शहडोल जिला मुख्यालय के श्यामडीह से बेखौफ निकाली जा रही रेत :माफियाओ के खौफ़ के आगे जीने को मजबूर ग्रमीण
जोगी एक्सप्रेस
शहडोल,अखिलेश मिश्रा । जिला मुख्यालय से लगभग 10 किलोमीटर दूर श्यामडीह में सोन पर रेत कारोबारियों ने कब्जा जमा रखा है। यह कारोबारी आड़ में झाड़ काटने का कारोबार चला रहा है। नाम मेडिकल का और काम पूरे जिले में फैला है। मेडिकल कालेज के नाम पर रेत कारोबारी प्रतिदिन लाखों का वारा न्यारा कर रहे हैं। इसे इसकी छूट किसने दे रखी है यह तो वही बता सकते हैैं। नियम कानून के दायरों के वाहनों के पहिये तले रौंदने वाले इन कारोबारियों के बढ़ते कदम को रोकने के प्रयास अभी तक नही हो पाये है। जिसका निकट भविष्य में खामियाजा भी भुबतना पड़ सकता है। बहरहाल दिन रात बराबर गांव के अंदर से धमाचौकड़ी मचाने वाले रेत कारोबारियों के इन वाहनों के पहियों पर किसानो ने ब्रेक लगाने का काम किया है।सूत्रों की माने तो ग्रमीणों को इस बात का भय हमेशा बना रहता है की रेत माफियाओ के गुर्गो के पास असलहा मौजूद रहता है और रेत माफियाओ के गुर्गे शराब के नशे में किसी दिन किसी बड़ी वारदात को अंजाम न दे डाले ,
कुछ ऐसा चल रहा खेल
कुदरी में निर्माणाधीन मेडिकल कालेज के लिये ठेकेदार ने श्यामडीह स्थित सोन नदी की घाट से रेत निकालने के लिये अस्थाई लीज ले रखा है। जहां से रेत निकालकर उसका उपयोग मेडिकल कालेज निर्माण में किया जाना है। मेडिकल कालेज के नाम पर ली गई इस अस्थाई लीज को कुछ खनिज माफियाओं ने अपनी कमाई का जरिया बना लिया है। अब इस खदान से निकलने वाली रेत की सप्लाई मेडिकल कालेज से कहीं ज्यादा शहर व इसके आस-पास के क्षेत्रों में खप रही है। जिसके एवज में अच्छी खासी रकम एैैंठी जा रही है।वही इस का विरोध करने पर माफियाओ द्वारा सीधे साधे ग्रमीणों को घुड़की भी दिए जाने की खबर आ रही है !
किसानो ने बंद किया रास्ता
श्यामडीह खदान से रेत लेकर वाहन कई किसानो के खेत से होकर गुजरते थे। जिसे लेकर किसान एक बार फिर से विरोध पर उतर आये है। गुरुवार को किसानो ने अपने खेत की जुताई कर रास्ते को बंद कर दिया। जिसके बाद सुबह से खदान की ओर जाने वाले वाहनों के पहिये किसानों के खेत के पास जाकर थम गये। देखते देखते मौके में वाहनो का मेला लग गया। दोपहर तक किसानों के खेत के समीप ही तीन दर्जन से भी अधिक वाहन रास्ता खुलने का इंतजार करते रहे। इसके बाद जब किसानो ने रास्ता नही दिया तो सभी वाहन खाली लौट आये।
पहले भी हो चुका है विरोध
किसानों के खेत से रेत से भरे वाहनों के निकलने पर किसानो ने पूर्व में भी आपत्ति दर्ज कराई थी। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष भी किसानों ने खेत से वाहन निकलने पर विरोध दर्ज कराते हुये रास्ता बंद कर दिया था। बाद में प्रशासनिक हस्तक्षेप के बाद मामला शांत हुआ था। इसके बाद इस वर्ष फिर से दिन रात वाहनों की धमाचौकड़ी से परेशान होकर किसानो ने सख्त कदम उठाया है और रास्ता रोक दिया है।
गुजर रहे सैकड़ो वाहन
उल्लेखनीय है कि श्यामडीह खदान से प्रतिदिन सैकड़ो ट्राली वाहन रेत का उत्खनन व परिवहन किया जा रहा है। यह रेत ट्रैक्टर के साथ ही बड़े-बड़े हाईवा व डग्गी के माध्यम से सप्लाई की जा रही है। सुबह से लेकर देर रात तक इन वाहनों की धमाचौकड़ी मची रहती है। एक बार वाहनों का जो निकलना शुरु हुआ तो रात भर वाहनों की आपाधापी लगी रहती है। जिसने ग्रामीणों की रातो की नीद व दिन का चैन छीन लिया है। रात भर वाहनों की आवाज के चलते नही सो पाते और दिन में हादसे की आशंका के चलते शुकुन से नही रह पाते।
घट सकती है बड़ी घटना
जिस तरह से गांव में माहौल बन रहा है उससे बड़ी घटना की आशंका से नकारा नही जा सकता है। मेडिकल की आड़ में रेत का कारोबार करने वाले कुछ दबंग ग्रामीणों पर रौब झाड़ने से भी बाज नही बाते है। जिस तरह से किसानो ने विरोध प्रदर्शन शुरु किया है उसे देखते हुये यह कहना गलत नही होगा कि कभी भी कोई बड़ी घटना घट सकती है। इसका जवाबदेही कौन होगा ….
बैठको तक सिमटी कार्यवाही
जिले में चल रहे अवैध उत्खनन व परिवहन के कारोबार को लेकर पुलिस व प्रशासन गंभीर नही है। इनकी गंभीरता महज बैठकों तक सिमट कर रह गई है। कलेक्ट्रेट में होने वाली बैठकों में वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा दलीले तो दी जाती है लेकिन फील्ड में विभागीय अमला अवैध उत्खनन व परिवहन को लेकर कितना गंभीर है इसका अंदाजा जिले भर में फैले अवैध उत्खनन व परिवहन के कारोबार को देखकर बखूबी अंदाजा लगाया जा सकता है।
रिपोर्टर :अखिलेश मिश्रा
MOB:9993472304