स्पीकर द्वारा विधायकों को अयोग्य ठहराने की व्यवस्था पर पुनर्विचार की जरूरत: सुप्रीम कोर्ट
नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर द्वारा विधायकों और सांसदों को अयोग्य ठहराने की प्रक्रिया पर सख्त टिप्पणी की। सर्वोच्च अदालत ने अपने फैसले में कहा कि स्पीकर की भूमिका पर एक बार फिर से विचार होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि स्पीकर लंबे समय तक ऐसी याचिकाओं को अपने पास नहीं रख सकते हैं। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि ऐसे मामलों की जांच के लिए एक स्वतंत्र संस्था का गठन किया जाना चाहिए। शीर्ष अदालत ने संसद से विचार करने का आग्रह किया है कि स्पीकर जो खुद किसी पार्टी के सदस्य होते हैं, क्या उन्हें MP/MLA की अयोग्यता पर फैसला लेना चाहिए?
स्पीकर द्वारा अयोग्य ठहराने पर SC की टिप्पणी
बता दें कि कर्नाटक में विधानसभा स्पीकर ने 17 विधायकों को अयोग्य ठहराया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को बरकार रखा, लेकिन विधायकों को उपचुनाव लड़ने की अनुमति दे दी थी। स्पीकर द्वारा विधायकों और सांसदों को अयोग्य ठहराने पर कोर्ट ने कहा कि ऐसे केस की सुनवाई के लिए किसी स्वतंत्र ईकाई का गठन होना चाहिए। मणिपुर में दलबदल करने वाले एक MLA के मामले पर फैसले में SC ने कहा कि अयोग्यता पर निर्णय के लिए निष्पक्ष स्थायी व्यवस्था बनाना बेहतर रहेगा
कर्नाटक के स्पीकर का 17 विधायकों पर चर्चित फैसला
कर्नाटक में जेडीएस और कांग्रेस की गठबंधन सरकार के दौरान जारी खींचतान में स्पीकर रमेश कुमार ने 17 विधायकों को अयोग्य करार दिया था। इनमें से 14 जेडीएस के और तीन कांग्रेस के विधायक थे, जिन्हें इस्तीफा देने पर स्पीकर ने अयोग्य ठहराया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले की समीक्षा करते हुए भी तल्ख टिप्पणी की थी। कोर्ट ने स्पीकर की भूमिका पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा था, स्पीकर एक अथॉरिटी की तरह काम करता है और उसके पास कुछ सीमित शक्तियां होती हैं।