मीडिया अटेंशन के लिए कांग्रेस में पार्टी फंड की बंदरबांट
फंड डिस्ट्रिब्यूशन में पार्टी नेता कर रहे मां और मौसी का भेदभाव
रायपुर। छत्तीसगढ़ में सत्ता हासिल करने का ख्वाब संजोए कांग्रेस का सपना पीसीसी के लीडर ही चकनाचूर करने में लगे हैं। मुफ्त में मीडिया अंटेशन और प्रत्याशियों के लिए पार्टी से मिलने वाले चुनावी खर्च में मां और मौसी का खेल किया जा रहा है। आलम यह है कि भाजपा के खिलाफ चुनाव जीतने के लिए पार्टी नेता एंटी इंकम्बेंसी के भरोसे हैं तो दूसरे चरण के चुनाव प्रचार की कवरेज के लिए मीडिया के एक बड़े तबके को दरकिनार कर चंद लोगों को ही अहमियत दे रहे हैं। देश में सबसे लंबे समय तक सत्ता सुख भोगने वाली कांग्रेस पार्टी के नेता अब खर्च के नाम पर विधवा विलाप कर रही है। महज चंद साल सत्तासीन रही भाजपा की तुलना में कांग्रेस नेता फंड की कमी का रोना अभी से रो रहे हैं। प्रत्याशियों को भी पार्टी से जो चुनाव खर्च भेजा जा रहा है उसमें भी खेल होने की खबर है। बताते हैं कि तीन स्टॉलमेंट में प्रत्याशियों को पार्टी फंड देगी। इसमें 20, 30 फिर 20 का आंकड़ा दिल्ली से तय किया गया है। इस हिसाब से ही दिल्ली से पीसीसी तक फंड का डिस्ट्रिब्यूशन होना है। परंतु पीसीसी के कुछ नेताओं की वजह से प्रत्याशियों के चुनाव फंड में भी खेल कर दिया जा रहा है। यही खिलवाड़ मीडिया के साथ भी पीसीसी लीडर कर रहे हैं। हालाकि इसकी जानकारी के बाद दिल्ली के कई लीडरों ने वेब मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और सोशल मीडिया के एक बड़े तबके को आश्वास्त किया था। बता दें कि चंद बड़े बैनरों को छोड़कर पीसीसी लीडर उनकी अनदेखी कर रहे हैं जो बड़ी संख्या में कांग्रेस की हर खभरों को तवज्जो देते हैं।
गरीब कांग्रेस के अमीर नेता
देश और राज्यों में सबसे लंबे वक्त तक राज करने वाली कांग्रेस की माली हालत बेहद नाजुक है। महज जन विरोध और मुफ्त में खबरें प्रसारित कर सत्ता सुख भोगने की कोशिश करने वाले पार्टी के नेताओं की जेबें सत्ता में रहते इतनी भारी हो गई कि वे सब मिलकर प्रदेश की 90 सीटों में पार्टी प्रत्याशी के लिए फंड जुटा सकते थे। परंतु पार्टी के नाम पर रईस बने नेता अब पार्टी के खाली हो चुके कोष में योगदान देने से कतरा रहे हैं। उलटा गरीबी गुरबत में जो फंड दिल्ली से छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस में भेजा जा रहा है उसकी बंदरबांट से एक बार फिर गरीब पार्टी के नेता रईस हो रहे हैं।