मनचलों के लिए दिल्लगी का जरिया बना छत्तीसगढ़ पुलिस का ये हेल्पलाइन नंबर, कॉल पर करते हैं मोहब्बत की बातें
रायपुर
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में किसी भी आपातकाल समस्या पर मदद के लिए पुलिस (Police) विभाग ने 'एक्के नंबर सब्बो बर' स्लोगन के साथ डायल 112 हेल्पलाइन (Helpline) नंबर जारी किया था. करीब डेढ़ साल पहले शुरू की गई इस सुविधा का लाभ अब तक हजारों लोगों ने लिया है. कई बार आपातकालीन (Emergency) स्थिति में लोगों की जान तक इस हेल्पलाइन पर शिकायत के बाद बचाई गई है, लेकिन पुलिस की इस हेल्पलाइन का उपयोग छत्तीसगढ़ में मनचले भी खूब कर रहे हैं.
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में पुलिस (Police) का हेल्पलाइन (Helpline) नंबर डॉयल 112 लोगों के लिए दिल्लगी का करने का साधन बन गया है. डॉयल 112 पर कॉल (Call) करने पर यदि कोई महिला स्टाफ कॉल रीसिव करती है तो मनचले प्यार-मोहब्बत की बातें करने लगते हैं. इतना ही नहीं यदि कोई पुरुष स्टाफ कॉल रीसिव करता है तो उनसे महिला स्टाफ से बात कराने कहते हैं. कई बार लफंगे कॉल कर स्टाफ के साथ गाली गलौच भी करते हैं.
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के 11 जिलों में डायल 112 की शुरुआत करीब डेढ़ साल पहले 4 सितंबर 2018 को हुई थी. तब से फायर ब्रिगेड, पुलिस कंट्रोल रुम और एंबुलेंस सर्विस के लिए इस नंबर पर कॉल करके लोग इस सेवा का लाभ ले सकते हैं, लेकिन लोग इसका दुरुपयोग कर रहे हैं. विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक डायल 112 में रोजाना 7 हजार 8 सौ के करीब कॉल आते हैं, इनमें से 700 से अधिक कॉल रोजाना ऐसे होते हैं, जिनमें कॉ़ल करने वाला लड़कियों और महिला कर्मचारियों से बात कराने कहता है. यदि महिला स्टाफ कॉल रीसिव करे तो उससे प्यार मोहब्बत की बातें करने लगता है. इतना ही नहीं कई कॉल में गाली गलौच भी की जाती है.
..तो करते हैं गिरफ्तारडॉयल 112 के अधिकारी एडिशनल एसपी धर्मेन्द्र छवि ने बताया कि रोजाना करीब साढ़े 3 हजार से कॉल्स तो ऐसे होते हैं, जिसमें कोई बात ही नहीं करता. केवल डायल करके छोड़ देते हैं. रोजाना 700 ऐसे कॉल्स आते हैं, जो क्रैंक कॉल्स होते हैं. इन कॉल्स में लोग अभद्र भाषा और गंदी बातें करते हैं, लेकिन ऐसे मामलों में रिपोर्ट दर्ज कराकर आरोपियों को जेल भेजा जाता है. इतनी महत्वपूर्ण सेवा को लेकर लोगों की ऐसी सोच के कारण ही बहुत से जरुरतमंदों को इसका समय पर लाभ नही मिल पाता है. यही कारण है कि शरारती तत्वों के खिलाफ कुछ मामले दर्ज भी कराए गए हैं, लेकिन डेढ़ साल में भी इसकी संख्या महज 20 ही है.