पांच बड़े कारण, जिसकी वजह से भारत का वनडे सीरीज में हुआ क्लीन स्वीप
नई दिल्ली
न्यूजीलैंड टीम ने टी-20 सीरीज में मिली 5-0 की हार का बदला लेते हुए भारतीय टीम को वनडे सीरीज में 3-0 से क्लीन स्वीप कर दिया। माउंट मॉनगनुई में खेले गए वनडे सीरीज के तीसरे मुकाबले में भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 50 ओवर में सात विकेट पर 296 रन बनाए। जवाब में न्यूजीलैंड ने 47.1 ओवर में पांच विकेट पर 300 रन बनाकर मैच अपने नाम कर लिया।
टीम इंडिया के तेज गेंदबाजों ने इस मैच में काफी निराश किया। केएल राहुल की सेंचुरी, श्रेयस अय्यर की हाफसेंचुरी और युजवेंद्र चहल की शानदार गेंदबाजी बेकार गई और भारत को हार झेलनी पड़ी। बता दें कि वेस्टइंडीज ने भारत को 1989 में घरेलू मैदान पर 5-0 से हराया था, इसके बाद से टीम इंडिया पर तीन या उससे ज्यादा मैचों की सीरीज में कोई भी टीम क्लीन स्वीप नहीं कर पाई थी।
वहीं साल 2006 में भी भारतीय टीम दक्षिण अफ्रीका से पांच मैच की वन-डे सीरीज में बिना कोई मैच जीते वापस लौटी थी। तब एक मैच बारिश से रद्द हो गया था जबकि बाकी के चार मुकाबले में भारत को हार मिली थी। दोनों देशों के बीच 2 मैचों की टेस्ट सीरीज खेली जाएगी।
टीम इंडिया की बल्लेबाजी की मजबूत कड़ी कप्तान विराट कोहली पूरी वनडे सीरीज में उस फॉर्म में नहीं दिखाई दिए जिसके लिए वो जाने जाते हैं। तीन मैचों की वनडे सीरीज में उनके बल्ले से मात्र 75 रन निकले। इसमें उनका टॉप स्कोर 51 रहा जो उन्होंने हेमिल्टन के मैदान पर बनाया था। ऑकलैंड में खेले गए सीरीज के दूसरे मैच में 'चेस मास्टर' विराट कोहली मात्र 15 रन बना पाए थे इसकी वजह भारत को हार का सामना करना पड़ा था साथ ही भारत ने वनडे सीरीज भी गंवा दी थी। यह सिलसिला सीरीज के आखिरी मैच में भी देखने को मिला।
न्यूजीलैंड के खिलाफ वनडे सीरीज में भारतीय टीम ने नई ओपनिंग साझेदारी उतारी। पहली बार वनडे सीरीज से जुड़े मयंक अग्रवाल और पृथ्वी शॉ की जोड़ी पूरी सीरीज के दौरान अपनी टीम की तरफ से अच्छी साझेदारी करने में नाकाम रही। पहले मैच में इन दोनों बल्लेबाजों ने जरूर टीम के लिए 50 रन जोड़े थे लेकिन व्यक्तिगत तौर पर दोनों ही बल्लेबाज अपनी छाप छोड़ने में सफल नहीं हो सके। पृथ्वी शॉ ने तीन मैचों में 84 रन जोड़े। इस दौरान उनका टॉप स्कोर 40 का रहा वहीं उनके जोड़ीदार मनीष अग्रवाल की हालत और भी खराब रही और पूरी सीरीज में उनके बल्ले से मात्र 36 रन निकले।
इस सीरीज से पहले भारतीय गेंदबाजी को विश्व के कई दिग्गज खिलाड़ियों से तारीफ मिली थी। कईयों ने इसे इसे अब तक की सर्वश्रेष्ठ भारतीय गेंदबाजी आक्रमण तक कहा लेकिन इस सीरीज में ऐसा कुछ देखने को नहीं मिला। दुर्भाग्यपूर्ण वाली बात यह है कि भारत के नंबर वन गेंदबाज जसप्रीत बुमराह तीन मैचों की सीरीज में एक भी विकेट लेने में सफल नहीं हो सके। अच्छी बात यह है कि उनका इकोनॉकी छह से नीची रही। इसके अलावा दूसरे अन्य तेज गेंदबाजों का भी यही हाल रहा। शार्दुल ठाकुर को सीरीज में चार विकेट जरूर मिले लेकिन उनका इकोनॉकी आठ के पार रहा। युवा तेज गेंदबाज नवदीप सैनी ने दो मैचों में 116 रन लुटाए और एक विकेट भी नहीं मिला।
भारतीय टीम ने जिस फील्डिंग के दम पर विश्व क्रिकेट में अपनी धाक जमाई है, इस पूरी सीरीज के दौरान वह दयनीय स्थिति में रही। भारतीय फील्डरों ने पूरी सीरीज में अहम मौकों पर कैच टपकाए जो अंत में जाकर निर्णायक साबित हुए। इसका अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं भारत के महान बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने भारतीय फील्डिंग को लेकर चिंता जाहिर की और खिलाड़ियों को कड़ी फटकार लगाई थी।
भारत के सदाबहार सलामी बल्लेबाज रोहित शर्मा पूरी सीरीज में चोट के चलते खेल नहीं सके। उनके जगह मयंक अग्रवाल और पृथ्वी शॉ ने ओपनिंग का जिम्मा संभाला। रोहित शर्मा अपनी टीम को बढ़िया और तेज शुरुआत देने के लिए जाने जाते हैं। उनके ना रहने का भारतीय टीम को खामियाजा भुगतना पड़ा और टीम को अच्छी शुरुआत नहीं मिली जिसकी वजह से टीम को सीरीज में हार का सामना करना पड़ा।