करॉना वायरस: होलसेल गारमेंट मार्केट पड़ा ठंडा
नई दिल्ली
चीन में करॉना वायरस के आतंक का असर गांधी नगर के होलसेल मार्केट पर भी पड़ रहा है। यह एशिया का सबसे बड़ा होलसेल रेडिमेड गारमेंट्स का मर्केट है। मार्केट में 20 प्रतिशत सामान चीन से आता है, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से चीन में इंडिया के ब्रोकर्स ने अपने ऑफिस बंद कर लिए हैं। यहां के व्यापारी कोई भी बड़ा ऑर्डर लेने से बच रहे हैं।
ऐसे में यहां के 10 हजार से अधिक व्यापारियों के धंधे पर इसका असर पड़ने वाला है। मार्केट से करीब 10 लाख लोगों की रोजी-रोटी प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ी हुई है। अगर चीन के हालात में जल्द सुधार नहीं हुआ तो यहां माल नहीं पहुंचेगा। ऐसे में यहां बनने वाले कपड़े महंगे होंगे। वहीं, कपड़े में उस तरह की फिनिशिंग भी नहीं आ पाएगी।
चीन के ब्रोकर्स ने बंद किए ऑफिस
चीन पर इस मार्केट की निर्भरता को देखते हुए कई व्यापारी खुद वहां जा कर डील करते हैं। कारोबारियों का कहना है कि करॉना वायरस के खतरे की वजह से चीन के ज्यादातर ब्रोकर्स और व्यापारियों ने इस समय अपने ऑफिस बंद कर दिए हैं। इसकी वजह से गांधी नगर के कारोबारियों को सामान मंगाने में काफी दिक्कत हो रही है। जो समान व्यापारी चीन से मंगवाते हैं, वह इंडिया में भी मौजूद है। लेकिन चीन के मुकाबले वह महंगे हैं और चीन जैसी फिनिशिंग नहीं है।
शादियों के सीजन में बढ़ेगी दिक्कत
इसकी वजह से अब यहां बनने वाले कपड़े महंगे होने के साथ-साथ उनकी क्वॉलिटी में भी फर्क आएगा। इन दिनों शादियों का सीजन चल रहा है। ऐसे में कपड़े की डिमांड पूरे देश से आ रही है। लेकिन चीन में करॉना वायरस की महामारी फैलने की वहज से गांधी नगर के व्यापारी कोई भी बड़ा ऑडर लेने से फिलहाल बच रहे हैं।
क्या कहते हैं कारोबारी
कारोबारी केके बल्ली कहते हैं, 'कपड़े में लगने वाली चेन, बटन और बुकरम के लिए यह मार्केट पूरी तरह से चीन पर निर्भर है। टैक्सटाइल और रेडिमेड गारमेंट्स का लगभभग 20 से 25 प्रतिशत माल चीन से यहां आता है। इसकी वजह से काफी परेशानी हो रही है। चीन में बनने वाले कपड़े और चेन में यहां से ज्यादा अच्छी फिनिशिंग होती है।'
एक दूसरे होलसेल व्यापारी प्रीतपाल सिंह का कहना है कि चीन के ज्यादातर ब्रोकर और व्यापारी ऑर्डर नहीं ले रहे हैं। इंडिया के जो भी ब्रोकर चीन में काम करते हैं, सभी ने अपने ऑफिस को बंद कर दिए हैं। ऐसे में आने वाले समय में गांधी नगर में बनने वाले कपड़े महंगे होंगे और क्वॉलिटी में भी गिरावट आएगी।