प्रशासन की बाबूलाल फुटबाल ग्राउन्ड पर कब होंगी नजरें इनयात, हर रोज सैकड़ों टन कोयला ट्रिपर से उतारने का चल रहा जोरदार खेला

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लाखों रुपए रोज की कोयला-मिट्टी-रेत चोरी पर खनिज विभाग अंधा तो प्रदूषण विभाग गूंगा क्यों?
(शमीम खान द्वारा)
धनपुरी। धड़ल्ले से अवैध ईंट भट्टों के चलते धनपुरी में किसी भी दिन कोई बड़ा हादसा न हो जाए? धनपुरी का इकलौता बाबूलाल ग्राउण्ड पहले ही ईंट माफियाओं की निगाहों के चलते खुद हादसे का शिकार हो चुका है। कभी यहां पर जिले के अव्वल दर्जे का फुटबाल खेला जाता था। ऐसी जनचर्चा है कि आज चंद राजनीतिक शरणार्थियों के कब्जे के चलते जहां ग्राउण्ड की ही जमीन के आजू-बाजू की मिट्टी से करोड़ों ईंट बनकर न जाने कहां-कहां फिक्स हो गई है। वहीं अनगिनत राशि की रॉयल्टी की धड़ल्ले से चोरी भी हो रही है। अलग से करोड़ों रुपए का कोयला भी खपाया जा चुका है जो निरंतर जारी है। चोरी हो रहे कोयले को लेकर न तो प्रशासन ही खबरदार है न ही कोयला प्रबंधन। हालात इस तरह बद से बदतर हो चुके हैं कि बाबूलाल ग्राउण्ड में रोजाना टनों अवैध कोयला इकट्ठा होता है और नए-नए ईंट भट्टों में खपकर प्रदूषण अलग फैला रहा है।

धड़ल्ले से होती है कोयला चोरी
आखिर इन भट्टों के लिए कोयला आता कहां से है? खनिज, प्रदूषण और प्रशासन के लिए यह खुद से ही छुपाने वाली पहेली भले ही हो लेकिन कॉलरी प्रबंधन और स्थानीय पुलिस को बखूबी पता है। सोहागपुर एरिया की कोयला खदानों से रेलवे सायडिंग के लिए निकला कोयला रास्ते में ही ढ़ोने वाले डम्पर वालों के रहमों करम से उतर जाता है। इस बात की जानकारी कॉलरी प्रबंधन और पुलिस को न हो यह हो ही नहीं सकता। हर रोज सुबह बघइया से राजेन्द्रा प्रोजेक्ट के रास्ते पर सैकड़ों की तादाद में सायकिलों पर 8-10 बोरी लदा कोयला ले जाते लोग बेखौफ आते-जाते देखे जाते हैं। लेकिन पता नहीं कैसे खुले आम कोयला चोरी करते और कराते लोग प्रशासन और कॉलरी प्रबंधन की नजर में नहीं दिखते?

डम्पर चालकों की मिलीभगत का खेला
बाबूलाल ग्राउण्ड सहित धनपुरी में जलने और बिकने वाला कोयला असल में खदानों से सायडिंग के लिए ट्रिप लगाने वाले डम्परों से बीच में उतार लिया जाता है। इसमें भी बहुत गहरी साजिश है। कांटाघर में कोयला लोड व अनलोड होते समय वजन रिकॉर्ड होता है। लेकिन जब रास्ते में कोयला उतार दिया जाता है तो जो कोयला कम हो जाता है उसकी पूर्ति के लिए डम्पर में ड्राइवर और खलासी के अलावा कुछ लोगों को बिठा दिया जाता है। इससे उतारे गए कोयले के वजन की पूर्ति हो जाती है जिसके लिए कोयला ले जाने वालों से मोटी रकम वसूली जाती है। बताते हैं कि रोजाना प्रति डम्पर चालक 5 से 10 हजार रुपए का कोयला इन सायकिल से बोरियों के जरिए चुराने वालों के हवाले कर वसूली करते देखे जा सकते हैं। इस खेल में माहिर हो चुके डम्पर ड्राइवरों को पता होता है कि कितना कि कितना कोयला उतारा है और कितना नकली वजन बढ़ाना है। कई बार डम्पर चालक सायडिंग के कांटाघर के थोड़ा पहले बड़े-बड़े पहले से रखे बोल्डर भी गाड़ी के केबिन रख देते हैं ताकि वजन की कमीं न जाहिर हो। इस तरह कांटाघर के बाबुओं की पूरी मिलीभगत होती है।

