 50 रूपए दिया जाए। ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित गौशालाओं के बेहतर प्रबंधन के लिए 5 से 10एकड़ जमीन चारागाह के लिए निःशुल्क दी जानी चाहिए। शहरी क्षेत्रों की गौशालाओं को ग्रामीण क्षेत्रों में जमीन दी जाए। ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों मेंकांजी हाउस को सुदृढ़ किया जाए। कांजी हाउस के पशुओं के बेहतर प्रबंधन एवं पोषण के लिए प्रति पशु के मान से पर्याप्त वित्तीय व्यवस्था संबंधितविभागों द्वारा की जानी चाहिए। उप समिति द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों के कांजी हाउस को सुदृढ़ बनाने की अनुशंसा की गई है। प्रदेश के 40 विकासखण्डों मेंनई गौशालाएं स्थापित करने के लिए चिन्हित जमीन को सुरक्षित करने के लिए व्यवस्था की जाए। पशुधन विकास मंत्री श्री अग्रवाल ने अधिकारियोंसे कहा कि चिन्हित जमीनों को पशुधन विकास विभाग के नाम दर्ज कराने की कार्रवाई तत्काल की जाए। यह भी अनुशंसा की गयी कि गांवों के गौठानों को सुरक्षित कर पशुधन के लिए पेयजल और शेड की व्यवस्था की जानी चाहिए। गौठानों केआसपास वृक्षारोपण भी कराया जाना चाहिए। गौशालाओं के संचालकों की ओर से हर साल आम सभा बुलाई जानी चाहिए। आम सभा में गौशालासमिति के शासकीय सदस्यों, गौसेवा आयोग के सदस्यों, जीव-जन्तु कल्याण बोर्ड के सदस्यों तथा स्थानीय निकायों के सदस्यों को आमंत्रित कियाजाए। गौशालाओं के आय-व्यय तथा कार्रवाई विवरण के आधार पर ही अनुदान की पात्रता निर्धारित की जाए। इन सदस्यों को गौशालाओं मेंआयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रमों जैसे गौपाष्टमी, जन्माष्टमी और गोवर्धन पूजा आदि में आमंत्रित किया जाए। खेती-किसानी में उपयोग होने वालेपशुओं के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए गौशालाओं को पशुधन संख्या के आधार पर शेड एवं अन्य कार्य के लिए दी जा रही राशि में बढ़ोतरी की जाए।गोबर और गौमूत्र की गुणवत्ता युक्त संकलन, प्रसंस्करण के साथ-साथ औषधि जीवामृत, अमृतपानी, कीट नियंत्रक, गोनाइल और जैविक खाद बनानेव उनके विपणन के लिए गौशालाओं का चयन किया जाए। चयनित गौशालाओं को इसके लिए प्रशिक्षण केन्द्र के रूप में विकसित करने जरूरीअधोसंरचनाएं बनाई जाए। गौशालाओं में सौर ऊर्जा से पशुओं के पेयजल तथा चारा उत्पादन के लिए सिंचाई व्यवस्था के लिए सौर सुजला योजना मेंशामिल किया जाए। गोबर, गौ-मूत्र तथा गौशाला से निकलने वाले अन्य अपशिष्टों पर आधारित उद्योग लगाने हेतु उद्योग विभाग की ओर से विशेषकार्य योजना बनाई जाए। गौशालाओं में सुव्यवस्थित कार्य के लिए आवश्यक उपकरण जैसे-चाफ कटर, स्प्रेयर, ग्रॉस कटर, गोबर स्क्रेपर, छोटीट्रेक्टर ट्रॉली के अलावा सिंचाई उपकरण के लिए कृषि विभाग से अनुदान की व्यवस्था की जाए। गौशालाओं से संबंधित गांवों के स्थानीय इच्छुकव्यक्तियों को प्राईवेट कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता योजना के अंतर्गत प्रशिक्षण दिया जाए। गौशाला में पशुधन संरक्षण एवं संवर्धन कार्य बेहतर ढंग सेकिया जा सके। उप समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि राष्ट्रीय राजमार्गों, प्रांतीय राजमार्गों, जिला मार्गों और मुख्य सड़कों पर दुर्घटना ग्रस्त पशुओंके बेहतर इलाज के लिए और जप्त किए गए पशुओं को तात्कालिक रूप से उचित सुविधा देने के लिए सभी जिलों में काउकेचर के साथ विशेष परिसर(एनीमल होल्डिंग प्रिमाईसेस) बनवाए जाए। बैठक में कृषि विभाग के अपर मुख्य सचिव एवं कृषि उत्पादन आयुक्त श्री सुनील कुजूर, सचिव नगरीय प्रशासन डॉ. रोहित यादव, सचिव कृषिश्री अनूप श्रीवास्तव, सचिव राजस्व श्री एन.के. खाखा, संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं डॉ. एस.के. पाण्डेय सहित वित्त विभाग, वन विभाग,छत्तीसगढ़ गौसेवा आयोग और अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
रायपुर, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के संस्थापक एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अजीत जोगी जी ने कहा है कि राष्ट्रीय स्वंय सेवक...
