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आख़िर क्या है मामला राखड़ ट्रकों में ओव्हरलोड का - Jogi Express

आख़िर क्या है मामला राखड़ ट्रकों में ओव्हरलोड का

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*मिलीभगत से बढ़ी ओव्हरलोडिंग,प्रशासन भी बना मूक*


बिरसिंहपुर पाली(तपस गुप्ता) संजय गांधी ताप विधुत परियोजना से निकलने वाले राखड़ ट्रकों में ओव्हरलोडिंग परिवहन का सिलसिला थमने का नाम नही ले रहा। बीते कई महीनों से सारे नियमो को ताक में रखकर राखड़ वाहनों में ओव्हरलोडिंग की जा रही जिसकी पूरी जानकारी होने के बावजूद जिम्मेदार अधिकारी हांथ में हांथ धरे बैठे हुए है। बीते दिन जिले के पुलिस कप्तान सचिन शर्मा ने राखड़ के ओव्हरलोड वाहनों में कार्यवाही करने की बात भी कही थी लेकिन अब तक कोई कार्यवाही पुलिस के द्वारा नही की गई है।
*ट्रक मालिक चाहता है अंडरलोड*
विभिन्न सीमेंट फैक्ट्रियों में राखड़ परिवहन करने वाले ट्रक मालिको ने प्रबंधन व प्रशासन पर आरोप लगाते हुए मौखिक रूप से बताया कि हम लोग खुद चाहते है कि हमारे वाहनों में अंडरलोड राखड़ परिवहन कराया जाए लेकिन स्थानीय प्रबंधन व जिम्मेदारों की मिलीभगत से वाहनों में क्षमता से अधिक राखड़ लोड दिया जाता है। बताया गया है कि ओव्हरलोड वाहन चलाने के कारण हमें तो भारी नुकसान है लेकिन कुछ जिम्मेदारों के निहित स्वार्थ के लिए यह ओव्हरलोडिंग प्रचलन बरकरार है। बताया जाता है कि ओव्हरलोड वाहन चलाने के नाम पर हर महीने सभी का हिस्सा भी भेजा जाता है जिससे इसमें कोई ध्यान नही देता। नाम न दर्शाने की बात कहकर एक ट्रक मालिक ने बताया कि पाली लोडिंग से लेकर फैक्ट्री तक पहुचने में जितने भी पुलिस थाना पड़ते है सभी को महीना दिया जाता है।


*किसमे कितना होता है परिवहन*
सूत्रों के मुताबिक राखड़ परिवहन करने वाले 10 चका के वाहन में 25 टन वाहन सहित बजन होना चाहिए लेकिन उनमें 35 से 38 टन,12 चका के वाहन में 31 टन के जगह 38 से 40 टन,14 चका के वाहनों में 37 टन की जगह 50 टन,22 चका के वाहनों में निर्धारित क्षमता 49 टन की जगह 75 से 80 टन को लोडिंग की जा रही है जिससे वाहनों को भारी क्षति पहुचती है। हलाकि कि इस सम्बंध में कोई प्रमाणित पुष्टि उपलब्ध नही कराई गई।
*भार ज्यादा भाड़ा कम*
मौखिक जानकारी के मुताबिक पाली से सीमेंट फैक्ट्रियों में भेजे जाने वाले राखड़ का भाड़ा सीमेंट फैक्ट्रियां कम भुगतान करती है। बताया गया है कि पाली से मैहर सीमेंट फैक्ट्री में परिवहन का भाड़ा 4 सौ 80 रुपये प्रतिटन भुगतान किया जाता है जबकि उसका सही भाड़ा 7 से 8 सौ रुपये होता है वही कैमोर फैक्ट्री में राखड़ परिवहन के लिए 5 सौ रुपये भुगतान होता है। बताया गया है कि अंडरलोड चलने की स्थिति में फैक्ट्री को नियमानुसार भाड़ा भुगतान करना पड़ जायेगा इसलिए सांठ गांठ कर दबाव में ओव्हरलोड को बढ़ावा दिया जा रहा है जिसमे नुकसान छोटे ट्रक मालिको को होता है लेकिन इसका फायदा सीधे स्थानीय प्रबंधन और जिम्मेदार अधिकारियों को होता है। बताया गया है कि सीमेंट फैक्ट्री अंडरलोड के नाम पर छलावा करती है जो ट्रक मालिको से अंडरलोड राखड़ लेने की बात करती है वही प्रबंधन द्वारा ओव्हरलोड कराया जाता है जिसमे दोनो की मिलीभगत होती हैं।
*ओव्हरलोड से टूट रही सड़क बढ़ रही दुर्घटना*
माना जाता है कि सर्वाधिक दुर्घटना का कारण ओव्हरलोड वाहन चलन होता है क्योंकि ट्रिप बढ़ाने के चक्कर मे ट्रक चालक वाहन की रफ्तार तेजी रखता है जो असमय होने वाले दुर्घटना के कारण बनते है। क्षमता से अधिक भरे वाहन चालक के नियंत्रण से बाहर हो जाते है जो सड़क दुर्घटनाओं का कारण बनते है। ओव्हरलोड वाहन के प्रचलन से सड़के भी असमय टूट जाती है।
*पुलिस चाहे तो सब सम्भव*
ट्रक मालिको का कहना है कि ओव्हरलोड प्रथा मात्र पुलिस यातायात विभाग ही नियंत्रित कर सकती है क्योंकि जब पॉवर प्लांट से ओव्हरलोडिंग बंद हो जाएगी तो सभी वाहनों में निर्धारित मापदंड से वाहन लोड होंगे। लेकिन ओव्हरलोड वाहन प्रचलन में प्रभावी कार्यवाही की दरकार है। बताया गया हैं कि प्रबंधन मूक सहमति देकर मिलीभगत के साथ ओव्हरलोडिंग को बढ़ावा दे रहा है जिसमे नियंत्रण किया जाना आवश्यक है।
*निरन्तर पुलिस कार्यवाही की सभी को प्रतीक्षा*
स्थानीय ट्रक मालिको का कहना है पुलिस विभाग के जिम्मेदार अधिकारी ओव्हरलोड वाहनों में पूर्णतः प्रतिबन्ध लगाए निरन्तर कार्यवाही जारी रखे..इस बात का हमे बेशब्री से इंतजार है क्योंकि अंडरलोड वाहनो के चलने से कायदा कानून का पालन होगा, गाड़ियां भी सुरक्षित रहेंगी साथ ही हमारे कमाए हुए पैसे में हिस्सेदारी खत्म हो जाएगी।

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