स्वर्णकार समाज और भाजपा आमने सामने :नगरीय निकाय चुनाव में प्रतिनिधित्व नहीं दिए जाने से है नाराज
जोगी एक्सप्रेस
स्वर्णकार समाज भाजपा से अब करेगा बगावत
सतना . मध्यप्रदेश के आगामी होने वाले नगरीय निकाय के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने सुनार समुदाय को पूरी तरह से हाशिये पर धकेल दिया है तथा हाल में ही भाजपा ने मध्य प्रदेश के ११ नगर परिषद् तथा २० नगरपालिका के लिए घोषित की गई अध्यक्ष प्रत्याशियों में से एक भी सीट पर सुनार समुदाय के किसी व्यक्ति को टिकट नही दिया है जिसे लेकर सुनार समुदाय की स्वर्णकार केन्द्रीय समिति की बैठक सतना मध्यप्रदेश में आज आहूत की गई जिसमे बड़ी संख्या में सुनार समाज के लोग इकट्ठा हो कर अपनी समाज की, कि जा रही उपेक्षा पर विस्तार से चर्चा जारी रही .बैठक में स्वर्णकार समाज भाजपा को समर्थन देने के सन्दर्भ में कोई ठोस निर्णय भी ले सकता है ! समाज के लोगो ने कहा की हमारे पास सारे विकल्प खुले है , आपस में चर्चा कर तय करेंगे की इस नगरीय निकाय चुनाव में किस का समर्थन करे!में भारतीय जनता पार्टी के प्रति गहरा आक्रोश है जो इस नगरीय निकाय के चुनाव में भाजपा को भारी पड़ सकता है . आगामी होने वाले नगरीय निकाय चुनाव के लिए अध्यक्ष प्रत्याशियों की घोषणा होने के बाद से ही प्रदेश का सुनार समाज भाजपा से खासा नाराज चल रहा है . समाज के लोगो का कहना है कि सुनार समाज शुरू से भाजपा का साथ देता आया है . नोट बंदी से लेकर जी एस टी लागू करने तक सुनार समाज भाजपा के पक्ष में खाड़ी रही है लेकिन इसके बावजूद भारतीय जनता पार्टी ने सुनार समाज के लोगो के साथ हमेशा दोहरा रवैया अपनाया है तथा सुनार समाज के लोगो को कभी पार्टी के भीतर या सरकार में प्रतिनिधित्व नही दिया है . इसका प्रमाण है पुरे प्रदेश के ३१ नगरीय निकाय की सीटो में से एक भी सीट पर सुनार समाज के व्यक्ति को टिकट न देना . सुनार समाज के एक वरिष्ठ व्यक्ति ने कहा कि इस बार सुनार समाज अपनी उपेक्षा बर्दाश्त नही करेगा . तथा इस नगरीय निकाय चुनाव में वह भाजपा को अपनी ताकत का एहसास कराकर ही रहेगा .
मुद्दों के बल पर सेंधमारी:
हर क्षेत्र में समस्या हावी हैं। इन मुद्दों को अपना बनाने की ललक हर प्रत्याशी में है। जनता के बीच पहुंच कर इन मुद्दों को अपना बनाने में जो सफल होगा, वही दूसरे के गढ़ में सेंध लगा सकेगा।देखना यह है हर बार जातीय समीकरणों पर लड़ा जाने वाला चुनाव इस बार मुद्दों से प्रभावित होता है या फिर वही कहानी दोहराई जाती है।प्रत्याशियों ने वोटरों के घर की दौड़ शुरू कर दी है। गुपचुप ढंग से हर रोज सभाएं हो रही हैं। एक-एक वोट जुटाने की कड़ी मशक्कत हो रही है। विकास एवं बेहतरी के वायदे प्रत्याशियों की जुबां पर हैं। वही प्रतिद्वंद्वी की कमियां भी जनता को बताई जा रही हैं।