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रायपुर, मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता में आज यहां मंत्रालय (महानदी भवन) में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में विभिन्न महत्वपूर्ण फैसलों के साथ वर्ष2017-18 के चना उत्पादक किसानों को डेढ़ हजार रूपए प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि देने का भी निर्णय लिया गया। लगभग 120 करोड़ रूपए कीप्रोत्साहन राशि का भुगतान किया जाएगा। प्रारंभिक आंकलन के अनुसार राज्य के चार लाख से ज्यादा किसानों को रमन सरकार के इस फैसले का फायदामिलेगा। बैठक के बाद राजस्व और उच्च शिक्षा मंत्री श्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय ने केबिनेट के फैसलों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि श्रम विभाग के प्रस्ताव पर विचार करने के बाद मंत्रिपरिषद ने कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआई) को रायगढ़ जिले के ग्राम परसदामें औद्योगिक श्रमिकों के लिए 100 बिस्तरों वाले अस्पताल भवन का निर्माण करने लगभग साढ़े चार हेक्टेयर शासकीय भूमि निःशुल्क देने का भी निर्णयलिया। रायगढ़ क्षेत्र में कर्मचारी राज्य बीमा निगम में पंजीकृत करीब 65 हजार कामगारों को इसका लाभ मिलेगा। वर्तमान में उनके प्राथमिक उपचार के लिएविभिन्न औषधालय तो कार्यरत है, लेकिन अंतः रोगी चिकित्सा सुविधा के लिए कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआई) का कोई भी अस्पताल वहां नहीं है।अब ईएसआई द्वारा राज्य शासन से मिलने वाली भूमि पर आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं से सुसज्जित अस्पताल और कर्मचारियों के लिए आवासीय परिसरका भी निर्माण किया जाएगा। निर्माण कार्य और भवनों के रख-रखाव का सम्पूर्ण खर्च ईएसआई द्वारा वहन किया जाएगा। राजस्व मंत्री श्री पाण्डेय ने बताया कि प्रदेश में रबी वर्ष 2017-18 में धान के बदले दलहन-तिलहन लगाने के लिए प्रचार-प्रसार के जरिए किसानों कोप्रोत्साहित किया गया। इसके फलस्वरूप करीब 40 लाख 64 हजार हेक्टेयर में रबी फसलों की खेती की गई। इसमें से लगभग आठ लाख हेक्टेयर में चना बोयागया। मंत्रिपरिषद ने आज की बैठक में निर्णय लिया कि वर्ष 2017-18 के राजस्व अभिलेखों में जिन किसानों का नाम चना उत्पादक के रूप में दर्ज किया गयाहै, उन्हीं किसानों को 1500 रूपए प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि की पात्रता होगी। इस प्रोत्साहन राशि की व्यवस्था कृषि विभाग द्वारा की जाएगी और इसकाभुगतान संबंधित जिला कलेक्टरों के माध्यम से किसानों के बैंक खातों में किया जाएगा। मंत्रिपरिषद की आज की बैठक में लिए गए एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले के अनुसार सार्वजनिक वितरण प्रणाली की राशन दुकानों से चालू वित्तीय वर्ष2018-19 में वितरण के लिए भारत सरकार की एजेंसी नाफेड की प्रस्तावित दर पर छत्तीसगढ़ राज्य नागरिक आपूर्ति की निविदा के नियमों और शर्तो केअनुसार कुल 61 हजार 272 मीटरिक टन चने की खरीदी की जाएगी। उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ खाद्य एवं पोषण सुरक्षा अधिनियम 2012 के तहत राज्य केसभी 85 आदिवासी विकासखण्डों में अन्त्योदय एवं प्राथमिकता वाले राशनकार्ड धारकों को हर महीने मात्र पांच रूपए प्रति किलो की दर से दो किलो ग्राम देशीचना दिया जा रहा है। इस योजना का नाम ’छत्तीसगढ़ स्वादिष्ट चना वितरण योजना’ है। योजना के तहत चने की वार्षिक आवश्यकता 60 हजार मीटरिक टनहै। हर महीने पांच हजार मीटरिक टन चना आवंटित किया जाता है। चने की लागत दर और उपभोक्ता से प्राप्त राशि के अंतर की राशि राज्य सरकार द्वारा वहनकी जाती है। राजस्व मंत्री श्री पाण्डेय ने बताया कि मंत्रिपरिषद ने आवास एवं पर्यावरण विभाग के प्रस्ताव पर छत्तीसगढ़ मंत्रालयीन सेवा के अधिकारियों एवंकर्मचारियों को आवास निर्माण के लिए सस्ती दरों पर राजधानी रायपुर के नजदीक सेरीखेड़ी में लगभग 7 हेक्टेयर जमीन उपलब्ध कराने का भी निर्णय लियाहै। वहां पर कुल 700 भूखण्ड होंगे। इनमें से 464 भूखण्डों में ईडब्ल्यूएस श्रेणी के मकान बनेंगे। भू-खण्डों का आवंटन लॉटरी पद्धति से किया जाएगा। स्टील उद्योगों को बिजली दरों में राहत श्री पाण्डेय ने बताया कि राज्य शासन द्वारा औद्योगिक एवं आर्थिक मंदी के कारण स्टील एवं अन्य उद्योगों को प्रतिस्पर्धा में टिके रहने के लिए वित्तीय वर्ष2017-18 में ऊर्जा प्रभार और विद्युत शुल्क में विशेष राहत पैकेज के रूप में जो रियायत दी गई थी, उसकी अवधि 31 मार्च 2018 को समाप्त हो गई है, जिसेआज मंत्रिपरिषद की बैठक में चालू वित्तीय वर्ष में एक अप्रैल 2018 से 31 मार्च 2019 तक अर्थात एक वर्ष और जारी रखने का भी निर्णय लिया। श्रीपाण्डेय ने बताया कि राज्य के 400 से ज्यादा स्टील उद्योगों को इसका लाभ मिलेगा। इन उद्योगों को मिलने वाली रियायतों के फलस्वरूप वे बाजार कीप्रतिस्पर्धा में टिके रहेंगे और उनके बंद होने की स्थिति नहीं आएगी। इससे श्रमिकों का रोजगार भी बना रहेगा। साथ ही छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरणकम्पनी को बिजली की मांग में वृद्धि की स्थिति बनाए रखने में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि राज्य विद्युत वितरण कम्पनी और अन्य लायसेंसी से बिजलीकी सप्लाई प्राप्त कर रहे स्टील उद्योगों को विद्युत नियामक आयोग द्वारा अधिसूचित टैरिफ के अनुसार लागू ऊर्जा प्रभार में 50 पैसे प्रति यूनिट की छूट मिलेगी।रियायती दर पर उन्हें बिजली की सप्लाई करने पर राज्य शासन द्वारा विद्युत वितरण कम्पनी को 238 करोड़ रूपए का अनुदान दिया जाएगा। इसके अलावाजिन स्टील और अन्य उद्योगों को छह प्रतिशत के स्थान पर तीन प्रतिशत के मान से विद्युत शुल्क में रियायत तथा ऊर्जा प्रभार में 50 पैसे प्रति यूनिट की दीगई रियायत के कारण 400 से अधिक उपभोक्ताओं को चालू वित्तीय वर्ष 2018-19 में 57 करोड़ रूपए की बचत विद्युत शुल्क के मद से होगी। इससे स्टीलउत्पादन के लागत में कमी आएगी और छत्तीसगढ़ के इस्पात उद्योग महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, ओड़िशा, तेलांगाना और आंध्रप्रदेश जैसे पड़ोसी राज्यों में स्टीलउत्पाद की प्रतिस्पर्धा में बने रहेंगे और इन राज्यों में अपने उत्पादन को बेच सकेंगे। श्री पाण्डेय ने बताया कि दो मिलियन टन से कम क्षमता वाले 31 स्टील उद्योगों द्वारा संचालित कैप्टिव पावर प्लांट के आॅक्जलरी खपत और कैप्टिव पावरप्लांट से उत्पादित बिजली को स्वयं के स्टील उद्योग में इस्तेमाल करने पर दो प्रकार की रियायतें दी जाएंगी। इसके अनुसार कैप्टिव पावर प्लांट की आॅक्जलरीखपत पर रियायती पैकेज के अंतर्गत 31 पैसे प्रति यूनिट और स्वयं के स्टील उद्योग में इस्तेमाल करने पर 15 पैसे प्रति यूनिट के मान से विद्युत शुल्क काभुगतान देय होगा। इससे इन उद्योगों को चालू वर्ष 2018-19 में लगभग 271 करोड़ रूपए का फायदा होगा। श्री पाण्डेय ने बताया कि आज केबिनेट में लिए गएनिर्णय के अनुसार दो मिलियन टन से ज्यादा क्षमता वाले दो स्टील उद्योगों को उनके द्वारा संचालित कैप्टिव पावर प्लांट की आॅक्जलरी खपत पर और कैप्टिवपावर प्लांट से उत्पादित बिजली का स्वयं के स्टील उद्योग में उपयोग करने पर दो प्रकार की रियायतें मिलेंगी। इसके अनुसार स्वयं के स्टील उद्योग में उपयोगकरने पर उन्हें 47 पैसे प्रति यूनिट के मान से विद्युत शुल्क का भुगतान देय होगा, जिससे इन दोनों इकाईयों को वित्तीय वर्ष 2018-19 में लगभग 132 करोड़रूपए का लाभ मिलेगा।
वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपवति डोनाल्ड ट्रंप ने आज कहा कि वह अगले महीने या जून के शुरू में उत्तर कोरिया के...