अमेरिका में पांच पाकिस्तानियों पर न्यूक्लियर स्मगलिंग का लगा आरोप
वॉशिंगटन
अपने चोर वैज्ञानिक ए क्यू खान की बदौलत धोखे से परमाणु हथियार हासिल करने की पाकिस्तान की करतूत से पूरी दुनिया वाकिफ है। खान ने कनाडा से परमाणु तकनीक चुराकर न केवल पाकिस्तान में न्यूक्लियर प्रोग्राम संचालित किया बल्कि इसे ईरान, लीबिया, उत्तर कोरिया जैसे देशों को बेच भी दिया। तब से पाकिस्तान ने न्यूक्लियर स्मगलिंग और मिसाइल टेक्नॉलजी के अवैध अधिग्रहण से तौबा नहीं किया है। इसके पास विज्ञान और तकनीक का शायद ही कोई केंद्र है, फिर भी इसने चोरी और धोखे से परमाणु हथियार और बलिस्टिक मिसाइल हासिल कर लिया। अब उसे अमेरिकी तकनीक की चोरी करते हुए पकड़ा गया है। दरअसल, रावलपिंडी स्थित कंपनी 'बिजनस वर्ल्ड' से जुड़े पांच पाकिस्तानियों पर अमेरिका में आरोप लगा है कि उन्होंने पाकिस्तान के न्यूक्लियर और मिसाइल प्रोग्राम के लिए अमेरिकी तकनीक की स्मगलिंग की है।
परमाणु चोरी में पकड़ाए पांच पाकिस्तानीअमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट के मुताबिक, ये पांच पाकिस्तानी कनाडा, हॉन्ग कॉन्ग और यूके में रहते हैं। डिपार्टमेंट का कहना है, 'ये बिजनस वर्ल्ड के लिए दुनियाभर से खरीद करने का नेटवर्क चलाते थे। बिजनस वर्ल्ड अडवांस्ड इंजिनियरिंग रीसर्च ऑर्गनाइजेशन (एईआरओ) और पाकिस्तान ऐटमिक एनर्जी कमिशन (पीएईसी) के लिए अमेरिका में बने उत्पाद खरीदती है। यह कंपनी अमेरिका से सामानों का निर्यात बिना एक्सपोर्ट लाइसेंस के ही करवाती है जो अमेरिकी कानून का खुला उल्लंघन है।'
राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अमेरिकी असिस्टेंट अटॉर्नी जनरल जॉन सी डेमर्स ने कहा, 'प्रतिवादियों (पाकिस्तानियों) ने अमिरेका में निर्मित उत्पाद उन संस्थानों को निर्यात किए जिन्हें अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे के रूप में चिह्नित किया गया है क्योंकि इन संस्थानों के संबंध पाकिस्तान के हथियार कार्यक्रमों से है।' उन्होंने कहा, 'यह एक ऐसा मुद्दा है जो अमेरिका के लिए एक उदाहरण बन सकता है कि उसे निर्यात के नियमों को लागू करने में कड़ाई बरते।'
इन आरोपियों में मुम्मद कामरान वली (41) पाकिस्तान में, मुहम्मद अहसान वली (48) और हाजी वली मुहम्मद शेख (82) कनाडा में, अशरफ खान मुहम्मद हॉन्ग कॉन्ग में जबकि अहमद वहीद (52) यूके में रहता है। इनसब पर इंटरनैशनल एनर्जी इकनॉमिक पावर्स ऐक्ट और एक्सपोर्ट कंट्रोल रिफॉर्म ऐक्ट के उल्लंघन की साजिश रचने का आरोप लगा है।
भारत के लिए चिंता
बड़ी बात यह है कि अमेरिका के बयान में इस ओर इशारा किया गया है कि पाकिस्तान के इस स्मगलिंग नेटवर्क के खुलासा भारत की सुरक्षा के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है। होमलैंड सिक्यॉरिटी इन्वेस्टिगेशंस के ऐक्टिंग स्पेशल एजेंट इन चार्ज जैसन मोलिना ने कहा, 'इन पांच लोगों का कथित व्यवहार अमेरिकी निर्यात कानूनों के उल्लंघन से कहीं ज्यादा बड़ा मसला है। इसने अमेरिकी सुरक्षा हितों के साथ-साथ क्षेत्र के विभिन्न देशों के बीच नाजुक शक्ति संतुलन के लिए भी खतरा पैदा कर दिया है।'
जस्टिस डिपार्टमेंट की प्रेस रिलीज के मुताबिक, एईआरओ और पीएईसी, दोनों अमेरिकी कॉमर्स डिपार्टमेंट की एंटिटि लिस्ट शामिल हैं। कॉमर्स डिपार्मटमेंट ही उन संस्थानों के लिए एक्सपोर्ट लाइसेंस अनिवार्य करता है जिनकी गतिविधियां अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा या विदेश नीति के हितों के विरुद्ध पाई जाती हैं। पीएईसी को यूएस कॉमर्स डिपार्टमेंट की एंटिटि लिस्ट में 1998 में जबकि एईआरओ को 2014 में शामिल किया गया था।
सही खरीदार की छिपाई पहचान
आरोपों के मुताबिक, पाकिस्तानियों ने पाकिस्तान में उस जगह की पहचान छिपाने की कोशिश की जहां अमेरिकी उत्पाद भेजे जा रहे थे। अभी इन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है। इन्होंने सामना खरीदने वाली और इसका आखिरी इस्तेमाल करने वाली कंपनियों के झूठे नाम बताए जबकि अमेरिकी उत्पाद वास्तव में पाकिस्तान पुहंचे और एईआरओ या पीएईसी ने इन उत्पादों की कीमत चुकाई।
16 साल बाद फिर पकड़ाया पाकिस्तान
16 साल पहले ठीक इसी महीने पाकिस्तान का न्यूक्लियर स्मगलिंग और प्रॉलिफरेशन स्कैंडल पकड़ा गया था। उसमें पाकिस्तानी वैज्ञानिक एक्यू खान का हाथ सामने आया था। उसी एक्यू खान ने डच कंपनी रेंको से सेंट्रीफ्यूज चुरा लिया था जिसके दम पर पाकिस्तान ने 1980 में परमाणु बम बना लिया। पाकिस्तान ने यह टेक्नॉलीज नॉर्थ कोरिया और चीन को भी बेच दी। खान ने लीबिया और ईरान को भी मदद की थी।
तब एक्यूखान ने कहा था कि पाकिस्तान की सेना उसकी करतूतों से वाकिफ थी और उसका साथ दे रही थी। इस बयान के बाद अमेरिका की नाराजगी से बचने के लिए तत्कालीन पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने खान पर शिकंजा कसा और बाद में छोड़ दिया। चूंकि तब पाकिस्तान पर कुछ ठोस कार्रवाई नहीं हुई, इसलिए उसने चोरी, धोखेबाजी से अपना परमाणु हथियारों का अवैध खजाना बढ़ा रहा है।