कास्टिक सोडा यूनिट सोडा फैक्ट्री का प्रबंधक मैनेजरी की आड़ में जमकर कर रहा कमीशन खोरी
उद्योग को लगा रहा लाखों का चूना
अनूपपुर। कास्टिक सोडा यूनिट में बनने वाले उत्पाद कास्टिक एसिड एचसीएल जैसे उत्पादों के परिवहन के लिए मोटर मालिकों से मोटी रकम की लालच में कमीशन सेट कर परिवहन पर लगे टैंकर के माध्यम से उनके मालिकों से सांठगांठ कर उद्योग के अंदर निर्मित होने वाले उत्पादों अन्यत्र स्थानों में भेजने के लिए परिवहन के नाम पर कंपनी प्रबंधन के लाखों रुपए की क्षति पंहुचाते हुए बंदरबांट की जा रही है यही हाल सोडा कास्ट यूनिट के अंतर्गत संचालित कैंटीन गेस्ट हाउस में सप्लाई की जाने वाली खाद्य सामग्रियों पर भी जमकर कमीशन खोरी निरंतर की जा रही है विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक बताया जाता है कि उद्योग के मैनेजर अविनाश वर्मा क्षेत्रीय युवा बेरोजगारों को अपरेंटिस ट्रेनिंग के लिए अपरेंटिस कराया जाता है किंतु प्रबंधन के द्वारा अपने ही कर्मचारियों और उनके रिश्तेदारों को अप्रेंटिश कराया जाता है इस ट्रेनिंग के दौरान कर्मचारियों के माध्यम से अपने रिश्तेदारों से लगभग 20 से 25 हजार रुपए अप्रेंटिस ट्रेनिंग के नाम पर कमीशन लिया जाता है और उन्हीं की ही भर्ती की जाती है जिससे बाहर से आए युवा बेरोजगारों को अपरेंटिस ट्रेनिंग का अवसर प्राप्त नहीं हो पाता है और वह बार-बार आवेदन तो करते हैं किंतु उन्हें उद्योग के अंदर ट्रेनिंग करने का मौका प्राप्त नहीं हो पाता है बढ़ती बेरोजगारी के कारण दर-दर भटकते रहते हैं।
श्रम विभाग के नियमों को भी दरकिनार कर रहा सोडा कास्टिक यूनिट
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सोडा कास्टिक मिनट के अंदर बिना शासन के एनओसी के निर्माणाधीन ब्लीचिंग प्लांट जिसमें कई प्रकार के खतरनाक केमिकल का उपयोग करते हुए ब्लीचिंग पाउडर निर्मित किया जाता है उस पर कार्यरत मजदूर ना तो उनके राज्य कर्मचारी बीमा और ना ही भविष्य निधि योजना का लाभ मिल पा रहा है यहां तक की ब्लीचिंग प्लांट का ठेकेदार आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के वेरोजगार मजदूरों को उद्योग के अंदर बिना सुरक्षा उपकरणों के उस ब्लीचिंग प्लांट में उन मजदूरों को न्यूनतम दर निर्धारित कलेक्ट्रेट रेट के अनुरूप निर्धारित मजदूरी दर का भुगतान भी नहीं किया जाता बल्कि उद्योग के वरिष्ठ अधिकारियों सांठगांठ कर 1 दिन की ₹200 की दर से मजदूरी भुगतान किया जाता है उद्योग के उपस्थित पणजी प्रवेश रजिस्टर एवं निकासी रजिस्टर पर साथ ही सुरक्षा विभाग में रखे हाजिरी रजिस्टर में भी इनके नाम रजिस्टर में दर्ज नहीं किए जाते हैं ठेकेदार के द्वारा नियुक्त मुंशी एक कागज के टुकड़े में नाम लिखकर मजदूरों को बिना सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराए ही प्रवेश करा दिया जाता है जिसका जीता जागता प्रमाण उद्योग के अंदर हुए पूर्व में हुए दुर्घटनाओं से भी अंदाजा लगाया जा सकता है जिस पर एसिड की वजह से एक नवयुवक का शरीर भी जल गया था और कई ऐसी दुर्घटनाएं घटित हो चुकी हैं जिसकी वजह सुरक्षा उपकरण उपलब्ध ना कराना माना जाता है।