आंध्र प्रदेश की राजधानी पर रार: जानें, चंद्रबाबू नायडू ने क्यों की तुगलक से जगन रेड्डी की तुलना
अमरावती
दक्षिण भारत के राज्य आंध्र प्रदेश में राजधानी को लेकर मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी और पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू के बीच तलवारें खिंच गई हैं। राज्य विधानसभा ने सोमवार देर रात तीन राजधानियों के विधेयक को मंजूरी दे दी। नए विधेयक के तहत अमरावती प्रदेश की विधायी राजधानी होगी जबकि विशाखापत्तनम कार्यकारी राजधानी और कुर्नूल न्यायिक राजधानी होगी। जगन के इस कदम को नायडू ने 'तुगलकी फरमान' करार दिया और कहा कि आंध्र के सीएम से ज्यादा समझदार तो तुगलक था।
नायडू ने इसे तुगलकी फरमान बताते हुए कहा है कि विकेंद्रीकरण का मतलब यह नहीं होता है कि राजधानी को तीन टुकड़ों में काट दिया जाए और राज्य के हर क्षेत्र में एक राजधानी बना दी जाए। उन्होंने कहा, 'तुगलक का राज इससे बेहतर था। तुगलक भी जगन से ज्यादा समझदार था।' उन्होंने यह सवाल भी किया कि सीएम कहां रहेंगे और क्या वह विशाखापत्नम में दूसरा घर बनाएंगे।
तुगलक ने दिल्ली से दौलताबाद की राजधानी
भारत में तुगलक साम्राज्य के पहले शासक गयासुद्दीन तुगलक ने दिल्ली के पास तुगलकाबाद शहर बसाया था। उनके बाद सत्ता में आए मोहम्मद बिन तुगलक ने 1327 में राजधानी को दिल्ली से दक्खन के दौलताबाद शिफ्ट करने का फैसला किया। उस समय तुगलक का राज्य गंभीर आर्थिक संकट से गुजर रहा था। तुगलक का कहना था कि इससे उन्हें दक्खन के उपजाऊ पठारों और दक्षिण भारत के बेहतर प्रशासन में मदद होगी। एक ओर दक्षिण में तुगलक का राज्य फैलता जा रहा था जिसे चलाना था और दूसरी ओर दिल्ली में मंगोल आक्रमण बढ़ता जा रहा था।
भुगतने पड़े थे परिणाम
तुगलक ने राजधानी दौलताबाद में खड़ी करने का फैसला किया और इसके बाद लोगों को वहां की ओर कूच करने को कहा गया। लोग अपना सामान लेकर निकल पड़े और रास्ते में उनके लिए इंतजाम भी किए गए लेकिन आखिरकार यह प्रयोग बुरी तरह असफल हो गया। रास्ते में कई लोगों की मौत हो गई। फैसले से नाराज बागियों ने विद्रोह कर दिया। इसी बीच एक महामारी फैल गई जिसमें खुद तुगलक भी बीमार हो गए। धीरे-धीरे उनके इलाके हाथ से निकलने लगे और आखिरकार तुगलक ने वापस दिल्ली लौटने का फैसला कर लिया।
अमरावती में नाराजगी, बाकी खुश
एक ओर जहां सीएम के ऐलान की ज्यादातर आलोचना हो रही है, वहीं कुर्नूल में हाई कोर्ट को लेकर समर्थन भी हो रहा है। विशाखापत्नम और उत्तर तटीय इलाकों के लोग भी इसे राजधानी बनाए जाने के ऐलान से खुश हैं। हालांकि, अमरावती में किसानों और दूसरे समूहों ने विरोध प्रदर्शन किया है। देश में महाराष्ट्र जैसे राज्यों में दो राजधानियां हैं लेकिन तीन राजधानियां कभी नहीं रहीं। हालांकि, जगन ने दक्षिण अफ्रीका का उदाहरण दिया है।
पहले कुर्नूल थी राजधानी
कुर्नूल आंध्र की पहली राजधानी थी। तेलंगाना, आंध्र और रायलसीमा के 1956 में विलय के बाद हैदराबाद राजधानी बनी। इससे पहले 1953 से 1956 तक कुर्नूल की आंध्र राज्य की राजधानी थी। 1980 के दशक की शुरुआत में तेलुगू सिने स्टार एनटी रामाराव आंध्र प्रदेश की राजधानी में कूद पड़े और तेलुगू देशम पार्टी बनाई। कांग्रेस-विरोधी अपनाते हुए एनटीआर सत्ता में आ गए।
नायडू ने रेड्डी से की थी अपील
नायडू ने रेड्डी से अपील की थी कि राज्य की राजधानी को अमरावती से नहीं हटाएं। उन्होंने चेतावनी दी कि इससे करीब 50 हजार करोड़ रुपये का निवेश वापस हो जाएगा और किसानों को भी कष्ट उठाना पड़ेगा। जब निर्माण इतना आगे चरण में पहुंच चुका है तो राजधानी बदलने का क्या मतलब है? करीब 50 हजार करोड़ रुपये के निवेश का संकल्प जताया गया है जिससे राज्य में करीब 50 हजार नौकरियों के सृजन की संभावना है। अस्पताल से शिक्षा केंद्र तक करीब 130 संस्थान बनने हैं। अगर राजधानी बदलती है तो ये सब नहीं होंगे।