मुख्य सचिव ने की आदिवासी विकास विभाग के काम-काज की समीक्षा
रायपुर, मुख्य सचिव श्री अजय सिंह ने आज यहां मंत्रालय (महानदी भवन) में आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग द्वारा संचालित किए जा रहे आश्रम-छात्रावासों में बच्चों को दी जा रही सुविधाओं, विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं और राज्य अंतव्यवसायी वित्त विकास निगम द्वारा संचालित किए जा रहे योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने प्रयास संस्था के माध्यम से विभिन्न प्रतियोगी परिक्षाओं में उत्तीर्ण होकर उच्च तकनीकी शिक्षण संस्थाओं में अध्ययन समाप्त करने वाले बच्चों के व्यवस्थापन की जानकारी उपलब्ध कराने के निर्देश विभागीय अधिकारियों को दिए है। राज्य शासन के हमर छत्तीसगढ़ योजना के तहत आश्रम-छात्रावासी बच्चों को नया रायपुर भ्रमण कराने आवश्यक कार्ययोजना बनाने के निर्देश भी दिए गए है। मुख्य सचिव ने वित्त विकास निगम की उपलब्धियों पर असंतोष व्यक्त किया है।
बैठक में आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग की विशेष सचिव सुश्री रीना बाबा साहेब कंगाले ने बताया कि जनगणना 2011 के अनुसार राज्य की साक्षरता दल 70.28 प्रतिशत है। इनमें से अनुसूचित जनजाति की साक्षरता दर 59.09 प्रतिशत और अनुसूचित जाति की साक्षरता दर 70.76 प्रतिशत है। विभाग द्वारा मुख्य रूप से 27 योजनाएं और एक वित्त विकास निगम का संचालन किया जाता है। मुख्यमंत्री बाल भविष्य सुरक्षा योजना के तहत आस्था गुरूकुल विद्यालय का संचालन दंतेवाड़ा जिले में किया जा रहा है। इस आवासीय विद्यालय में कक्षा पहली से बारहवीं तक के अध्ययन की निशुल्क व्यवस्था है। वर्तमान में यहां 290 विद्यार्थी अध्ययनरत है। प्रयास आवासीय विद्यालय में दसवीं प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण तथा चयन परीक्षा में पास हुए बच्चों को 11वीं एवं 12वीं में गणित एवं विज्ञान विषय के अध्यापन के साथ जेईई (मेन तथा एडवांस) और नीट जैसी राष्ट्रीय स्तर की परिक्षाओं की तैयारी में मदद की जाती हैं। वर्तमान में अम्बिकापुर, जगदलपुर, रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर में प्रयास विद्यालय का संचालन किया जा रहा है। कांकेर जिले में फीडर प्रयास आवासीय विद्यालय संचालित है। इन विद्यालयों में कुल एक हजार 935 विद्यार्थी अध्ययनरत है। इस वर्ष जशपुर और कोरबा जिले में भी प्रयास आवासीय विद्यालय प्रारंभ किए जाएंगे।
विभाग द्वारा कुल तीन हजार 227 आश्रम छात्रावास संचालित किए जा रहे है। जिनमें एक लाख 78 हजार 928 बच्चें अध्ययनरत है। इनमें से अनुसूचित जनजाति के बच्चों के लिए दो हजार 764 आश्रम छात्रावास, अनुसूचित जाति के बच्चों के लिए 482 आश्रम छात्रावास और अन्य पिछड़ा वर्ग के बच्चों के लिए 27 आश्रम छात्रावासों का संचालन राज्य भर में किया जा रहा है। विशेष शिक्षण केन्द्र (कोचिंग) योजना के तहत दूरस्थ क्षेत्रों में आश्रम छात्रावासों में रह रहे बच्चों को गणित, अंग्रेजी, विज्ञान तथा वाणिज्य विषय से संबंधित विशेष कोचिंग का संचालन प्रत्येक वर्ष माह दिसम्बर से फरवरी तक (तीन माह) संचालित किया जाता है। नक्सल प्रभावित क्षेत्र के छात्राओं को विज्ञान, गणित एवं वाणिज्य विषय में स्नातक एवं स्नाकोत्तर कोर्स के लिए प्रोत्साहन देने दुर्ग एवं जगदलपुर में विज्ञान विकास केन्द्र का संचालन किया जा रहा है। इस कोर्स के बाद इन्हें बीएड का कोर्स कराया जाता है। जिससे भविष्य में आदिवासी क्षेत्रों के लिए शिक्षकों की उपलब्धता हो सके। नई दिल्ली के द्वारिका में अखिल भारतीय स्तर की