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जोगी एक्सप्रेस
मै विचलित हूँ
यह दुर्दशा देखकर।
मेरे भारत को
जाती धर्म में बटता देखकर।
वे कौन है ,
जो हमे उस्का रहा है।
कब्रिस्तान और समशान में
मुर्दो को भी बाट रहा है।
क्या उन झोलाछाप
नेता को यह भान नही।
स्वतन्त्रता समानता बन्धुत्व न्याय का
भारतीय सविधान का ज्ञान नही।
फिर ये कौसी मर्यादी रूप राज्य की कल्पना करते हो।
भक्तो के भीड़ में गुलामो की जिंदगी गढ़ते हो।
क्या तुम सविधान अनुरूप
भारतीय समाज की कल्पना की है।
सविधान का पालन करने की
तुमने सपत ली है।
व्यक्ति की गरिमा राष्ट की एकता बचाने की
सविधान ने वचन दी है।
फिर क्यों आदमी आदमी को
सड़क पर हलाल कर रहा है।
हे संसद, कार्यपालिका, न्यायपालिका,
सविधान के होते हुए ये क्या चल रहा है।
पता नही ये कैसी
त्यागी तपस्वी योगी है।
जानवर के बदले
इंसान की बलि लेती है
घनश्याम प्रसाद राय
ग्राम मतवारी