बड़े-बड़े हैं शामिल कोयला उतारने के खेल में
डम्परों से कोयला उतापने के खेल में केवल डम्पर चालक ही शामिल हों ऐसा नहीं है। इसमें कॉलरी का सुरक्षा अमला भी पूरी तरह शामिल है। डम्पर के रास्ते भर उतारे गए कोयले के टुकड़े और गिराने से बनी डस्ट सारी कहानी खुद कहती है। इसके अलावा डम्परों के वजन की हेराफेरी बड़े अधिकारियों न पता हो यह हो ही नहीं सकता। हर रोज कॉलरी के बड़े-बड़े अफसर इन रास्तों से गुजरते हैं जिन्हें डम्पर में बैठे बहुत से लोग नहीं दिखते जो वजन के समय भी बैठे रहते हैं। जाहिर है कि सारा खेल सबकी मिलीभगत से होता है।
अगर पुलिस चाहे तो पकड़ सकती है
अभी खदान के भीतर से कोयला निकालने के फेर में 7 नवयुवकों की जान चली गई। जहां धनपुरी से बघइया से राजेन्द्रा के बीच तो टिकुरी टोला में बन्द ओपीएम खदानों से कोयला निकालने का गोरखधंधा जोरों पर जारी पर है। अमलाई-बुढ़ार रेलवे लाइन के किनारे-किनारे रोज से सुबह से पूरी रात तक यह कोयला ढुलता हुआ देखा जा सकता है लेकिन अमलाई पुलिस की उस आंख में नहीं दिखता जो बड़े-बड़े दावे करती है। इसी तर्ज पर धनपुरी थानान्तर्गत आने वाले बघइया से लेकर राजेन्द्रा रोड पर डम्परों के रास्ते पर रोजाना उतरने वाला सैकड़ो बोरी कोयला धनपुरी पुलिस की आंखों में पता नहीं कैसे नहीं दिखता? वजह जो भी हो वो पुलिस और कॉलरी प्रबंधन जाने लेकिन यह सच्चाई है कि हर रोज सैकड़ों की तादाद में लोग कॉलरी को चूना लगाने में जुटे हुए हैं।
मिट्टी-कोयला दोनों की रॉयल्टी चोरी
अब प्रशासन और कॉलरी कोयला चोरी रोक पाए या नहीं यह उसका अपना मसला है। लेकिन यह हकीकत है कि धनपुरी का फुटबाल ग्राउण्ड जिसे बाबूलाल ग्राउण्ड के नाम से जाना जाता है अपनी दुर्दशा पर रो रहा है तो टिकुरी टोला में बन्द हो चुकी सोहागपुर एरिया की भूमिगत खदान में चोरों के बनाए खतरनाक मुंहाड़ों से आबाद है। इन क्षेत्रों से करोड़ों रुपए का कोयला चोरी हो चुका है। लेकिन फिकर किसे है? जहाँ कोयला-मिट्टी एवं ईंट की रॉयल्टी हो रही है वहीं पूरे एरिया में प्रदूषण का कारण भी यह कोयला चोरी ही है।
प्रदूषण विभाग की चुप्पी शर्मनाक
एक से एक धुरंधर खिलाड़ी देने वाला बाबूलाल ग्राउण्ड आज चंद राजनीतिक शरणार्थियों की करतूतों के चलते न केवल खोखला हो चुका है बल्कि टिकुरी टोला के करीब कॉलरी की खोखली होकर बन्द हो चुकी खदान में हर रोज और खोखली हो रही है। इससे निकाल कोयला जहां प्रदूषण फैला रहा है वहीं हर जेसीबी से हो चुकी खुदाई के चलते मैदान भी खेलने लायक भी नहीं रह गया। यदि सही सर्वे कराया जाए और आंकलन हो जाए तो कई करोड़ रुपए की मिट्टी ईंट भट्टों में खपाई जा चुकी है और सैकड़ों करोड़ की रॉयल्टी चोरी होना प्रमाणित निकलेगा। लकिन हैरानी की बात है कि दिन-रात बाबूलाल ग्राउण्ड में बिना वैध इजाजत के पनपते ईंट भट्टे और टिकुरी टोला की बन्द हो चुकी खोखली खदानों से निकलता कोयला न तो खनिज विभाग को दिखता है न पुलिस और न ही प्रदूषण विभाग को। इस तरह प्रशासन और कॉलरी प्रबंधन की मिलीभगत से धनपुरी का पर्यावरण जहां बुरी तरह से प्रभावित तो हो ही रहा है वहीं नगर का इकलौता बाबूलाल ग्राउण्ड भी अपना वजूद दिनों दिन खोता जा रहा है।

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