कोतमा एस.बी.आई. को ले डूबेंगे शाखा प्रबंधक:कर्ज के नाम पर पाल रखे हैं नगर भर में दलाल, युवाओं के रोजगार में लगा ग्रहण

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जोगी एक्सप्रेस 

अनूपपुर,म.प्र . अनूपपुर जिले में स्टेट बैंकों का जो हाल है उससे जनता व खाताधारक अच्छे त्रस्त हैं साथ ही बैंकों की कार्यप्रणाली पर भी सन्देह है। इस मामले में जिला मुख्यालय से ४० किमी दूर स्टेट बैंक की शाखा कोतमा के अलग ही कारनामे हैं। खबरों में सुना जाता है कि अपनी कारगुजारियों के लिए भारतीय स्टेट बैंक की शाखा कोतमा फिर विवादों में है। देश की अग्रणी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के कोतमा में फेल होने का जिम्मेदार भी लोग इन्हीं को मानते हैं। कोतमा में स्टेट बैंक जिस घटिया लेन-देन के स्तर से गुजर रही है, उसे देख कर माना जा रहा है कि जल्द ही बैंक में ताले जड़ दिए जाएँगे और लोग आक्रोशित होंगे।
शाखा प्रबंधक शैलेन्द्र कुमार पण्डा के द्वारा बैंक के गिरते स्तर के लिए कोई प्रयास न किया जाना अत्यंत सन्देह का विषय बनता जा रहा है, उधर कैशियर भी लोगों का चेहरा देखकर कार्य कर रहे हैं। जो रसूखदार है उसका कार्य बिना लाइन के कर दिया जाता है और जो लोग सीधे-साधे व मध्यम वर्ग के होते हैं उन्हें घंटों कतार में खड़ा किया जाता है। ऐसा लगता है कि मैनेजर साहब बैंक को डुबा देने की पूरी तैयारी में हैं और विभाग के उच्चाधिकारी भी कोतमा एसबीआई की घटिया कार्यप्रणाली से अंजान हैं। बड़ी आसानी से ऊपर के लोगों को मैनेज करके पण्डा साहब कोतमा की जनता को बेवकूफ बना रहे हैं। कोतमा में एक से एक अच्छे ब्रान्च मैनेजर हुए मगर वर्तमान शाखा प्रबंधक के द्वारा की जा रही सेवा तानाशाही से ज्यादा कुछ नहीं।

नहीं मिलता अपना ही पैसा

रोजाना के लेन-देन के लिए जाने वाले आहरणकर्ताओं को बैंक से अपना ही पैसा अपने खाते से भीख की तरह माँगना पड़ रहा है। रोज स्टेट बैंक में कभी १० हजार तो कभी ५ हजार से ज्यादा पैसे खाताधारकों को आहरति करने से रोक लिया जाता है। बैंक में जब कोई नेता या बड़ा व्यापारी शिफारिस करता है तो उसे अन्य लोगों के नजरों से दूर ले जाकर मनचाही राशि का आहरण करने के लिए मैनेजर विड्रावल में संकेत दे देता है। शेष लोगों को पासबुक लेकर गुस्सा दिखाने और बैंक की दीवारों पर सिर पटकने से ज्यादा कुछ नहीं मिलता।

यह है प्रमुख कारण

कोतमा स्टेट बैंक को रामावतार अग्रवाल के मकान से बदलकर चन्द्रमा सिंह के मकान में लाने कें बाद बैंक का मुख्य स्ट्रांग कैशरूम सुरक्षित नहीें है और मुख्य सड़क से सिर्फ एक दीवार के अंतर में कैश रखने की व्यवस्था थी जिसे देखकर बैंक प्रबंधन ने करोड़ों की नगदी को सुरक्षित नहीं माना और कैश अन्यत्र रखवा दिया।
अब जितना आवश्यकता हो उतना सीमित और अनुमानित कैश भेजा जाता है जिससे खाताधारकों को मनचाही राशि नहीं मिल पाती और यह पूरी गलती बैंक प्रबंधन की थी जिसका खामियाजा जनता अच्छे से भोग रही है। बैंक की स्थिति एक सुरक्षित कमरे को लेकर भिखारी की तरह हो चुकी है तो इसमें जनता का क्या कसूर, मगर जनता को सिवाय ठगने और बेवकूफ बनाने के कोतमा एसबीआई कुछ नहीं करती।

