CAA, 370 पर बाद में सुनवाई, सबरीमाला पर SC, आस्था बनाम अधिकार का मुद्दा
नई दिल्ली
सबरीमाला मामले की सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बेंच ने संकेत दिया है कि अदालत का फैसला आस्था बनाम मौलिक अधिकारों के मुद्दे पर होगा। सोमवार को सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि सबरीमाला अयप्पा मंदिर और मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश सुनवाई के बाद ही नागरिकता संशोधन ऐक्ट (CAA) और जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 पर सुनवाई करेगा।
मुख्य न्यायाधीश एस.ए. बोबडे की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, 'सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री से जुड़ा मसला काफी पुराना और इस पर सुनवाई पहले होगी। CAA और आर्टिकल 370 पर बाद में सुनवाई की जाएगी।' बता दें कि कोर्ट ने सबरीमाला मुद्दे पर अगली सुनवाई के लिए तीन हफ्ते बाद की तारीख तय की है। इस पर वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह और राजीव धवन ने आपत्ति दर्ज कराई थी। उन्होंने कहा कि सबरीमाला मुद्दे को टालने के चलते CAA और कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने जैसे जरूरी मुद्दों पर सुनवाई के लिए वकीलों को समय नहीं मिल पाएगा।
CAA और 370 के कुछ जज सबरीमाला के लिए बनी बेंच का हिस्सा
सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता संशोधन कानून की वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं को स्वीकार किया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक नोटिस जारी किया था और मामले की अगली सुनवाई के लिए 22 जनवरी की तिथि निर्धारित की थी। कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए 22 जनवरी की तिथि तय की थी। इसके अलावा जस्टिस एनवी रमन्ना की अध्यक्षता वाली पांच जजों की एक बेंच 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार द्वारा कश्मीर से अनुच्छेद 370 के विशेष प्रावधानों को हटाने के खिलाफ याचिकाओं पर 21 जनवरी को सुनवाई करने वाली थी। बता दें कि सबरीमाला और आस्था बनाम संवैधानिक अधिकारों की लड़ाई वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रहे 9 सदस्यीय बेंच के कई जज ऐसे हैं, जो CAA और आर्टिकल 370 से जुड़ी याचिकाओं पर भी सुनवाई करने वाले हैं। इसी संदर्भ में शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी की।
इन मामलों पर भी सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को साफ किया कि वह केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश देने वाले अपने फैसले पर पुनर्विचार नहीं कर रहा। 14 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच ने जिन सवालों के लिए मामले को 9 जजों की संवैधानिक बेंच को रेफर किया था, उन पर सुनवाई होगी। आस्था और मौलिक अधिकार के साथ-साथ धार्मिक प्रैक्टिस के मामले में जूडिशल रिव्यू का दायरा क्या हो, इस बारे में विचार होगा। सुनवाई के दायरे में मंदिर और मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश, पारसी महिला का दूसरे धर्म में शादी करने के बाद अग्नि मंदिर में दाखिले पर रोक और दाउदी बेहुरा समुदाय में महिलाओं के फीमेल जेनिटल म्युटिलेशन का मुद्दा भी शामिल है।
'कोर्ट को बताएं कौन-किस मुद्दे पर जिरह करेगा'
सुप्रीम कोर्ट ने चार वरिष्ठ अधिवक्ताओं से कहा है कि वे 17 जनवरी को बैठक करके विभिन्न धर्मों और सबरीमाला मंदिर सहित कई धार्मिक स्थलों में महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव से संबंधित मामले पर चर्चा करके मुद्दे तय करें। अदालत को बताएं कि कौन किस मुद्दे पर कितनी देर दलील देगा। अगली सुनवाई तीन हफ्ते बाद होगी। राजीव धवन ने कहा कि कोर्ट का काम लोगों के धर्म और आस्था को देखना नहीं है। चीफ जस्टिस ने कहा कि वकील खुद आपस में तय करें कि किस मुद्दे पर कौन दलील देगा।