युद्धोन्माद और सांप्रदायिक नफरत के खिलाफ सांस्कृतिक संध्या संपन्न
हमें मिसाइलों, परमाणु बम और युद्ध नहीं बल्कि रोजी-रोटी, शान्ति और समानता चाहिए के बोल फूटे
क्रांतिकारी सांस्कृतिक मंच (कसम) का आयोजन
रायपुर. 1 अप्रैल 2019। क्रांतिकारी सांस्कृतिक मंच (कसम) द्वारा युद्धोन्माद और सांप्रदायिक नफरत के खिलाफ 31 मार्च को वृन्दावन हॉल, रायपुर (छत्तीसगढ़) में सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया। कसम के महासचिव तुहिन ने कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज पूरे देश की फ़िज़ा, अंधराष्ट्रवाद और युद्धोन्माद के ज़हर से कराह रही है। कॉर्पोरेट ताकतों द्वारा आम जनता पर ताबड़तोड़ हमले करने के कारण बेरोजगारी, महंगाई, ग़रीबी सहित तमाम दुश्वारियां बढ़ती रही हैं। ऐसे माहौल में जंग के खिलाफ अमन, समता और धर्मनिरपेक्षता की आवाज़ को बुलंद करने के देशव्यापी अभियान के हिस्से के रूप में रायपुर में आज 31 मार्च 2019 को एक सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया है। सांस्कृतिक संध्या के मुख्य आकर्षण रहे बंगाल के सिंगुर, नंदीग्राम समेत तमाम जनसंघर्षों के प्रमुख प्रतिवादी स्वर सुप्रसिद्ध जनगायक असीम गिरी जो कि क्रांतिकारी सांस्कृतिक मंच के केंद्रीय कमेटी के सदस्य भी हैं ने हिंदी में “आज़ादी है भोर की लाली आज़ादी” व “हमारा शहर मेगासिटी/स्मार्ट सिटी बनेगा” गीत सहित बांग्ला व हिंदी में उनके कई लोकप्रिय जनगीत प्रस्तुत किए। तुहिन ने “क्रान्ति के लिए उठे कदम” जनगीत प्रस्तुत किया।
जबलपुर के सुप्रसिद्ध संस्कृतिकर्मी समर सेनगुप्ता द्वारा एकल अभिनय नंबर 13 प्रसाद का प्रस्तुतिकरण किया गया। समर सेनगुप्ता जो कि कसम के केंद्रीय कमेटी के सदस्य तथा जबलपुर के विमर्श संस्था के प्रमुख हैं ने हिंदी जिनमें कैफ़ी आज़मी की नज़्म “रौशनी जिसमें आती है” तथा शलभ सिंह राम सिंह द्वारा लिखित “नफस-नफस कदम-कदम” जनगीत प्रस्तुत किए। भिलाई व रायपुर के संस्कृतिकर्मियों द्वारा युद्धविरोधी, सांप्रदायिक हिंसा विरोधी एवं इंसानियत के पक्ष में जनगीत, काव्यपाठ/सस्वरपाठ व लघुनाटिका का प्रस्तुतिकरण भी किया गया। कार्यक्रम में पत्रकार व संस्कृतिकर्मी राजकुमार सोनी, कसम की बिपाशा राव, इप्टा भिलाई के मणिमय व सुचेता मुखर्जी द्वारा जोशीले जनगीतों व कविता पाठ (उदय प्रकाश व लीलाधर मंडलोई द्वारा लिखित) किया गया। आड्डा सांस्कृतिक मंच व निखिल बंग परिषद् रायपुर की साहित्यकार प्रतिमा नाग व कवियत्री शिवानी मोइत्रा द्वारा सस्वर कविता पाठ तथा भिलाई की संचयिता राय एवं विश्वजीत के नेतृत्व में रविंद्र सुधा संस्था द्वारा युद्ध के खिलाफ लघुनाटिका व रविंद्र संगीत का प्रस्तुतिकरण किया गया। अध्यक्षता करते हुए नगर के वरिष्ठ रंगकर्मी बोधिसत्व चटर्जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि हमें मिसाइलों, बंदूकों, परमाणु बम और युद्ध नहीं बल्कि रोजी-रोटी, शांति और समानता की ज़रूरत है। उन्होंने युद्ध विरोधी किताबें जैसे कि एरिक मारिया रेमार्क की “ऑल क्वाइट ऑन द वेस्टर्न फ्रंट तथा फिल्म फैरेन हाइट नाइन इलेवन (निर्देशक माइकल मूर) का ज़िक्र करते हुए सांप्रदायिक फासीवाद जो कि आज प्रमुख खतरा है को पराजित करने की बात कही। कसम रायपुर के रविंद्र यादव ने कार्यक्रम का संचालन किया। भिलाई की लेखिका व बंगीय साहित्य समिति की अध्यक्ष आरती चंद ने आभार प्रदर्शन किया। कार्यक्रम में संस्कृतिकर्मी, बुद्धिजीवीगण एवं छात्र-नौजवानों ने विशेष रूप से शिरकत की।