November 23, 2024

मोहली में मनाया गया होली त्योहार , वर्षों से पांच दिन पूर्व होली मनाने की चली आ रही है परम्परा

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होली के अलावा अन्य 2 त्यौहार भी पहले ही मना लेते है इस गांव के लोग, वर्षों से चली आ रही परंपरा का कर रहे निर्वहन

अजय तिवारी 

सूरजपुर /बिहारपुर – सूरजपुर जिले के दूर अंचल क्षेत्र चांदनी बिहारपुर के ग्राम पंचायत महुली में त्योहार से पांच दिन पूर्व ही रविवार को धूमधाम से होली पर्व मनाया गया। इस अवसर पर विधि-विधान से देवल्ला में पूजा-अर्चना कर एक-दूसरे को रंग-गुलाल और अबीर लगाकर होली की शुभकामनाएं देने के साथ ही
गांव के बुजुर्ग, महिलाएं व बच्चे फाग गीतों पर जमकर झूमते नजर आए। महुली में होली खेलने और देखने के लिए आसपास गाव के ग्रामीण पहुंचे थे।

गौरतलब है की जिला मुख्यालय सूरजपुर से करीब 130 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम पंचायत महुली में रंगों का त्योहार होली पर्व धूमधाम से मनाया गया। गांव में किसी प्रकार की अनहोनी को टालने हर साल 5 दिन पहले होली पर्व मनाया जाता है।बताया जाता है की पांच दिन पूर्व होली मनाने की परंपरा पूर्वजों द्वारा शुरू की गई थी जिस रिवाज को अब तक निभाया जा रहा है जबकि भारतीय कैलेंडर के अनुसार होली त्योहार 21 मार्च को मनाई जाएगी।

विदित हो की महुली में पांच दिन पहले होली खेलने की परंपरा सूरजपुर में प्रसिद्ध है। होली का जश्न मनाने आसपास के ग्रामीण भी महुली पहुंचे। वहीं ग्रामीणोंं ने ढोलक, मंजीरे की थाप, फाग गीतों पर जमकर झूमे और एक दूसरे को रंग- गुलाल लगाकर होली खेली। ग्रामीणों का कहना है कि गांव को किसी प्रकार की अनहोनी से बचाने के लिए महुली में 5 दिन पहले होली मनाई जाती है।त्योहार पाच दिन पहले मनाने से गांव के किसी परिवार में अनहोनी व किसी प्रकार की अप्रिय घटना नहीं होती है। गांव के लोगों को अनहोनी से बचाने के लिए वर्षों से 5 दिन पहले होली खेली जाती है।

वहीं पूर्वजों ने कई हजार सालों पहले होली को पांच दिन पहले मनाने का रिवाज बनाया है। इस कारण ग्रामीण बुजुर्गों के बनाए नियम का पालन कर होली पर्व मनाते हैं।

ढोलक-मंजीरे व डीजे के साथ होली खेली

वहीं इस सम्बंध में ग्रामीणों ने बताया की ग्राम पंचायत महुली में वर्षों पहले बुजुर्गों की परंपरा को कायम रखा गया है।
ग्रामीण ने पारंपरिक ढोलक, मंजीरे की थाप पर पूरे उल्लाह के साथ होली का त्योहार मनाया। वहीं युवा व बच्चों ने आधुनिक डीजे व बाजेगाजे के साथ होली खेली। महुली में होली त्योहार मनाने ग्रामीणों की बैठक होती है। इस दौरान ग्रामीण आपस में रायशुमारी और सर्वसम्मति से पूर्वजों की परंपरा को कायम रखकर होली त्योहार मनाने का निर्णय लेते हैं।

समय से पहले मनाते हैं ये 2 प्रमुख त्योहार :-

ग्राम पंचायत महुली के ग्रामीणों का कहना है कि गांव में वर्षों से होली, कर्मा, का त्योहार पांच दिन पहले मनाया जाता है। जिससे गांव में किसी प्रकार की अनहोनी व अप्रिय घटना नहीं होती है।

वर्षों पहले होली त्योहार के दिन एक ग्रामीण के घर में अप्रिय घटना हुई थी। जिससे एक पुरोहित ने पाच दिन पहले होली त्योहार मनाने की सलाह दी थी और तब से लेकर आज तक 5 दिन पहले होली का त्योहार मनाया जाता है।

102 साल से ‘महुली’ के ग्रामीण 5 दिन पहले खेल लेते हैं होली

सूरजपुर जिले के दुरस्थ अंचल चांदनी-बिहारपुर में सन् 1917 से ही ग्राम पंचायत महुली में पाच दिन पहले मनाई जा रही है होली
सूरजपुर. जिले के दूरस्थ अंचल चांदनी-बिहारपुर के ग्राम पंचायत महुली में आज भी होली में वर्षों पुरानी परंपरा का पालन किया जा रहा है। धार्मिक मान्यता से जुड़ी पूर्वजों की बताई बातों को मानते हुए हर वर्ष महुली में 5 दिन पहले ही होली मना ली जाती है। सन् 1817 से चली आ रही परंपरा का निर्वहन करते हुए इस बार 17 मार्च को महुली में जमकर होली खेली गई।

पूरे देश में रंगों के त्योहार होली की तैयारियां जोर-शोर से चल रही है। लेकिन जिले के दूरस्थ अंचल का एक गांव ऐसा है जहां पाच दिन पहले ही 17 मार्च को ग्रामीणों ने एक-दूसरे को रंग-अबीर लगाकर होली खेल ली। दरअसल ग्राम पंचायत महुली में होली त्योहार को पहले ही मना लेने की धार्मिक मान्यता से जुड़ी परंपरा है, जो इस गांव के पूर्वजों द्वारा वर्षों पूर्व दी गई है।

इस मान्यता के साथ ही एक भय भी ग्रामीणों के बीच बना रहता है जिसमें ऐसा नहीं करने पर गांव में बीमारी या किसी और रुप में संकट आने की बात शामिल है, इसलिए ग्रामीण इस परंपरा को निभाने में किसी प्रकार की चूक नहीं करते हैं। लगातार लगभग 102 सालों से इस गांव में ऐसा ही होता आ रहा है।

–मां अष्टभुजी देवी से जुड़ी है आस्था–

ग्राम पंचायत महुली में पांच दिन पहले ही होली मना लेने की पीछे की मान्यता गढ़वतिया पहाड़ पर विराजीं मां अष्टभुजी देवी से जुड़ी हुई है। गांव के बुजुर्गों ने बताया कि वर्षों पूर्व रियासत काल के समय होली से पाच दिन पहले ही गढ़वतिया पहाड़ पर खुद से आग लग गई थी, जहां अष्टभुजी देवी विराजमान हैं। इसे गांव में धार्मिक मान्यता के रुप में होलिका दहन मानकर अगले दिन होली मनाने की परंपरा तब से चली आ रही है।

मंगलवार आने तक उड़ता है रंग-गुलाल
गांव के बैगा ने बताया कि होलिका के बाद से जब तक अगला मंगलवार नहीं पड़ता, गांव में होली मनाई जाती है। इस बार ग्रामीणों ने 17 मार्च रविवार को होलिका दहन किया और मंगलवार आने तक होली खेलते रहेंगे। रंगों के इस त्योहार में गांव के बड़े, बुजुर्ग व बच्चे पूरे जोश से शामिल होते हैं।

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