पुरुष नसबंदी का आदेश देने वाली छवि भारद्वाज को स्वास्थ्य मंत्रालय से हटाया
भोपाल
पुरुष नसबंदी का टारगेट पूरा करने में सख्ती बरतने का ऑर्डर देने वाली राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, मध्य प्रदेश की संचालक आईएएस अफसर छवि भारद्वाज पर सरकारी एक्शन हो गया है. उन्हें स्वास्थ्य विभाग से हटा दिया गया है. भारद्वाज को अब मंत्रालय में OSD बनाया गया है. वो इससे पहले कलेक्टर जबलपुर और भोपाल में नगर निगम कमिश्नर रह चुकी हैं. जबलपुर में दुर्गा विसर्जन चल समारोह के दौरान हुड़दंगियों को लाठी से खदेड़ने पर भी वो चर्चा में आयी थीं.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, मध्य प्रदेश की संचालक आईएएस अफसर छवि भारद्वाज को स्वास्थ्य मंत्रालय से हटा दिया गया है. पुरुष नसबंदी का टार्गेट हासिल करने के लिए सख्त आदेश देने के बाद उस पर सियायत शुरू हो गयी थी.मीडिया में खबर आते ही इस पर राजनीति तेज़ हो गयी थी. उसके बाद स्वास्थ्य मंत्रालय ने ये आदेश वापस ले लिया और मिशन संचालक छवि भारद्वाज को स्वास्थ्य मंत्रालय से हटाकर मंत्रालय में OSD बना दिया गया है.
स्वास्थ्य मंत्री ने दी सफाई
प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री तुलसीराम सिलावट ने इस सर्कुलर पर कहा था कि किसी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी. प्रदेश में किसी के साथ जोर जबरदस्ती नहीं होगी.केंद्र सरकार ने सर्कुलर जारी किया है. प्रदेश सरकार पूरे मामले की समीक्षा करने के बाद फैसला लेगी.
कांग्रेस ने कहा था
नसबंदी के आदेश को लेकर जनसंपर्क मंत्री पीसी शर्मा ने सफाई दी थी कि ये रूटीन आदेश है.आज देश विदेश में सभी परिवार को लेकर सजग हैं. सभी जानते हैं छोटा परिवार सुखी परिवार.अपनी संतान की ठीक से परवरिश ठीक से कर सकें.कम बच्चे होने पर परिवार उन्हें ज़्यादा अच्छी परवरिश दे सकता है. अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर कर्मचारियों के डर पर मंत्री ने कहा था-उन्हें डरने की जरूरत नहीं है.वे अपना काम ईमानदारी से करें.
बीजेपी ने दी थी तीखी प्रतिक्रियाबीजेपी के कुछ नेताओं ने तो इस आदेश पर आगबबूला से हो गए. भोपाल-विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा था अगर ये आदेश सरकार ने जनसंख्या के लिहाज़ से दिया है तो बहुत बढ़िया है.लेकिन ये जनसंख्या नियंत्रण सिर्फ़ हिंदुओं की ना हो.मुस्लिम समाज के बारे में भी विचार किया जाए.ये फ़रमान सभी पर लागू हो.जनसंख्या नियंत्रण पर समान दृष्टिकोण लागू किया जाए.
आदेश वापिस
भोपाल. परिवार नियोजन कार्यक्रम में पुरुषों की भागीदारी बढ़ाने के लिए मध्य प्रदेश सरकार (madhya pradesh government) ने अपना आदेश वापिस ले लिया है. अब टार्गेट पूरा ना करने पर ना तो किसी की नौकरी जाएगी और न ही सैलरी वापिस ली जाएगी. इससे पहले सरकार ने एक सख्त कदम उठाने की घोषणा की थी. सरकार ने उन पुरुष बहुउद्देश्यीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (MPHWs) की सूची तैयार करने का आदेश दिया था, जो साल 2019-20 में एक भी पुरुष की नसबंदी नहीं करा पाए. सरकार ने ऐसे कार्यकर्ताओं का वेतन रोकने और उन्हें जबरन रिटायर करने की चेतावनी दी थी.
ये था आदेश
स्वास्थ्य विभाग ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 (NFHS-4) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया कि राज्य में वर्ष 2019-20 में सिर्फ 0.5 प्रतिशत पुरुषों ने ही नसबंदी करायी. ये लक्ष्य से बेहद कम है. मप्र के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) ने राज्य के कमिश्नर, जिला अधिकारियों और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों (CHMO) के नाम से आदेश जारी किया था. इसमें कहा गया था कि ऐसे सभी पुरुष बहुउद्देश्यीय स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं (MPHW)s की लिस्ट बनाएं, जिन्होंने इस दौरान एक भी पुरुष की नसबंदी नहीं करवाई या कुछ काम ही नहीं किया. ऐसे स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को "शून्य कार्य आउटपुट '' मानकर उन पर काम नहीं तो वेतन नहीं का नियम लागू किया जाएगा. आदेश के तहत इन MPHWs की सेवा समाप्त करने की बात थी.