केजरीवाल ने नई दिल्ली विधानसभा सीट से नामांकन पत्र भरा, सीधी एंट्री का विरोध
नई दिल्ली
दिल्ली के जामनगर हाउस में मंगलवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पर्चा दाखिल करने के दौरान हंगामा हो गया। केजरीवाल जब करीब एक घंटे की देरी से नामांकन के लिए पहुंचे, तो निर्दलीय उम्मीदवारों ने उन्हें सीधे एंट्री देने का विरोध किया। रिपोर्ट्स के मुताबिक ये विधायक वहां काफी देर से मौजूद थे। विधायकों ने इसके खिलाफ नारेबाजी की और पर्चे उछाले। बता दें कि केजरीवाल सोमवार को भी रोड शो के साथ पर्चा दाखिल करने पहुंचे थे, लेकिन लेट हो जाने के कारण वे नामांकन दाखिल नहीं कर पाए थे।
पूरे परिवार के साथ पहुंचे केजरीवाल
मंगलवार को केजरीवाल रोड शो के साथ पर्चा दाखिल करने पहुंचे। इस दौरान उनके माता-पिता, पत्नी और बेटी भी साथ थीं। रोड शो के दौरान केजरीवाल ने मीडिया से मुखातिब होते हुए बीजेपी और कांग्रेस पर जमकर हमला बोला। दिल्ली की चुनावी जंग को केजरीवाल बनाम अन्य की लड़ाई बताते हुए उन्होंने कहा कि सारी पार्टियां उनके खिलाफ एकजुट हो चुकी हैं।
सभी मुझे हराने में लगे हैं: केजरीवाल
केजरीवाल ने कहा कि वह दिल्ली में स्कूलों, अस्पतालों की हालत सुधारने की बात करते हैं, लेकिन विरोधी पार्टियां और नेता उन्हें हराने की बात करते हैं। उन्होंने कहा, 'पहली बार ऐसा है कि दिल्ली में इस तरह के गठबंधन देखने को मिल रहे हैं। सारी पार्टियों का मकसद एक है कि किस तरह केजरीवाल को हराया जाए और मेरा मकसद है कि किस तरह भ्रष्टाचार पर लगाम लगाकर दिल्ली को आगे बढ़ाया जाए।'
2.09 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित
केजरीवाल ने अपने इलेक्शन ऐफिडेविट में कुल 2 करोड़ 9 लाख रुपये की संपत्ति घोषित की है। उन्होंने बताया है कि उनके पास 2 लाख 26 हजार रुपये नकद के अलावा पत्नी के पास 300 ग्राम सोना, 24 ग्राम चांदी, कौशांबी में 56 लाख की कीमत का फ्लैट, गुरुग्राम में पत्नी के नाम एक करोड़ रुपये की कीमत का फ्लैट, विरासत में मिली 37 लाख रुपये की संपत्ति, उपहार में मिली एक वैगन आर कार है। उन्हें विधायक के रूप में प्रति माह 35 हजार रुपये मिलते हैं। उन्होंने हलफनामे में बताया कि पत्नी सुनीता के नाम 41 लाख रुपये का कर्ज है।
दो बार जीत
दिल्ली विधानसभा सीट से केजरीवाल के खिलाफ बीजेपी ने सुनील यादव को जबकि कांग्रेस ने रोमेश सभरवाल को टिकट दिया है। केजरीवाल इस सीट से दो बार जीत दर्ज कर चुके हैं। 2013 में उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को शिकस्त दी थी। उसके बाद 2015 में वह यहां से दोबारा जीते। पहले कार्यकाल में 49 दिन तक ही सरकार चला सके थे। लोकपाल के मुद्दे पर केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया था।