नाना पाटेकर- 13 साल की उम्र में भूख ने सिखाए अदाकारी के हुनर
नई दिल्ली
नाना पाटेकर का आज 69वां जन्मदिन है. वे बॉलीवुड में अच्छा खासा समय बिता चुके हैं. उनकी जिंदगी संघर्षों से भरी रही हैं. वे कुछ लोगों को जिद्दी लगते हैं लेकिन वे कहते हैं कि वे सिर्फ अपना खुद का एक प्वॉइंट ऑफ व्यू काफी साफगोई से रखते हैं. बाहर से सख्त नजर आने वाले नाना अंदर से काफी नरम हैं और अपनी शर्तों पर काम करना पसंद करते हैं. उन्हें टाइम वेस्ट करना बेहद खटकता है और वे केयरिंग हैं साथ ही लोगों को लेकर ईमानदार ओपिनियन रखते हैं. उन्होंने भले ही पॉलिटिक्स से ना जुड़ने का फैसला किया हो लेकिन वे अब भी अपने पैसों से कई किसानों की मदद करने में लगे हुए हैं.
उन्होंने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि कैसे मिडिल क्लास फैमिली में पले नाना पाटेकर के लिए एक झटके में दुनिया बदल गई थी और कैसे उन्होंने 13 साल की उम्र में फैमिली को पालने के लिए काम करना शुुरू किया था. नाना के पिता टेक्सटाइल पेंटिंग में थे और एक छोटा सा बिजनेस चलाते थे. नाना ने कहा था- 'वे मेरे प्ले देखकर खुश होते थे और मुझे सपोर्ट करते थे. उन्हें तमाशा काफी पसंद था चाहे वो फिल्मों का हो या थियेटर का. मैं सोचता था कि मेरे पिता मेरे बड़े भाई को ज्यादा प्यार करते हैं लेकिन जब वे मेरा प्ले देखने के लिए मुंबई आए थे तो मुझे एहसास हुआ था कि अपने पिता की अटेंशन पाने का ये अच्छा तरीका है. जब मैं 13 साल का था तो मेरे पिता के एक करीबी ने उनकी प्रॉपर्टी समेत सब कुछ छीन लिया था.'
13 साल की उम्र में नाना की लाइफ में आया तूफान
उन्होंने आगे कहा था- मैं अचानक 13 साल की उम्र में काम करने लगा. स्कूल के बाद मैं 8 किलोमीटर दूर चूना भट्टी में जाता और फिल्मों के पोस्टर्स पेंट करने लगा ताकि एक वक्त की रोटी मिल सके. उस दौरान मुझे 35 रुपए महीने मिलते थे. मैं नौवीं क्लास में था लेकिन उन हालातों में शर्मिंदगी और सफल होने की भूख ने मुझे इतना कुछ सिखा दिया कि मुझे किसी एक्टिंग स्कूल जाने की जरूरत नहीं पड़ी. मुझे अपनी फैमिली को सपोर्ट करना था क्योंकि मेरे पिता ने सब कुछ गंवा दिया था. वे हमेशा कहते थे कि बच्चों के दिन आए खाने के और मेरे पास कुछ नहीं है. वे काफी परेशान रहते थे और जब मैं 28 साल का हुआ तो उनकी हार्ट अटैक से मौत हो गई थी.