बरगवां मेले का आयोजन संभावित तीसरी लहर के कारण किया जाए स्थगित-अविरल गौतम
अनूपपुर। संभावित कोरोना की तीसरी लहर से बचाव के लिए सार्वजनिक कार्यक्रमों मेला उत्सव एवं अन्य सामाजिक राजनीतिक कार्यक्रमों के अलावा भीड़ भाड़ से बचने के लिए मेला उत्सव जैसे आयोजनों पर प्रतिबंध लगाना अति आवश्यक है। जिस प्रकार कोविड-19 संक्रमण की तीसरी लहर के फैलते संक्रमण की रोकथाम के लिए शासन प्रशासन व्यापक तैयारियां एवं पूर्व इंतजाम कर रही है साथ ही पड़ोसी जिला शहडोल में लगने वाली ऐतिहासिक बाणगंगा मेला का प्रतिबंधित आदेश जिला कलेक्टर शहडोल के द्वारा इस भीषण महामारी से बचाव को लेकर किया गया है उसी प्रकार जिला अनूपपुर के औद्योगिक एवं कोयलांचल क्षेत्र की बरगवां मेला मैदान हनुमान मंदिर प्रांगण में लगने वाले इस ऐतिहासिक मेले को भी प्रतिबंधित किया जाना चाहिए क्योंकि अव्यवस्थाओं के बीच लगने वाली बद इंतजाम मेले के भराव के कारण हो सकती है परेशानी यही नहीं इस मेले में दूरदराज एवं आसपास के लोगों के कारण भारी भीड़ होने के कारण कोरोना संक्रमण का संकट मंडरा सकता है। इस प्रकार कोविड-19 संक्रमण को लेकर बनाई गई गाइडलाइन के नियमों की अनदेखी करना लोगों के आचरण से दूर होता नजर आ रहा है जिसमें इतनी बड़ी भीषण विपदा को झेलने के बाद भी जन समुदाय के द्वारा मास्क,सैनिटाइजर एवं संपूर्ण सुरक्षा इंतजामों की अनदेखी करना आदत सी हो गई है। साथ ही मेला भराव के बाद मेला लगने वाले मैदान में व्यापक रूप से कचड़ा का अंबार एवं गंदगी से पाट दिया जाता है, जिसके कारण मेला स्थान में चारों ओर गंदगी कचडो के रूप में भरा पड़ा रहता है जो पूरे साल मंदिर जैसी धार्मिक स्थल पर उड़ उड़ कर भरते रहते हैं फिर भी ग्राम पंचायत व प्रशासनिक समिति के द्वारा साफ-सफाई एवं स्वच्छता के नाम पर बाबाजी का ठुल्लू दिखा दिया जाता है।
उत्साह व आनंद वन ना जाए संकट का कारण
क्योंकि मेला का आयोजन आपसी प्रेम व सौहार्द के सहित धार्मिक आस्था को लेकर मकर संक्रांति पर्व के रूप में मनाया जाना जिसमें समाज के सभी वर्गों के लोग पूरे परिवार के सहित छोटे बड़े बच्चे पूरे उत्साह के साथ मेला में होने वाले खेल वा खिलौनों की चाहत में कड़कड़ाती ठंड के कारण स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है इसके मद्देनजर इस वर्ष मेला का आयोजन विषम परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए ना कराया जाए। कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर के मद्देनजर होने वाली भारी भीड़ भाड़ के साथ-साथ प्रदूषण एवं गंदगी को देखते हुए प्रसिद्ध हनुमान मंदिर बरगवां के पुजारी अविरल मिश्रा के द्वारा जिला प्रशासन से अपील की गई है कि इस प्रकार की स्थिति में मेला भराव व उत्सव आयोजनों में प्रतिबंध लगाए जाने की बात कही है।
गोलमाल करके सर्वेयर एवं समिति की जुगलजोडी से हो रही घटिया धान की खरीदी
अनूपपुर। कोतमा गोदाम में लगातार घटिया धान पहुंचने का सिलसिला जारी है समिति द्वारा भेजे गए धान या तो पुराने होते हैं या उनमें धूल डस्ट मिले होते हैं जिससे वहां पर तैनात सर्वेयर द्वारा धान को जैसे ही रिजेक्ट किया जाता है वैसे ही बवाल सा मच जाता है हालांकि सबसे ज्यादा छिल्पा समिति के द्वारा घटिया धान भेजे जा रहे हैं, अब विभाग ने पहले तो ऐसे धान की खेप को पुनः समिति भेजने का काम करती थी, लेकिन अब घटिया धान को अलग करा कर अच्छे धान को गोदाम में रखा दिया जाता है बाद में पुनः उस धान को सांफ समिति के द्वारा कराने के निर्देश दिए जाते हैं, हालांकि अभी तक किसी भी समिति ने धान को साफ कर विभाग को नहीं दिया है गौरतलब है कि कोतमा गोदाम में छिल्पा, मलगा, भलमुडी, भालूमाडा, जैतहरी, देवंगवा की धान जमा हो रहे हैं। सोमवार को छिलपा समिति से धान लेकर आई दो वाहन क्रमांक सीजी 15 एसी 0825, एमपी18 जीए 2145 को मौके में तैनात सर्वेयर ने चेक करने के बाद रिजेक्ट कर दिया इस धान में कंकड़ की मात्रा व पुराने धान की मात्रा अधिक थी, हालांकि धान को अलग से खाली करा दिया गया है, समिति को निर्देश दिए जाएंगे कि इस धान को साफ करें लेकिन सवाल ये उठता है प्रत्येक समिति के साथ एक सर्वेयर की तैनाती की गई है जो धान की गुणवत्ता को जांचने के बाद ही गोदाम में भेजने का काम करेगा हालांकि विभाग अभी तक जैतहरी समिति, खोडरी नंबर 1 के समिति के विरुद्ध एफ आई आर कराने के निर्देश कभी भी जारी कर सकते हैं, तो वही कोठी,देवगमा समिति की जांच चल रही है इन पर भी जल्द ही एफआईआर की गाज गिर सकती है। मध्य प्रदेश में धान खरीदी केंद्रों पर किसानों को कोई परेशानी ना हो इसके लिए सरकार ने उचित व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं, लेकिन अनूपपुर जिले के धान खरीदी केंद्रों पर कोई इंतजाम नहीं होने से किसान परेशान है देवगवा समिति में किसानों से ही धान का तौल कराया जा रहा है, बताया जाता है कि किसानों के द्वारा धान को अपनी बोरी से समिति की बोरी में डालने का काम करती है अगर किसान ऐसा नहीं करता तो प्रत्येक बोरे के हिसाब से 9 रुपये की मांग समिति प्रबंधक के द्वारा की जाती है, पूछने पर समिति प्रबंधक विनोद तिवारी के द्वारा कहा गया कि उतना काम तो किसान को करना ही पड़ेगा, और तो और किसानों को कड़कड़ाती ठंड में खुले आसमान के नीचे धान बेचने को मजबूर हैं, जिले के कोतमा स्थित देवगवा खरीदी केंद्र में कोई सुविधा नहीं है, यहां किसानों को पानी तक के लिए भटकना पड़ रहा है। 27 दिसम्बर को मौसम खराब होने के कारण जिले में कई जगह हल्की बारिश भी हुई है ऐसे में धान खरीदी केंद्र में बरसात होने पर उचित व्यवस्था नही की गई है अचानक बारिश होने से हजारों क्विंटल धान खराब हो सकती हैं।