सुप्रीम कोर्ट का सुझाव, CISF करे कोर्ट की सुरक्षा
नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार से कोर्ट की सुरक्षा के लिए सेंट्रल इंडस्ट्रियल सिक्यॉरिटी फोर्स (सीआईएसएफ) की नियुक्ति पर विचार करने का निर्देश दिया है। स्थानीय पुलिस फोर्स के स्थान पर सीआईएसएफ को देश भर के कोर्ट की सुरक्षा सौंपने का सुझाव सर्वोच्च अदालत ने दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया से भी विचार लेने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट की सुरक्षा संबंधी इस मांग में मेरिट साफ नजर आ रहा है।
अतिरिक्त दबाव से जूझ रही है स्थानीय पुलिस
स्थानीय पुलिस के पास कोर्ट रूम की सुरक्षा ही प्राथमिक काम नहीं होता है। पुलिस फोर्स के पास विभिन्न मामलों की जांच, शहर में कानून-व्यवस्था बनाए रखना, कई जांच एजेंसियों के साथ मिलकर काम करने जैसे कई अतिरिक्त दबाव होते हैं। इसके उलट सीआईएसएफ का मुख्य काम सुरक्षा व्यवस्था ही है। देश की इंडस्ट्रियल इन्फ्रास्ट्रक्चर की देखभाल ही सीआईएसएफ का प्राथमिक काम है। इसके साथ ही मेट्रो, रेल और एयरपोर्ट की सुरक्षा जिम्मेदारी सीआईएसएफ की होती है।
लोकल पुलिस और स्थानीय वकीलों में तनातनी की घटनाएं
कोर्ट परिसर की संस्कृति और स्थानीय पुलिस के बीच कई बार सांस्कृतिक गतिरोध भी साफ नजर आता है। पुलिस और वकीलों के बीच मारपीट की कई घटनाएं हो चुकी हैं। दिल्ली के तीस हजारी कोर्ट में नवंबर में हुई वकीलों और पुलिस के बीच मारपीट का विवाद काफी बढ़ गया था। स्थिति इतनी खराब हो गई थी कि पुलिस बल अपनी सुरक्षा की मांग को लेकर ही प्रदर्शन करने लगे। आम तौर पर वकीलों के स्थानीय नेताओं और प्रभावशाली लोगों से अच्छे संपर्क होते हैं। पुलिस से उलझनेवाले वकील केंद्रीय सुरक्षा बलों के साथ टकराव की स्थिति से बचना चाहेंगे।
हिंसा की बढ़ती घटनाओं ने बढ़ाई सुरक्षा की चिंता
कोर्ट परिसर में पिछले कुछ वर्षों में हिंसा की घटनाएं बहुत बढ़ी हैं। हिंसक घटनाओं में शूटआउट तक शामिल हैं। पिछले साल जून में उत्तर प्रदेश की बार काउंसिल की महिला प्रेजिडेंट दरवेश यादव को आगरा कोर्ट परिसर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। यहां तक की दिल्ली के कोर्ट रूम भी सुरक्षित नहीं है। 2017 में रोहिणी कोर्ट में अंडरट्रायल केस में शूटआउट की घटना हुई थी। मद्रास हाई कोर्ट में पहली बार सीआईएसएफ सिक्यॉरिटी दी गई क्योंकि वकील कोर्ट की आधिकारिक भाषा तमिल करने के लिए प्रदर्शन कर रहे थे।
CISF सुरक्षा पुलिस से होगी अधिक महंगी
स्थानीय पुलिस के कार्यभार में कोर्ट रूम की सुरक्षा शामिल है और इसके लिए उन्हें कोई अतिरिक्त मानदेय नहीं मिलता है। सीआईएसएफ का कहना है कि कोर्ट सुरक्षा के लिए अतिरिक्त मानदेय मिलना चाहिए क्योंकि यह उनके मूल काम में शामिल नहीं है। मद्रास हाई कोर्ट में सीआईएसएफ सुरक्षा के लिए तमिलनाडु सरकार 36 करोड़ का अतिरिक्त भुगतान कर रहे हैं। तमिलनाडु सरकार ने इस अतिरिक्त खर्च को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट में सीआईएसएफ सुरक्षा हटाने के लिए याचिका दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार की याचिका खारिज कर दी। इसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने कोर्ट रूम की सुरक्षा के लिए सीआईएसएफ के स्थान पर स्पेशल फोर्स का गठन किया।