November 24, 2024

विद्यालय में गुरु जी ने ही कर दिया तिरंगे का अपमान ,बच्चो को क्या ख़ाक बाटेंगे ज्ञान

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इरफ़ान खान 

शहडोल ,धनपुरी नगर में शिक्षा और शिक्षक का स्तर दिन ब दिन  निचले स्तर पर जा रहा है !विद्यालय में बच्चो का भविष्य निर्माण होता है  वहा लापरवाही और गैर जिम्मेदार शिक्षक पढ़ाई तो दूर स्कूल की साख को भी बट्टा लगाने से नहीं चूकते ,बच्चे पढ़ रहे य नहीं इस से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता  उन्हें तो मलतब है सैलरी और टूशन  से ,इस गैर जिम्मेदाराना हरकत पर प्रशासन क्या कदम उठाता है यह तो समय ही तय करेगा ,क्या है  मामला: देशभर में धूमधाम से मनाए जाने वाले स्वतंत्रता दिवस पर शहड़ोल जिले के शासकीय प्रथमिक विद्यालय धनपुरी में ध्वजा रोहण तो किया गया लेकिन सूर्यास्त से पहले ही झंडा उतारने की बजाय उसे स्कूल परिषर में लगा रहने दिया गया इतना ही नहीं दूसरे दिन भी उसी तरह ध्वज लहराता रहा इसकी सुध न तो विद्यालय के शिक्षक ने ली और न ही किसी कर्मचारियों ने जिमेदार दूसरे दिन अपनी मस्ती में डूबे रहे आलम यह रहा कि दूसरे दिन भी राष्ट्रीय ध्वज लहराता रहा.जबकि राष्ट्रीय ध्वज सूर्यास्त के पहले उतार लिया जाना चाहिए. लेकिन शुक्रवार की सुबह तक झंडा नहीं उतारा गया वहीं जब इस बात की भनक मीडिया को लगी तब शुक्रवार को सुबह जिम्मेदारों को अपनी लापरवाही का भान हुआ

क्या है नियम

तिरंगा भारत के राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है। सभी के मार्गदर्शन और हित के लिए भारतीय ध्वज संहिता-2002 में सभी नियमों, रिवाजों, औपचारिकताओं और निर्देशों को एक साथ लाने का प्रयास किया गया है। ध्वज संहिता-भारत के स्थान पर भारतीय ध्वज संहिता-2002 को 26 जनवरी 2002 से लागू किया गया है। आइए जानते हैं तिरंगा फहराने का सही तरीका :-
1. जब भी तिरंगा फहराया जाए तो उसे सम्मानपूर्ण स्थान दिया जाए। उसे ऐसी जगह लगाया जाए, जहां से वह स्पष्ट रूप से दिखाई दे।

2. सरकारी भवन पर तिरंगा रविवार और अन्य छुट्‍टियों के दिनों में भी सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराया जाता है, विशेष अवसरों पर इसे रात को भी फहराया जा सकता है

3. तिरंगे को सदा स्फूर्ति से फहराया जाए और धीरे-धीरे आदर के साथ उतारा जाए। फहराते और उतारते समय बिगुल बजाया जाता है तो इस बात का ध्यान रखा जाए कि तिरंगे को बिगुल की आवाज के साथ ही फहराया और उतारा जाए।

4. तिरंगे का प्रदर्शन सभा मंच पर किया जाता है तो उसे इस प्रकार फहराया जाएगा कि जब वक्ता का मुंह श्रोताओं की ओर हो तो तिरंगा उनके दाहिने ओर हो।

5. जब तिरंगा किसी भवन की खिड़की, बालकनी या अगले हिस्से से आड़ा या तिरछा फहराया जाए तो भी तिरंगे को बिगुल की आवाज के साथ ही फहराया और उतारा जाए।
6. तिरंगा किसी अधिकारी की गाड़ी पर लगाया जाए तो उसे सामने की ओर बीचोंबीच या कार के दाईं ओर लगाया जाए।

7. फटा या मैला तिरंगा नहीं फहराया जाता है। जब तिरंगा फट जाए या मैला हो जाए तो उसे एकांत में पूरा नष्ट किया जाए।

8. तिरंगा केवल राष्ट्रीय शोक के अवसर पर ही आधा झुका रहता है।
9. किसी दूसरे झंडे या पताका को राष्ट्रीय तिरंगे से ऊंचा या ऊपर नहीं लगाया जाएगा, न ही बराबर में रखा जाएगा।

10. तिरंगे पर कुछ भी लिखा या छपा नहीं होना चाहिए।

अब रात में भी फहरा सकते हैं तिरंगा, लेकिनक्या है शर्ते जान ले  
भारतीय नागरिक अब रात में भी राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहरा सकते हैं। इसके लिए शर्त होगी कि झंडे का पोल वास्तव में लंबा हो और झंडा खुद भी चमके। गृह मंत्रालय ने उद्योगपति सांसद नवीन जिंदल द्वारा इस संबंध में रखे गए प्रस्ताव के बाद यह फैसला किया। इससे पहले जिंदल ने हर नागरिक के मूलभूत अधिकार के तौर पर तिरंगा फहराने के लिहाज से अदालती लड़ाई जीती थी।
कांग्रेस नेता जिंदल को दिए गए संदेश में मंत्रालय ने कहा कि प्रस्ताव की पड़ताल की गई है और कई स्थानों पर दिन और रात में राष्ट्रीय ध्वज को फहराने के लिए झंडे के बड़े पोल लगाने पर कोई आपत्ति नहीं है। जिंदल ने जून 2009 में मंत्रालय को दिए गए प्रस्ताव में बड़े आकार के राष्ट्रीय ध्वज को स्मारकों के पोलों पर रात में भी फहराए जाने की अनुमति मांगी थी।
जिंदल ने कहा था कि भारत की झंडा संहिता के आधार पर राष्ट्रीय ध्वज जहां तक संभव है, सूर्योदय से सूर्यास्त के बीच फहराया जाना चाहिए, लेकिन दुनियाभर में यह सामान्य है कि बड़े राष्ट्रीय ध्वज 100 फुट या इससे उंचे पोल पर स्मारकों पर दिन और रात फहराए गए होते हैं।
मलेशिया, जार्डन, अबू धाबी, उत्तर कोरिया, ब्राजील, मेक्सिको और तुर्कमेनिस्तान जैसे देशों का उदाहरण देते हुए जिंदल ने भारत के लिए भी इस तरह का प्रस्ताव रखा था। इन देशों में स्मारकों पर रात में झंडे लगे होते हैं।
जिंदल के पत्र के जवाब में मंत्रालय ने कहा कि इस तरह के पोल लगाए जा सकते हैं, रात में झंडों के चमकने के लिए उचित प्रकाश व्यवस्था होनी चाहिए, जिसमें बिजली जाने की स्थिति में बैकअप व्यवस्था हो। इसके अलावा किसी प्राकतिक कारण से झंडे को नुकसान पहुंचने के तुरंत बाद इसे बदला जाए।
जिंदल ने इससे पहले भारत के नागरिकों को सार्वजनिक तौर पर तिरंगा फहराने की इजाजत मिलने के लिए अभियान छेड़ा था और सुप्रीम कोर्ट ने 1996 में एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, जिसमें देश के प्रत्येक नागरिक को सम्मान, मर्यादा के साथ राष्ट्रीय ध्वज फहराने को एक मूलभूत अधिकार बताया गया।

 

 

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