जिलेभर में सज रहीं झोलाछाप डॉक्टरों की दिखावटी दुकानें:बिना डिग्री धारी काट रहे चाँदी

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जोगी एक्सप्रेस 

अनूपपुरम.प्र., जहॉ शासन प्रशासन स्वास्थ्य सुविधा देने का हर संभव प्रयास कर रही है, लोगों को स्वास्थ सुविधा देने के नाम पर शासन करोडों रूपये प्रतिमाह दवाओं पर खर्च कर रही है जगह जगह शासकीय स्वास्थ केन्द्र संचालित हैं, स्वास्थ सुविधा देने का दायित्व जिन्हे दिया गया है वे अपने दायित्वों का सही ढंग से निर्वहन नही कर रहे है सामुदायिक स्वास्थ केन्द्रों में डाक्टर नदारत रहते है अपने प्राईवेट क्लीनिकों में अधिक से अधिक समय देते हैं, सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र पर आये हुए मरीजों को स्वास्थ सुविधा अच्छी न देकर अपने क्लीनिक में फीस लेकर स्वास्थ सुविधा देतें है तथा फीस एवं दवाईयों के नाम पर मोटी कमाई की जाती है।क्षेत्र के झोला छाप डाक्टर षासकीय डाक्टरों की क्लीनिक खुलती देखकर झोला छाप डाक्टरों नें भी जगह जगह मकडी की जाल की तरह फैले हुए नजर आ रहे है। इन डाक्टरों के पास न तो कोई क्लीनिक चलाने का अनुभव रहता है न ही शासन से अनुमति प्राप्त करते है, जिले के आला अधिकारी एवं ब्लाक के मेडिकल अधिकारी इन झोलाछाप डाक्टरों के विषय में सब कुछ जानकर भी अंजान बने रहते है इनकी मोटी कमाई के चक्कर में आम जनता पिसती जा रही है इसी का नतीजा है कि कोतमा सहित क्षेत्र के आस पास गॉव में झोलाछाप डाक्टरो की संख्या प्रतिदिन बढती जा रही हैं।

अवैध क्लीनिक

सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र कोतमा अंर्तगत झोलाछाप डॉक्टरों द्वारा बडे पैमाने पर मरीजों का इलाज किया जाता है लम्बी कतारें क्लीनिक में रात दिन देखी जा सकती है, डाक्टर साहब के पास सभी मर्जाे का इलाज होता है क्लीनिक में भर्ती करने, बाटल चढाने एवं अंग्रेजी दवाईयों का उपयोग किया जाता है कोतमा बाजार में भी ऐसे कई क्लीनिक है जो अवैध रूप से चल रही है जिन पर स्वास्थ विभाग के अधिकारियों की नजर नही पडती, कोतमा बाजार बस स्टैण्ड, भालूमाडा, बदरा, जमुना, निगवानी, कटकोना, आमाडॉड, बैहाटोला, सेमरा, गोविंदा कालोनी, पयारी में अवैध क्लीनिक संचालित है जहॉ अंग्रेजी एवं आयुर्वेदिक डाक्टरों के बडे बडे पोस्टर लगाकर इलाज किये जा रहे है ।

डाक्टरों के निजी क्लीनिक

कोतमा समूचे क्षेत्र में शासकीय डाक्टरों नें सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र, उपस्वास्थ केन्द्र में पदस्थ डाक्टर, कम्पाउण्डर, एवं नर्ष ने अपनी अपनी निजी क्लीनिकें खोल रखी है, जिस कारण शासकीय हास्पिटल में अपना समय न देकर अपनी क्लीनिक में अधिक ध्यान देतें है, जिससे शासन का पैसा बरबाद हो रहा है। गरीबो तक योजनाओं का लाभ नही पहुच पा रहा है, पैसे कमाने के लिए सरकारी अमला शासन की योजनाओं को मटियामेट कर रहा है।

बीमारी को बढ़ावा

कुछ झोलाछाप डाक्टर ऐसे भी है जिन्हे मर्ज की सही जानकारी नही हो पाती है, मनमाने तरीके से इलाज करते है मर्ज कोई और होता है दवाई किसी और मर्ज की कर दी जाती है जिसे मरीजो की स्थिति खराब हो जाती है। अपने आप को फसते देखकर झोला छाप डाक्टर अपने हाथ खडे कर लेते है तथा बडेे हास्पिटलों के लिए रेफर करते हैं, इतना ही नही उन बडे हास्पिटलो से अच्छी खासी कमीषन भी बंधा होता है जिससे मरीज दोनो तरफ से लुटता है उसके खून पसीने की कमाई धीरे धीरे करके चूस ली जाती है झोला छाप डाक्टर कुछ दिनों में करोडपति बन जाते है।

कई लोगों की गई जान

सूत्रों की माने तो इन झोलाछाप डाक्टरों की मेहरवानी से कई मरीजों को अपनी जाने गवानी पड गई है, तत्काल परिणाम पाने के लिए झोलाछाप डाक्टरों से इलाज कराने पर हैबी डोज की इंजेक्षन एवं दवाई दे दी जाती है जिससे मरीज को पहले तो आराम मिलता है फिर कुछ बीत जाने के पश्चात गंभीर बीमारी के नतीजे सामने आए है।

क्लीनिक एवं मेडिकल स्टोर में नशीली दवाएँ

जानकारों की माने तो इन दिन कोतमा बाजार एवं आसपास क्षेत्रों में नषीली दवाईयों का लम्बा कारोबार कुछ मेडिकल स्टोर्स मालिकों एवं झोलाछाप डाक्टरों द्वारा विक्रय किया जा रहा है, नशीली दवाईयॉ जिनकी कीमत 5 से 7 रूपये होती है उन्हे 100 से 150 रूप्ये में विक्रय की जाती है नशीली दवाओं का सेवन करने वाले व्यक्ति नशेे की लत में पड कर अपनी जान तक गवॉ रहें है। जिसका जीता जागता उदाहरण गोविंदा कालरी, बिजुरी, राजनगर, अम्बिकापुर, चिरिमिरी, के लोगों पर देखा जा सकता है।

पुष्पेन्द्र शर्मा

प्रदेश प्रतिनिधि जोगी एक्सप्रेस 

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