क्या सिंधिया का रास्ता रोकने के लिए प्रियंका को राज्यसभा भेजा जा रहा है ?
नई दिल्ली
मध्य प्रदेश की सत्ता पर काबिज कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं के बीच सियासी अदावत कम होने के बजाए बढ़ती जा रही है. मुख्यमंत्री कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच शह-मात का खेल जारी है. ज्योतिरादित्य सिंधिया की राज्यसभा की राह रोकने के लिए अब प्रियंका गांधी का कार्ड खेला जा रहा है. माना जा रहा है कि प्रियंका को मध्य प्रदेश से राज्यसभा भेजे जाने का दांव कमलनाथ गुट की ओर से चला गया है.
मध्य प्रदेश में तीन राज्यसभा सीटें खाली हो रही हैं, जिनमें से दो सीटें विधायकों के आंकड़े के लिहाज से कांग्रेस के खाते में आ रही हैं. इन सीटों के लिए दिग्गज नेताओं के बीच जोर आजमाइश तेज हो गई है. पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह समेत अन्य कई और नेता भी इस कतार में लगे हुए हैं, जो ज्योतिरादित्य सिंधिया की राह में रोड़े अटका सकते हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि प्रियंका गांधी को राज्यसभा भेजने के सुझाव के पीछे कहीं ज्योतिरादित्य को पीछे रखने के लिए सियासी खेल तो नहीं खेला जा रहा है.
सिंधिया और कमलनाथ के बीच चल रही है तनातनी
ज्योतिरादित्य सिंधिया के सड़क पर उतरने के बयान के बाद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी आंखे तरेर ली थीं. इसी के बाद माना जा रहा है कि सिंधिया को मध्य प्रदेश कांग्रेस में उन्हें किनारे करने की कोशिश के तहत कमलनाथ सरकार में पीडब्ल्यूडी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने सोमवार को ट्वीट कर प्रियंका गांधी को राज्यसभा भेजने की मांग की है.
सज्जन वर्मा ने लिखा है, 'इंदिरा गांधी जी, अनुसूचित जाति जनजाति एवं महिला वर्ग के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध थीं. उन्हीं के पद चिन्हों पर प्रियंका जी चल रही हैं. जिस तरह इंदिरा जी कमलनाथ जी को मध्यप्रदेश में लाई थीं, उसी तरह अब प्रियंका गांधी जी को प्रदेश से राज्यसभा में लाने का वक्त आ गया है.'
कांग्रेस को मिल सकती हैं दो सीटें
मध्य प्रदेश से राज्यसभा की खाली होने वाली तीन सीटों में से दो कांग्रेस और एक बीजेपी के पास जाना तय है. कांग्रेस की 2 सीटों पर पहले ही दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और दिग्विजय सिंह दावेदार हैं. लेकिन जिस तरह से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी का नाम राज्यसभा के लिए चर्चा में आया है. ऐसी स्थिति में तीनों दिग्गज नेता में से किसी एक को फिलहाल सदन में जाने का मौका छोड़ना पड़ सकता है.
प्रियंका ही करेंगी अंतिम फैसला
प्रियंका के नाम पर अगर मुहर लगती है तो कांग्रेस के खाते में आने दो सीटें मे से एक सीट पूरी तरह से सुरक्षित हो जाएगी. इसके बाद दूसरी सीट पर वैकल्पिक नामों में सिंधिया-दिग्विजय के बीच प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति निर्मित करने का प्रयास है. इस स्थिति में प्रदेश व हाईकमान में दिग्विजय का पल्ला सिंधिया पर भारी पड़ सकता है. हालांकि इस बारे में अंतिम फैसला स्वयं प्रियंका गांधी को ही लेना है कि वे एमपी से राज्यसभा जाना चाहती हैं या नहीं.
संख्या बल में बीजेपी से काफी आगे है कांग्रेस
बता दें फिलहाल इन सीट पर दिग्विजय सिंह, प्रभात झा और सत्यनारायण जटिया राज्यसभा सदस्य हैं, जिनकी सीटें रिक्त हो रही हैं. राज्यसभा के तीन सीटों के लिए होने वाले चुनाव में हर प्रत्याशी को कम से कम 58 वोट की जरूरत होगी. एक फरवरी 2020 की स्थिति में जौरा व आगर विधानसभा सीट रिक्त हैं. एमपी में कांग्रेस के 114 विधायक हैं तो बीजेपी के पास 107 हैं. कांग्रेस को दो बसपा व एक सपा विधायक सहित अन्य चारों निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन है. इस तरह कांग्रेस के पास 121 विधायकों का समर्थन है.