MP के लोगों को फिर लग सकता है महंगी बिजली का करेंट! कंपनियों ने दिखाया 24888 करोड़ का घाटा

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जबलपुर
मध्य प्रदेश की जनता को एक बार फिर बिजली का झटका लग सकता है, जिसकी तैयारी मध्य प्रदेश की बिजली कंपनियों (Power Companies) ने पूरी कर ली है. मध्य प्रदेश पॉवर मैनेजमेंट कंपनी (Madhya Pradesh Power Management Company) ने पिछले 4 सालों में तकरीबन 25 हजार करोड़ रुपए का घाटा दर्शाते हुए चार याचिकाएं नियामक आयोग (Regulatory Commission) में दायर की हैं. यदि सबकुछ बिजली कंपनियों के मन मुताबिक हुआ तो घाटे का भुगतान प्रदेश के उपभोक्ताओं को करना पड़ेगा.

मध्य प्रदेश में सरप्लस बिजली है. इसके बावजूद भी प्रदेश की जनता से सबसे महंगी दरों पर बिजली के बिल वसूल किए जा रहे हैं. इस सबके बावजूद मध्य प्रदेश की बिजली वितरण कंपनियों के आर्थिक हालात बिगड़ते जा रहे हैं. प्रदेश की विद्युत वितरण कंपनियों ने एक बार फिर भारी भरकम घाटा दर्शाते हुए विद्युत नियामक आयोग के पास दर्ज की गई 4 याचिकाओं में विद्युत वितरण कंपनियों ने 24,888 करोड़ रुपए का भारी भरकम घाटा बताया है. यह घाटा पिछले 4 वर्षों का बताया जा रहा है. विद्युत नियामक आयोग के पास दर्ज की गई याचिकाओं में साल 2014 से लेकर 2018 तक का जिक्र किया गया है. जबकि बीते एक साल में अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई हैं. मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी की तरफ से वित्तीय वर्ष 2014-15, 2015-16,2016-2017 और 2017-18 की याचिकाएं लगाई गई हैं. इसमें मध्य प्रदेश पूर्व, मध्य और पश्चिम विद्युत वितरण कंपनी शामिल हैं.

दरअसल कंपनियां प्रस्तावित आंकलन के बाद अंतिम आय और व्यय का ब्यौरा तैयार करती हैं, जिसमें नुकसान होने पर कंपनी आगामी सालों में इसकी भरपाई के लिए विद्युत नियामक आयोग के पास याचिकाएं दायर करती हैं.

इधर, मध्य प्रदेश पावर मैनेजमेंट कंपनी के अधिकारी का कहना है कि दरअसल यह बिजली कंपनियों का घाटा नहीं है बल्कि आय और व्यय के दौरान हुआ अंतर है, जिसकी भरपाई के लिए बिजली कंपनियां विद्युत नियामक आयोग के पास जाती हैं. हालांकि अधिकारी इस बात को खुलकर नहीं स्वीकार रहे हैं कि इसका भार आखिरकार जनता पर पड़ने वाला है.

बहरहाल, मतलब कुछ भी हो लेकिन सबसे बड़ी बात तो यह है कि जब मध्य प्रदेश में उपभोक्ताओं से सबसे ज्यादा बिजली बिल वसूला जा रहा है. हैरानी की बात ये है कि प्रदेश में बिजली का भरपूर उत्पादन हो रहा है तो ऐसे में बिजली कंपनियां आखिरकार घाटे में कैसे चल रही हैं. लगता है कि शायद यह बात सरकार की समझ से भी परे है, क्योंकि यदि सरकार की समझ में आता तो शायद अब तक बिजली कंपनियों की मनमानी पर लगाम लग चुकी होती.

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