कांग्रेस का महाधिवेशन अाज, मोदी सरकार को घेरने की रणनीति से उठेगा पर्दा
नई दिल्ली : राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार कांग्रेस पार्टी महाधिवेशन करने जा रही है | लोकसभा उपचुनाव के नतीजे से बदले राजनीतिक माहौल के बीच हो रहे इस अधिवेशन का महत्त्व काफी बढ़ जाता है।
तीन दिवसीय इस अधिवेशन में पार्टी विभिन्न प्रस्तावों के जरिये राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक मुद्दों पर अपने विचार स्पष्ट करेगी और उन पर आगे बढऩे तथा उनके क्रियान्वयन का रास्ता तय करेगी।
सोनिया की डिनर डिप्लोमेसी में हुई चर्चा को कांग्रेस महाअधिवेशन में विस्तार से रखा जायेगा और आने वाले चुनावो के लिए अहम् फैसले भी होंगे ।
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के मिलकर भाजपा को पटकनी देने के बाद कांग्रेस के इस अधिवेशन का महत्व और बढ़ गया है।
सबकी नजर अब इस बात पर होगी कि पार्टी भाजपा विरोधी ताकतों को साथ लेने के लिये क्या रास्ता अपनायेगी।
कई मुद्दों पर होगी चर्चा
पार्टी सूत्रों के अनुसार राहुल देश की राजनीतिक स्थिति पर दृष्टि पत्र पेश कर सकते हैं जिसमें आगे की रणनीति विशेषकर अगले वर्ष होने वाले आम चुनाव में भाजपा को पराजित करने की रणनीति के बारे में विस्तार से जानकारी होगी।
किसानों, बेरोजगारों तथा गरीबों के मुद्दे पर इस अधिवेशन में विशेष रूप से चर्चा होगी तथा इस संबंध में प्रस्ताव भी पारित किये जायेंगे। इन मुद्दों पर पार्टी सरकार को लगातार घेरती रही है और अगले चुनाव में वह इन्हें बड़ा मुद्दा बनाने की तैयारी में है।
अधिवेशन में 15000 प्रतिनिधि लेंगे हिस्सा
बता दें कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से लगातार हार पार्टी के लिये चिंता का विषय है और इस मसले पर अधिवेशन में विस्तार से चर्चा होगी।
पार्टी इस दुविधा में है कि वह खुद को मजबूत करने के लिये अकेले आगे बढ़े या भाजपा को सत्ता से बाहर करने के लिये क्षेत्रीय दलों की प्रधानता स्वीकार करे।
इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में होने वाले तीन दिन के इस अधिवेशन में 15000 प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे।
सत्र के पहले दिन 16 मार्च को पदाधिकारियों की बैठक होगी और दूसरे दिन 17 मार्च को राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक तथा अन्य प्रस्ताव पारित किए जाएंगे तथा 18 को महा अधिवेशन का समापन होगा।