November 23, 2024

आयुक्त सहकारिता एवं पंजीयक की कार्यशैली पर उठे सवाल

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कैसे सगे संबंधियों को लेंस प्रबंधक ने किया नियुक्त

शहडोल (अविरल गौतम )जिले के जयसिंहनगर क्षेत्र अंतर्गत आदिम जाति सेवा सहकारी समिति मर्यादित बन सुकली में तत्कालीन लैम्प्स प्रबंधक सत्यनारायण गुप्ता ने संचालक मंडल को गुमराह कर अपने ही परिवार के सगे संबंधियों की नियुक्ति वर्ष 2009-10 में कर डाली। म.प्र.सहकारी सोसायटी अधिनियम 1960 में स्पष्ट उल्लेख है कि किसी भी संचालक मंडल का कोई भी कुटुंब का कोई ऐसा सदस्य जो उसके साथ सामान हित रखता है की नियुक्ति संचालक मंडल नहीं कर सकता। लैम्प्स प्रबंधक संचालक मंडल की बैठक बुलाता है,कार्यवाही लिखता है,बैठक में जो निर्णय होते हैं पारित निर्णय व प्रस्ताव में जो कार्यवाही लिखी जाती है उसमे संचालक मंडल के सदस्यों के साथ-साथ लैम्प्स प्रबंधक के भी हस्ताक्षर होते हैं अर्थात लैम्प्स प्रबंधक संचालक मंडल का पदेन सचिव होता है। इसलिए नियमानुसार लैम्प्स प्रबंधक का कोई भी सगा संबंधी उसके कार्यक्षेत्र में उसी के हस्ताक्षर से भर्ती नहीं हो सकता है।

कैसे बना पुत्र प्रबंधक व भाई विक्रेता से लिपिक :-

मध्य प्रदेश सोसायटी अधिनियम 1960 एवं अन्य उप विधियों को दरकिनार करते हुए लैम्प्स प्रबंधक सत्यनारायण गुप्ता आदिम जाति सेवा सहकारी समिति ने अपने भाई कैलाश गुप्ता को वर्ष 2009 में विक्रेता व दूसरे वर्ष 2010 में पुत्र तरुण किसी को विक्रेता व अपने ही एक रिश्तेदार उमेश गुप्ता को चपरासी के पद पर नियुक्त कर डाला, जबकि पुत्र 2009 में (10+2) की परीक्षा उत्तीर्ण की है।पिता की पकड़,पहुंच व पैसों की दम से पुत्र भी अपने चाचा कैलाश गुप्ता के बाद 2010 में विक्रेता बन जाता है।

पिता,पुत्र का कब्जा बरकरार:-

      मामले को तूल पकड़ता व किसान नेता बीरेन्द्र पाण्डेय  द्वारा मामले को संज्ञान में लेकर सच सामने लाने के लिए जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों तक लिखित शिकायत की थी। हो रही शिकायत को देखकर तत्कालीन लैम्प्स प्रबंधक सत्यनारायण गुप्ता अपनी पहुंच पकड़ व पैसों के दम से अपने पुत्र तरुण केसरी को  लैंप्स बनसुकली का प्रबंधक बनाकर स्वयं लैम्प्स करकी का प्रभाव ले लिया अर्थात जयसिंह नगर क्षेत्र में एक लैम्प्स पर पिता का तो दूसरे पर पुत्र का कब्जा बरकरार है।तमाम क्षेत्र में किसानों का धान की खरीदी में भ्रष्टाचार का मामला आए दिन सुनने में आता है। चोरी और सीनाजोरी तत्कालीन लैम्प्स प्रबंधक सत्यनारायण गुप्ता अपने परिवार,रिश्तेदार को मनमानी तरीके से विधि व उप विधियों को दरकिनार करते हुए नियुक्तियां कर डाली एवं परिवार के साथ मिलकर शासन के वित्तीय व्यवस्था का बंदरबांट कर रहे हैं।उल्टा चोर कोतवाल को डांटे वाली कहावत चरितार्थ।

अधिकारी की जांच

शिकायतकर्ता ने कलेक्टर महोदय के यहां किए गए शिकायत पत्र पर यह आरोप लगाया कि जांच अधिकारी संजय सराफ ने 8 जनवरी 2019 को 10 मार्च 11 नवंबर 2019 को जिला कार्यालय में ही बैठकर अपनी जांच पूरी कर ली है।श्री सराफ द्वारा लैम्प्स प्रबंधक,भाई व पुत्र को अपने जांच में बचाने का प्रयास किया गया है।शिकायत के 10 माह बाद जांच कर कार्यवाही पंजी व अन्य दस्तावेजों में कूट रचित होना संदेहास्पद प्रतीत होता है।जबकि जांच अधिकारी संजय सराफ सहकारिता निरीक्षक उप पंजीयक कार्यालय शहडोल भौतिक स्थल पर शिकायतकर्ता की उपस्थिति में जांच करना चाहिए था जो कि उन्होंने नहीं किया।

5 वर्ष की सेवा अवधि के पूर्व कैसे मिली पदोन्नति

         आयुक्त सहकारिता एवं पंजीयक सहकारी संस्थाएं मध्य प्रदेश विद्यांचल भवन भोपाल का पत्र क्रमांक/शाख/विधि/33/ 2013/2046 भोपाल दिनांक- 30/8/2016 के अध्याय 4 के बिंदु 19 के अधिनियम व उप- विधि में स्पष्ट उल्लेख है कि पदोन्नति हेतु वर्तमान पद पर कम से कम 5 वर्ष की सेवा अवधि एवं पदोन्नत पद हेतु निर्धारित शैक्षणिक योग्यता धारित करना अनिवार्य होगा। पदोन्नत का मापदंड वरिष्ठता सह योग्यता होगा तब कहीं जाकर प्रमोशन का  लाभ देना चाहिए था,किंतु ऐसा नहीं हुआ। तत्कालीन लैम्प्स प्रबंधन सत्यनारायण गुप्ता द्वारा अपने पद का दुरुपयोग करते हुए पहली गलती तो यह की है कि अपने भाई,पुत्र व रिश्तेदार की नियुक्ति अपने हस्ताक्षर से संचालक मंडल के साथ कर डाली।दूसरी गलती पुत्र को दिनांक 29 दिसंबर 2010 को विक्रेता बनाना एवं 20 अप्रैल 2014 को अर्थात लगभग 4 वर्ष 4 माह यानी 5 वर्ष के अंदर सेवा अवधि के पूर्व कैशियर पद पर पदोन्नति का लाभ दिया गया।इसके पश्चात दिनांक 29 दिसंबर 2017 को लेखापाल पद पर अर्थात 3 वर्ष 8 माह यानी 4 वर्ष के अंदर पदोन्नत का लाभ दिया गया

कलेक्टर,कमिश्नर से की गई थी न्याय की उम्मीद:-

शिकायतकर्ता से पाण्डेय जी ने बताया कि की लिखित रूप से तत्कालीन कमिश्नर,कलेक्टर यहां तक की सहकारिता मंत्री महोदय जी से तत्कालीन लैम्पस प्रबंधक द्वारा किए गए नियम विरुद्ध सगे संबंधियों की नियुक्ति की निष्पक्ष जांच कर कार्यवाही की मांग की गई थी।जांच भी हुई,जांच में दोषी भी पाए गए किंतु जांच कागज पर ही सिमट कर रह गई।निष्पक्षता पूर्ण जांच वह जांच में दोषी पाए जाने पर भी सहकारिता विभाग द्वारा आज दिनांक तक कोई कार्यवाही लैम्प्स प्रबंधक सत्यनारायण गुप्ता व सगे संबंधियों के विरुद्ध नहीं की गई, जिस कारण उनके हौसले बुलंद हैं।

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