मप्र मेडिकल काउंसिल ने सीपीएस के डिप्लोमा कोर्सेस को दी मंजूरी
भोपाल
ग्रामीण इलाकों के प्राथमिक स्वास्थ्य केंन्द्र से लेकर सीएचसी, सिविल हॉस्पिटल और जिला अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों के हर जिले में पद खाली हैं। जरूरत के मुताबिक डॉक्टर सरकारी नौकरी में रूचि नहीं दिखा रहे हैं। मप्र मेडिकल काउंसिल ने सीपीएस (कॉलेज आॅफ फिजिशियन एंड सर्जंस) मुंबई द्वारा संचालित छ: नए डिप्लोमा कोर्सेस को मंजूरी दी है। इससे सरकारी अस्पतालों मे कार्यरत मेडिकल आॅफिसर्स डिप्लोमा कर विशेषज्ञ बन सकेंगे।
प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी दूर करने के लिए सरकार सेवारत मेडिकल आॅफिसर्स को मुंबई के सीपीएस संस्थान से पीजी डिप्लोमा करा रही है। इसके तहत प्रदेश के 10 जिला अस्पतालों में डॉक्टरों को पढ़ाई कराई जाएगी। नीट पीजी क्वॉलीफाई उम्मीदवार ही इन डिप्लोमा के लिए होने वाली काउंसलिंग में भाग ले सकते हैं। सीपीएस से डिप्लोमा को पास करने वाले डॉक्टर दूसरे राज्यों में प्रैक्टिस नहीं कर पाएंगे। इस कोर्स में पास होने वाले डॉक्टरों को मेडिकल कॉलेज में सीनियर रेसीडेंट की नौकरी भी नहीं मिल पाएगी। कॉलेज में नौकरी के लिए कोर्स को एमसीआई से मान्यता जरूरी है।
2014 में प्रदेश में विशेषज्ञों के 1980 पद खाली थे। आज की स्थिति में 2738 पद खाली हैं। इसी तरह, 2014 में चिकित्सा अधिकारी के 1837 पद खाली थे। पांच साल बाद भी लगभग वही स्थिति है। इनके 1436 पद खाली हैं। 2010 में मेडिकल आॅफिसर्स के 1090 पदों के विरुद्ध 570 डॉक्टर ही मिले थे। इसके बाद करीब 200 डॉक्टर पीजी करने या फिर मनचाही पोस्टिंग नहीं मिलने पर नौकरी छोड़कर चले गए। 2013 में 1416 पदों पर भर्ती में 865 डॉक्टर मिले, लेकिन करीब 200 ने ज्वॉइन नहीं किया।