मध्य प्रदेश ने केंद्र से मांगे एक हजार करोड़ रुपये, मनरेगा में अटका 800 करोड़ रुपये का भुगतान
भोपाल। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में 800 करोड़ रुपये का भुगतान अटक गया है। इसमें 250 करोड़ रुपये मजदूरी और साढ़े पांच सौ करोड़ रुपये सामग्री के हैं। वहीं, 225 करोड़ रुपये पिछले सालों के केंद्र सरकार ने नहीं दिए हैं। प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री कमलेश्वर पटेल ने गुरुवार को दिल्ली में केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात कर उन्हें राशि तत्काल उपलब्ध करवाने का मांग पत्र सौंपा। साथ ही प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास की दूसरी किस्त के 2210 करोड़ रुपये भी जल्द दिलवाने की मांग की।
राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान की राष्ट्रीय संचालन समिति की बैठक में हिस्सा लेने गए पंचायत एवं ग्रामीण मंत्री कमलेश्वर पटेल ने बताया कि केंद्र सरकार के ऊपर ग्रामीण विकास योजनाओं की लंबित राशि अब तीन हजार 435 करोड़ रुपये हो गई है।
मनरेगा की राशि नहीं देने की वजह से मजदूरी और सामग्री का भुगतान करने नहीं हो पा रहा है। इसका असर योजना के क्रियान्वयन पर भी पड़ रहा है। वर्ष 2016-17 और 2017-18 में भी कम राशि दिए जाने की वजह से अन्य योजनाओं के 225 करोड़ रुपये का उपयोग मनरेगा में किया गया था।
इसकी प्रतिपूर्ति भी अभी तक नहीं की गई है। वहीं, वर्ष 2010-20 में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास के लक्ष्य के विरुद्ध एक लाख 80 हजार आवास बनाए जा चुके हैं। इसके लिए दूसरी किस्त दो हजार 210 करोड़ रुपये जल्द दिए जाएं, ताकि काम और तेजी के साथ किया जा सके। जो लोग योजना में शामिल होने से छूट गए हैं, उन्हें जोड़ा जाए और प्रशासकीय मद की राशि भी दो से बढ़ाकर चार प्रतिशत की जाए।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में गांवों का चयन 2011 की जनगणना के आधार पर किया जाए। ऐसे करने पर प्रदेश के एक हजार 36 गांव प्रधानमंत्री सड़क से जुड़ जाएंगे। उन्होंने राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के लंबित प्रस्तावों को भी जल्द स्वीकृति देने की मांग रखी। इस दौरान अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास मनोज श्रीवास्तव भी साथ थे।