अलग-अलग मंदिरों के प्रबंधन के लिए नए-नए अधिनियम बनाने की जरुरत नहीं : मनोज श्रीवास्तव
भोपाल
राज्य सरकार ने प्रदेश के छह प्रमुख मंदिरों के प्रबंधन के लिए एक अधिनियम बनाते हुए लागू कर दिया है। मध्यप्रदेश विर्निदिष्ट मंदिर अधिनियम बनाकर सभी मंदिरों को इसके दायरे में शामिल किया गया है। सलकनपुर मंदिर, महाकाल मंदिर उज्जैन, शारदा देवी मंदिर मैहर और खजराना मंदिर इंदौर के प्रबंधन के लिए अभी तक अलग-अलग अधिनियम बने हुए थे। अब इन सभी मंदिरों का प्रबंधन एक अधिनियम से हो सकेगा। इसके अलावा दादाजी धूनी वाले दरबार मंदिर खंडवा और जामसावली मंदिर का प्रबंधन भी इस नए मंदिर अधिनियम से हो सकेगा।
इस नए मंदिर अधिनियम के लागू होने के बाद अब अलग-अलग मंदिरों के प्रबंधन के लिए नए-नए अधिनियम बनाने की जरुरत नहीं पड़ेगी। बल्कि केवल एक ही अधिनियम से सभी मंदिरों का प्रबंधन हो सकेगा। इस नए अधिनियम में राज्य सरकार के पावर भी बढ़ाए गए है। राज्य शासन चाहे तो किसी भी मंदिर को इस अधिनियम की किसी शर्त से मुक्त कर सकता है और यदि किसी अन्य शर्त को जोड़ा जाना हो तो उसे भी वह अधिरोपित कर सकता है।
भविष्य में किसी नए मंदिर को इसके दायरे में लाने के लिए अब बस एक नोटिफिकेशन जारी करना होगा। मंदिर समिति के पावर भी बढ़ा दिए गए है। जहां पांच हजार रुपए तक खर्च करने के अधिकार थे वहीं अब वे पांच लाख रुपए तक खर्च कर सकते है।