पाल रखे हैं दलाल

सूत्र बताते हैं कि कोतमा स्टेट बैंक की लोन शाखा में पदस्थ फील्ड ऑफीसर से लेकर ब्रान्च मैनेजर तक ने अपने अपने कार्य के लिए दलाल पाल रखे हैं। पहले पुराने कर्जदारों को नोटिस देना, फिर थाना अदालत कचहरी की धौंस देकर रिश्वत खाकर कुछ दिन के लिए लोन फाइल को दफनाकर कर्जदारों को राहत देना, यही चल रहा है। साथ ही प्रत्येक लोन प्रकरण में इनको दलाली चाहिए, जिसके लिए लोन प्रकरण के मिलते ही दलालों को हितग्राही का नाम, पता और ठिकाना दे दिया जाता है और दलालों के द्वारा प्रति एक लाख कुछ प्रतिशत कमीशन लेकर कार्य करवा दिया जाता है। यदि दलाली नहीं किखलाई तो बैंक के अधिकारी, शाखा प्रबंधक और फील्ड ऑफीसर लोन की फाइल पर हजार बहाने करते हुए उस व्यक्ति को गोल-गोल घुमाते रहेंगे।

योजनाओं को लगा ग्रहण

शासन व केन्द्र सरकार ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना जैसे कई ऐसे योजनाओं की सौगात बेरोजगारों को दी है जिससे युवाओं को खुद के रोजगार स्थापित करने में काफी सुविधा मिलती है। कोतमा में स्टेट बैंक बिना अपने फील्ड ऑफीसर को दलाली खिलाए युवाओं को कुछ करने और भविष्य बनाने, सँवारने का मौका ही नहीं देती। कोतमा स्टेट बैंक के घटिया फील्ड ऑफीसरों में राम सिंह राय, जे. मिन्ज ने जो कमीशन और दलाली का दस्तूर योजनाओं में बनाया एक प्रथा की तरह कोतमा एसबीआई में लागू हुई जो कि बदस्तूर जारी है। गौरतलब है कि कोतमा एसबीआई में योजनाओं पर गरीब व अक्षम युवाओं से कमीशानखोरी और दलील के कारण ही शासन की उपरोक्त स्वरोजगारमूलक योजनाओं में जिले के कोतमा से स्वरोजगार स्थापित करने वालों की संख्या का ग्राफ काफी कम है जिसका एक प्रमुख कारण कमीशन है।

ग्राहकों से दुर्व्यवहार

कोतमा स्टेट बैंक में अपने स्वयं के खाते से पेंशन आदि का पैसा व खाताधारकों द्वारा खुद के खातों से आहरण के मामलों में कैशियर्स के द्वारा दुर्व्यवहार किए जाने के कारण आज लोग एटीएम के चक्कर काटते फिरते हैं। कैशियरों के काउंटर में उन्हीं लोगों को प्राथमिकता मिलती है जिनने कैशियर्स को बैंक से बाहर की दुनिया में कदम रखते ही चापलूसी, खुशामद और चाटूकारी की हो, चाय-नाश्ता और गन्नारस पिलाया हो, आम लोग जिनसे कैशियर्स का मेलजोल नहीें है वे लोग सिवाय लाइन में धक्के खाने के कुछ नहीं कर पाते। कोई आम व्यक्ति सुबह ११ बजे राशि आहरित करने जाय तो दोपहर ३ बजे ही लौट पाता है।
बहरहाल उपरोक्त खबरों के आधार पर लोगों का मत है कि कोतमा एसबीआई के वर्तमान शाखा प्रबंधक यदि कोतमा में और दिनों तक पदस्थ रहे तो न ही कोतमा एसबीआई में कोई ग्राहक बचेगा, और न ही अनूपपुर जिले में एसबीआई का गिरा हुआ लोकप्रियता का ग्राफ कभी बढ़ेगा।

पुष्पेन्द्र शर्मा-

प्रदेश प्रतिनिधि जोगी एक्सप्रेस 

 

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