November 23, 2024

किन योगों के कारण व्यक्ति हो जाता है कर्जदार

0

रायपुर ,ऋणी होना व्यक्ति की सर्वाधिक प्रतिकूल परिस्थितियों में से एक है। ऋणग्रस्त व्यक्ति सदैव मानसिक अवसाद से घिरा रहता है। अथक परिश्रम करने के उपरान्त भी वह अपने ऋण से मुक्त नहीं हो पाता।
आइए जानते हैं वे कौन से ग्रह योग होते हैं जो जातक को ऋणी बनाते हैं।’ऋण योग’ का विचार करने के लिए जन्मपत्रिका के तीन भावों का मुख्य रूप से विश्लेषण करना आवश्यक है- धन भाव, आय भाव एवं ऋण भाव। जन्मपत्रिका के द्वितीय भाव से धन,एकादश भाव से आय व षष्ठ भाव से ऋण का विचार किया जाता है। यदि किसी जन्मपत्रिका में निम्न ग्रह स्थितियां निर्मित होती हैं तो जातक को आर्थिक मामलों में अत्यन्त सावधानी रखने की आवश्यकता होती है क्योंकि ये ग्रह योग जातक को ऋणी बना सकते हैं।

1. यदि धन भाव का अधिपति (धनेश) व आय भाव (आयेश) का अधिपति दोनों ही अशुभ स्थानों में हो व ऋण भाव का अधिपति लाभ भाव में स्थित हो।

2. यदि धनेश व लाभेश व्यय भाव में स्थित हों व ऋण भाव का अधिपति केन्द्र या त्रिकोण में लग्नेश के साथ स्थित हो।

3. यदि धनेश के साथ षष्ठेश की युति हो व लाभेश व्यय भाव में हो व लग्नेश पीड़ित व निर्बल हो।

4. यदि लाभेश के साथ षष्ठेश की युति हो व धनेश व्यय भाव में स्थित हो व लग्नेश पीड़ित व निर्बल हो।

5. यदि धनेश छठे भाव में, लाभेश व्यय भाव में एवं षष्ठेश एकादश भाव में हो।

6. यदि लग्नेश व षष्ठेश की युति हो व धनेश व लाभेश अशुभ स्थानों में हो।

7. यदि लग्नेश, धनेश व लाभेश तीनों पाप ग्रहों के प्रभाव में हों।

यदि किसी जातक की जन्मपत्रिका में उपर्युक्त ग्रह स्थितियां निर्मित होती हैं तो यह ‘ऋण योग’ का संकेत करती हैं।
_★★_
भविष्यवक्ता
(पं.) डॉ. विश्वरँजन मिश्र, रायपुर
एम.ए.(ज्योतिष), बी.एड., पी.एच.डी.
मोबाईल :- 9806143000,
8103533330

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *