NRC: बर्थ सर्टिफिकेट के लिए बुजुर्गों की भीड़

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अहमदाबाद/लखनऊ/मुंबई
देश में एनआरसी और एनपीआर पर छिड़े घमासान के बीच आम लोगों को एक अलग तरह की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। केंद्र सरकार भले ही लोगों को यह समझाने की कोशिश कर रही हो कि एनआरसी और एनपीआर का आपस में कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन हकीकत यह है कि बुजुर्ग लोग इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं हो पा रहे हैं। देशभर में लोग म्युनिसिपल ऑफिसों में जन्म से जुड़े डॉक्युमेंट्स के लिए पहुंच रहे हैं। बढ़ती भीड़ ने म्युनिसिपल कर्मचारियों की मुश्किलें भी बढ़ा दी हैं।

अहमदाबाद, गोरखपुर, वाराणसी और मालेगांव जैसे शहरों में जन्म प्रमाण पत्र के आवेदनों में तेज वृद्धि देखी जा रही है। अहमदाबाद के बर्थ रिकॉर्ड ऑफिस के एक अधिकारी ने कहा, '30 दिसंबर तक जन्म प्रमाण पत्र के लिए लगभग 200 लोग हर दिन आ रहे हैं। हम इतने अधिक आवेदनों का जवाब देने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं हैं।'

आवेदनों की बढ़ी तादाद
मेडिकल ऑफिसर चिराग शाह ने बताया कि पीछले कुछ दिनों में 1950 से पहले के जन्म प्रमाण पत्रों के लिए भी काफी आवेदन आ रहे हैं। अहमदाबाद म्युनिसिपल्टी के मुताबिक, पहले उनके यहां हर दिन औसतन 17 से 20 आवेदन आते थे, लेकिन 24 दिसंबर को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा एनपीआर अपडेट को मंजूरी देने के बाद अगले दिन आवेदनों की संख्या 92 तक पहुंच गई, इनमें से 60 मुस्लिमों के थे।

'चुनाव प्रचार के दौरान मिली थी चेतावनी'
महाराष्ट्र के मालेगांव म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (एमएमसी) के सभी पांच ऑफिसों और स्थानीय अदालतों में भी जन्म प्रमाण पत्रों के लिए सैलाब उमड़ पड़ा है। मालेगांव के स्थानीय निवासी और सामाजिक कार्यकर्ता नसीम खान ने कहा, 'महाराष्ट्र में चुनाव के दौरान मालेगांव में चुनाव प्रचार कर रहे कई राजनेताओं ने जन्म प्रमाणपत्र और अन्य दस्तावेजों में गलतियों को लेकर लोगों को चेतावनी दी। जिसके बाद नए जन्म प्रमाण पत्रों, दस्तावेजों में नाम में बदलाव, स्पेलिंग में सुधार इत्यादि को लेकर भीड़ बढ़ गई।' दिसंबर में जब केन्द्र ने विवादित नागरिकता कानून पास किया तो इसमें और ज्यादा बढ़ोतरी देखी गई।

बंगाल में भी उमड़ी भीड़
कोलकाता म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन के स्वास्थ्य विभाग के एक कर्मचारी सुब्रत बनर्जी ने कहा कि उन्होंने जन्म प्रमाणपत्र के लिए इतनी लंबी कतार कभी नहीं देखी थी। उन्होंने बताया कि तीन दिनों में हर दिन उन्हें करीब 250 आवेदन मिले, इनमें से अधिकतर लोग बुजुर्ग हैं। आपको बता दें कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी समेत देश के अलग-अलग राज्यों के 10 मुख्यमंत्री यह कह चुके हैं कि वह अपने राज्य में जनगणना नहीं कराएंगे, जिसके बाद भीड़ में कुछ कमी देखी गई है।

यूपी में बढ़े आवेदन
दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृहक्षेत्र गोरखपुर में जहां हर सप्ताह जन्म प्रमाण पत्र के लिए औसतन 90-100 आवेदन आते थे, वहीं अब यह संख्या 150 तक पहुंच गई है। वहीं पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में जहां नोडल ऑफिस में हर दिन 100-125 तक आवेदन आते थे, वहीं अब 300 तक आवेदन आ रहे हैं।

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