गांधी और शास्त्री के मार्ग में चलना आसान नहीं – शैलेन्द्र

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सच की भूख तो सबको है पर सच जब परोसा जाता है तो बहुत कम लोगों को इसका स्वाद अच्छा लगता है।

शहडोल (अविरल गौतम )भाजपा नेता शैलेन्द्र श्रीवास्तव ने महात्मा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री जयंती के अवसर पर कहा कि महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री के मार्ग में चलना आसान नहीं है। सत्य और अहिंसा का यह मार्ग बेहद कठिन है। आज के समय में हम केवल वही सच सुनना चाहते हैं जो हमारे कानों को पसंद है। आज के समय में हम केवल वहीं लड़ाई लड़ना चाहते हैं जिससे हमारे निजी हित प्रभावित ना होते हों। आज भी सच की भूख तो सबको है पर सच जब परोसा जाता है तो बहुत कम लोगों को इसका स्वाद अच्छा लगता है।

उन्होंने कहा कि कभी फुरसत में सोचिएगा कि क्या ये ” मतलब या स्वार्थ कि फसल ” जिसे हम सीचं रहे हैं कभी हमारे घर तक नहीं पहुंचेगी। ठीक है आज ना सही, पर कल पहुंचेगी तो जरूर। ये वक़्त का पहिया है जो बड़ी तेज घूमता है, जो आज राजा है हमेशा नहीं रहेगा, जो आज रंक है वो भी हमेशा नहीं रहेगा, समय तो बदलेगा।

मैं तो तब हैरान हो जाता हूं जब कई बार कुछ लोग कुछ बातों के लिए महात्मा गांधी को भी दोषी बताने में भी नहीं कतराते हैं। मैं तब नहीं था, इसलिए नहीं जानता तब क्या हुआ होगा, यह भी नहीं जानता तब कैसी परिस्थितियां रही होंगी, नहीं जानता सच क्या है। हालाकि मेरा मानना है कि बेशक गलतियां किसी भी इंसान से हो सकती हैं। पर उस समय की परिस्थितियों में क्या सही या गलत रहा होगा ये अब आज बैठकर तय करना मुश्किल है।

इसलिए हमें तो सिर्फ ये सीखने और जानने की जरूरत है कि कैसे एक साधारण आदमी मोहनदास करमचंद गांधी से महात्मा गांधी बना होगा। हमें तो सिर्फ ये सीखने और जानने की जरूरत है कि कैसे लाल बहादुर शास्त्री जैसे नेता आज भी देश की उस पीढ़ी के दिलों में जिंदा है जिसे कभी उन्हें सीधे देखने का सौभाग्य ही प्राप्त नहीं हुआ। हमें तो सिर्फ ये सीखने और जानने की जरूरत है कि क्यों डॉ. कलाम और अटल जी जैसे व्यक्तित्व के सामने सबके सर धर्म, जाती और दलगत राजनीति से ऊपर उठकर झुक जाते हैं।

निश्चित तौर पर गांधी और शास्त्री के मार्ग पर चलना आज आसान नहीं है। पर यही सत्य का वो मार्ग है जो हमें हमारा खोया हुआ वैभव फिर से लौटा सकता है।

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