अब साइबर कैफे से संवरेगी दिब्यांग छत्रपाल की जिंदगी
कोरबा –अपने दोनों आंखों से ठीक ठाक देख नही पाने वाला दिव्यांग छत्रपाल की जिंदगी बचपन से अब तक बेहद ही चुनौती और संघर्ष से गुजरी है। संघर्ष से जुझते हुये उसने अपना मुकाम हासिल करने हर पल कोशिश किया।इसी का परिणाम था कि छत्रपाल अब ग्रेज्युएशन की पढ़ाई पूरी करने वाला है। ब्लांइड होते हुये भी शिक्षित होने की ललक और अपने पैरों पर खड़ा होने के लिये तकनीकी व्यवसाय को स्वरोजगार हेतु अपनाना उसके परिश्रमी होने की पहचान है। आज जब कलेक्टर मोहम्मद कैसर अब्दुल हक ने छत्रपाल सिंह को चार लाख पचास हजार रूपये का चेक दिया तो उसके चेहरे पर खुशियां देखते ही बन रही थी। उसने कलेक्टर को बताया कि शासन से जो राशि मिली है उससे अपने भाईयों के सहयोग से गांव में ही एक साइबर कैफे की दुकान संचालित करेगा। कलेक्टर ने उसे शुभकामनायें देते हुये कहा कि समय पर ऋण जमा कर अपने पैरों पर खड़ा होकर खूब आगे बढ़ो।ग्राम जवाली निवासी छत्रपाल सिंह कंवर ने कुछ माह पहले कलेक्टर जनदर्शन में मो. कैसर अब्दुल हक को आवेदन देकर स्वरोजगार स्थापित करने व्यावसाय हेतु ऋण की मांग की थी। कलेक्टर ने उसकी मांग को पूरा करने का न सिर्फ भरोसा दिलाया, उसके आवेदन को समाज कल्याण विभाग के माध्यम से छत्तीसगढ़ निःशक्तजन वित्त एवं विकास निगम रायपुर को अग्रेषित किया। आंखों से दिव्यांग छत्रपाल सिंह ने साइबर कैफे संचालित करने ऋण की मांग की थी। उसके इस आवेदन पर छत्तीसगढ़ निःशक्तजन वित्त एवं विकास निगम द्वारा चार लाख पचास हजार रूपये की स्वीकृति प्रदान की गई। कलेक्टर के हाथों राशि प्राप्त होने पर खुद को गौरवान्वित महसूस करते हुये छत्रपाल ने आभार जताते हुये कहा कि कलेक्टर की पहल से अब वह अपने पैरों पर खड़ा हो पायेगा। उसने बताया कि वह स्पेशल सॉप्टवेयर से कम्प्यूटर में काम करता है। इसलिये साइबर कैफे जैसे व्यवसाय को चुना। इससे वह फोटो प्रिटिंग, एडिंिटंग, इंटरनेट संबंधी कार्य, फोटोकाफी, मोबाइल रिचार्ज आदि कर सकता है। छत्रपाल ने बताया कि उसके इस व्यवसाय में उसके भाई लोग भी सहयोग करेंगे। उसने बताया कि वह विशेष यूनिवर्सिटी से हरियाणा के अंबाला कैट से ग्रेज्युएशन कर रहा है। समय मिलने पर आर्केस्ट्रा में गाना भी गाता है। शासन से अपने मनपंसद व्यवसाय साइबर कैफे के लिये राशि मिलने पर उसने राज्य शासन का आभार जताया।