‘‘पर्यावरण‘‘ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन
सागर
स्वामी विवेकानंद विश्वविद्यालय में दिनाॅंक 18.9.18 को ‘‘पर्यावरण‘‘ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। दीप के अवसर पर स्वास्ति वाचन डाॅ. सुकदेव बाजपेय करने के उपरांत अतिथि स्वागत भाषण में संस्थापक कुलपति डाॅ.अनिल तिवारी ने कहा-पर्यावरण का सीधा सम्बन्ध प्रकृति से है। अपने परिवेश में हम तरह-तरह के जीव-जन्तु, पेड़-पौधें तथा अन्य सजीव-निर्जीव वस्तुएँ पाते हैं। आवश्यकता है आज आधुनिक समाज को पर्यावरण से संबंधित समस्याओं की विस्तृत अध्ययन के साथ-साथ पर्यावरण का व्यवहारिक ज्ञान भी दिया जाये। आज प्रदूषण एक अभिशाप बन गया है, इस विषय से हमें अवगत कराने के लिए हमारे मंच पर सोभायमान हैं-पटना विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. रास बिहारी सिंह, उपकुलपति डाॅ.आर.एन. यादव पूर्णिया विश्वविद्यालय, तथा दरभंगा विश्वविद्यालय के डाॅ.अनुरंजन मंच पर उपस्थित हैं।
विश्वविद्यालय परिवार आपका स्वागत करता है। वक्तव्य की श्रृंखला में डाॅ. आर.एन.यादव ने कहा- प्रकृति ब्रहृाण्ड की जीवन्त इकाई है। इसे हम सृष्टि से अविभाज्य नहीं मानते यह सृष्टि और प्रकृति का अविभाज्य अंग है। यदि हम अपने दायित्व को बिना समझे प्रकृति का दोहन करेंगे तो वह धरती पर प्रदूषण उत्पन्न करेगा। ये हमारे जीवन मूल्य के घातक होगा। कुलाधिपति डाॅ.अजय तिवारी ने कहा कि- मा0 रासबिहारी जी शिक्षा और जीवन मूल्य आधारित के प्रतिबिम्ब हैं, तकनीकि मानव द्वारा आर्थिक उद्देश्य और जीवन में विलासिता के लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु प्रकृति के साथ व्यापक दुरूपयोग प्राकृतिक पर्यावरण को असंतुलन कर रहा है। यह पर्यावरण दो भांति का है एक प्राकृतिक दूसरा मानव निर्मित। मानव निर्मित पर्यावरण ही प्रदूषण को जनम देता है और इससे जीवन मूल्य बाधित होते हैं। मुख्य वक्ता की आसंदी से बोलते हुए डाॅ. रास बिहारी ने कहा- आज सम्पूर्ण विश्व गम्भीर चुनौति से गुजर रहा है। वास्तव में आज पर्यावरण से संबद्ध उपलब्ध ज्ञान को व्यवहारिक बनाने की आवश्यकता है ताकि इस समस्या को जन मानस सहज रूप से समझ सके। वास्तव में सजीव तथा निर्जीव दो संगठक मिलकर प्रकृति का निर्माण करते हैं इनके बीच एक महत्वपूर्ण रिश्ता होता है जिससे हमें युवा पीढ़ी को अवगत कराना होगा। मानवीय प्रबंधन जीवन मूल्य के बिना असंभव है क्योंकि राष्ट्र की संप्रभुता आवश्यक है।
उत्तम पुरूष उत्तम खेती उसके बाद उत्तम समाज का निर्माण होता है। देश का सबसे बड़ा प्रदूषण गरीबी है क्योंकि जब युवा पीढ़ी में शारीरिक क्षमता व्याप्त होगी त बवह राष्ट्रो उन्नत का जज्बा लेकर हिमालय को भी छोटा कर देगा हमें ऐसी शिक्षा चाहिए जहां समाजिक मानवीयता हो राष्ट्रीयता हो तथा अपने देश के प्रति गौरव हो क्योंकि माँ, मातृ भाषा एवं मातृ भूमि का कोई विकल्प नहीं। आभार प्रदर्शन कुलपति राजेष दुबे ने कहा- हम आभारी हैं कि आज हमें भौगोलिक एवं प्राकृतिक विषयों की जानकारी हमारे मुख्य वक्ता से हमें प्राप्त हुई। मंच संचालन डाॅ.आशुतोष शर्मा ने किया। इस अवसर पर कुलसचिव श्री के.के.श्रीवास्तव, अधिष्ठाता डाॅ. मनीष मिश्रा, डाॅ. शैलेन्द्र पाटिल, डाॅ. सुकदेव बाजपेयी, डाॅ.नीरज तोपखाने, डाॅ. सुनीता जैन एवं समस्त प्राध्यापक,शैक्षणिक, अशैक्षणिक स्टाफ , एवं छात्र,छात्रओं की उपस्थिति में शांतिमंत्र के साथ संगोष्ठी का समापन हुआ।