प्रतियोगी परिक्षाओं की तैयारी एवं उच्च शिक्षा के लिए राज्य के अनुसूचित जाति-जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रतिभावान छात्राओं के लिए निःशुल्क आवासीय सुविधायुक्त ट्रायवल यूथ हास्टल का संचालन किया जा रहा है। वर्तमान में यहां के सीटों में बढ़ोत्तरी करते हुए सौ सीट के स्थान पर 115 सीट स्वीकृत किए गए है। राज्य के आदिवासी बाहुल्य 25 विकासखण्डों में एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों की स्वीकृति के प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा गया है। वर्तमान में राज्य में 25 एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है। इसी तरह इन छात्राओं में खेल प्रतिभा को प्रोत्साहित करने के लिए 16 क्रीडा परिसर संचालित किए जा रहें है। यहां खिलाडि़यों को निःशुल्क आवासीय सुविधा, मेस, पोषण आहार, खेल पोसाक एवं खेल सामग्री विभाग द्वारा उपलब्ध करायी जा रही है। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग की छात्राओं को बीएससी नर्सिंग पाठ्यक्रम में निःशुल्क अध्ययन की सुविधा दी गयी है। इस योजना के तहत प्रत्येक वर्ष 400 विद्यार्थियों को प्री-नर्सिंग टेस्ट उत्तीर्ण करने के आधार पर लाभान्वित किया जाता है। अब तक कुल दो हजार 915 विद्यार्थियों को योजना का लाभ दिलाया गया है। विभाग द्वारा आदिवासी संस्कृति का परिरक्षण करने के उद्देश्य से आदिवासियों की पूजा स्थल देवीगुड़ी के निर्माण एवं मरम्मत के लिए एक लाख रूपए दिए जाते है। अब तक 11 हजार 495 देवगुडि़यों का निर्माण एवं मरम्मत कराया जा चुका है।
वन क्षेत्रों में निवास करने वाले 40 लाख नौ हजार 635 वनवासियों को व्यक्तिगत एवं सामुदायिक उपयोग के लिए दस लाख 55 हजार 853 हेक्टेयर क्षेत्रफल के वन अधिकार पत्रों का वितरण अब तक किया जा चुका है। विशेष रूप से कमजोर जनजाति समूह के विकास के लिए मुख्यमंत्री 11 सूत्रीय कार्यक्रम का क्रियान्वयन किया जा रहा है। भारत सरकार द्वारा राज्य के पांच जनजाति समूह को विशेष रूप से कमजोर जनजाति समूह मानते हुए उनके संरक्षण का प्रावधान किया गया है। इनमें बैगा, कमार, बिरहोर, पहाड़ी कोरवा और अबूझमाडि़यां शामिल है। राज्य शासन द्वारा पंडों और भुंजिया जनजाति समूह के संरक्षण का कार्य किया जा रहा है। राज्य में प्रधानमंत्री आदर्श ग्राम योजना के तहत अनुसूचित जाति बाहुल्य 175 गांवों का विकास किया जा रहा है। इसमें बेमेतरा के 30, बलौदाबाजार के 40, जांजगीर चांपा के 30, मुंगेली के 40 और बिलासपुर जिले के 35 ग्राम शामिल है। अंतरजातिय विवाह को प्रोत्साहन देने सामान्य वर्ग द्वारा अनुसूचित जाति वर्ग में विवाह उपरांत प्रोत्साहन राशि के रूप में 50 हजार रूपए दिया जाता है। अब तक 227 हितग्राहियों को योजना का लाभ दिया जा चुका है। आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण द्वारा अब तक 14 अनुसूचित जनजातियों और छह अनुसूचित जातियों का नृजातिय अध्ययन पूर्ण किया जा चुका है। राज्य शासन द्वारा अनुसूचित जनजाति की सूची में सम्मिलित करने हेतु प्रस्ताव भारत सरकार को भेजा गया था। जिसमें से पांच अनुसूचित जनजाति सौरा, संवरा, भूईया, भुईयां, भूया, धनुहार, धनुवार, किसान, धांगड़ को केन्द्रीय केबिनेट के द्वारा मान्य किया गया है।
बैठक में स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव श्री गौरव द्विवेदी, समाज कल्याण विभाग के संचालक डॉ. संजय अलंग, छत्तीसगढ़ राज्य अन्त्यावसायी, सहकारी वित्त विकास निगम के प्रबंधक श्री जी.आर. चुरेन्द्र, सहित विभागीय वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।